शिमला: हिमाचल प्रदेश 27,000 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से संबंधित 2.80 लाख महिलाओं को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक पहुंच प्रदान करने की योजना बना रहा है ताकि वे अपने उत्पादों को व्यापक बाजार में बेच सकें.
जो उत्पाद ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हो सकते हैं, वे हैं- हस्तनिर्मित शॉल, स्वेटर, कालीन, जैविक शहद, फल, सूखे मेवे आदि.
अमेज़न, फ्लिपकार्ट और सरकारी ई-मार्केटप्लेस जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइटें अपने वेब पोर्टल पर हिमाचल प्रदेश के हाथ से बने शॉल, स्वेटर, ऑर्गेनिक शहद, कालीन, फल और मसाले बेच सकेंगी.
राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश 27,000 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की 2.80 लाख महिलाओं को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक पहुंच प्रदान करने की योजना बना रहा है ताकि वे अपने उत्पादों को व्यापक बाजार में बेच सकें.
मंत्री ने बताया कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर एसएचजी उत्पादों को अपलोड करने का कार्य प्रगति पर है और यह ‘हिम इरा’ ब्रांड के तहत उपलब्ध होगा.
मंत्री ने उत्पाद के बारे में बताया जो ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हो सकता है- हस्तनिर्मित शॉल, स्वेटर, कालीन, जैविक शहद, फल, सूखे मेवे, मसाले, अचार, औषधीय जड़ी-बूटियां.
कंवर ने कहा कि दूरदराज या बर्फीले इलाकों में रहने वाले कारीगर अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफॉर्म के जरिए अपने जैविक, प्राकृतिक और हस्तनिर्मित उत्पादों का प्रदर्शन कर सकेंगे.