आदर्श हिमाचल ब्यूरो
कुल्लूI अन्तर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में जहाँ विभिन्न विभागों की प्रदर्शनियां लगाईं गई हैं वहीँ कृषि विभाग के आतमा परियोजना के सौजन्य से पुराने अनाजो को बढ़ावा देकर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से पारम्परिक मोटे अनाजों को जीवन में अपनाने पर बल दिया जा रहा है I परियोजना निदेशक आतमा डा सुशील कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि दशहरा उत्सव में कृषि विभाग ने अपने प्रदर्शनी लगाई है जिस प्रदर्शनी में विभाग की स्कीमों के बारे में लोगों को जानकारी प्रदान की गईI उनको कृषि के संदर्भ में नवीनतम जानकारी तथा आजकल किस प्रकार से नई-नई टेक्नोलॉजी आई है उनके बारे में चार्ट्स, बैनर्स, मॉडल और पंपलेट लोगों को जानकारी उपलब्ध करवाई गई उन्होंने कहा कि यह साल अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स ईयर के रूप में भी मनाया जा रहा है, मिलेट्स जिसे कि हम मोटा अनाज भी कहते हैं या अकाल का अनाज भी कहते हैं उसके ऊपर भी एक प्रदर्शनी लगाई गई हैI
मोटे अनाज अम्लीय रहित होते हैं, ग्लूटेन रहित होते हैं और पाचन में बहुत सहायक होते हैं, इनको खाने से बहुत संतुष्टि प्राप्त होती है और इनमे मिनरल्स भी बहुत ज्यादा होते हैं और यह जो है मिलेट्स का प्रयोग करने से और अपने उनके उत्पादन करने से खानपान की जीवन शैली को बदलने से हम बहुत सी बीमारियों से बच सकते हैंI इन चीजों को लोकप्रिय करने के लिए विभाग में इस बार दशहरा में इसकी रेसिपी को लोकप्रिय बनाने के लिए यहां के महिला मंडल और यहां के स्वयं सहायता समूह को ट्रेनिंग दी है I महिला मंडल को और सेल्फ हेल्प ग्रुप को आगे बढ़ावा देने के लिए इस बार प्रदर्शनी मैदान में विभाग ने अपने खर्चे पर उनसे स्टॉल लगाए थे जिनमें लोगों को मिलेट्स की विभिन्न प्रकार की रेसिपीज उपलब्ध करवाई गई जिनमे कोदरे के सिद्दू, कोणी की खिचड़ी, इत्यादि जो है लोगों परोसी गईI इसमें भारी संख्या में आमजन सहित सरकार के मंत्री और अन्य उच्च अधिकारी वर्ग भी यहाँ पधारे उन्होंने इस कार्य की बहुत प्रशंसा की विभाग का हमारा पूरा प्रयास है कि लोगों में जागरूकता तथा मोटे अनाजों के प्रति रुझान बढेI
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कोदा, चौली, सावन, कंगनी इत्यादि से बने हुए खाद्य पदार्थ के प्रति लोगों का भी रुझान बढ़ रहा हैI प्रदर्शनी में परोसे गए कोदरे की चाय, कंगनी का भात एवं खिचड़ी इत्यादि को लोग खासा पसंद किया जा रहा हैI बैक टू बेसिक्स नामक संस्था के राहुल सक्सेना ने बताया कि संस्था पिछले कुछ समय से पुराने अनाजों से बने हुए विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों को बनाने एवं उनका प्रचार प्रसार करने का कार्य कर रहे हैं ताकि हमारे स्वास्थ्य में इन अनाजों का महत्व सभी समझ सके तथा अपने दैनिक आहार में इन पदार्थों को शामिल कर सके I उन्होंने कहा कि पिछले 50-60 सालों से हमारे आहार में तथा जीवन शैली में बहुत से बदलाव आ गए हैं तथा यह पुराने अनाज का प्रचलन बहुत कम हो गया है जिसके चलते हमें कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं आनी शुरू हो गई हैंI इन पुराने अनाजों का हमारे स्वस्थ जीवन में बहुत महत्व रहा है यह हमारे शरीर के अंदर रोग रोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायता करते हैं तथा विभिन्न प्रकार की बीमारियों से हमारी रक्षा करते हैं इन्हें दैनिक आहार में शामिल करना बहुत आवश्यक है I