बागवानों के लिए राहत भरी खबर: अब किलो के हिसाब से खरीदा जाएगा बागबानों से सेब 

नए कार्टन में लगभग 24 किलो से अधिक सेब पैक नहीं करेंगे बागवान

1
10

आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

शिमला। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी महासचिव एवं प्रवक्ता देवेन्द्र बुशैहरी ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादकों के लिए मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह ठाकुर ने बागबानों के हित में जो निर्णय लिया वह ऐतिहासिक है।इस निर्णय से भविष्य में अब बागबानों से सेब किलो के हिसाब से खरीदा जाएगा जिससे उनका ख़र्च भी बचेगा।यह अपने आप में एक ऐतिहासिक मिसाल है। कांग्रेस पार्टी ने हमेशा बागवानों के हितों की रक्षा की है। सेब का सीज़न आरम्भ होने से पूर्व यह निर्णय कांग्रेस सरकार की गंभीरता को दर्शाता है व पार्टी के घोषणा पत्र में कहे अपने तीसरे वचन को भी निभाने की दिशा में एक कदम भी है।

 

जबकि इससे पूर्व पिछली भाजपा सरकार ने न केवल गुम्मा में सेब कार्टन बनाने वाली फैक्ट्री को ही बन्द कर दिया जिसके फलस्वरूप बागवानों को बाहरी राज्यों के सेब पेटी सप्लायरों से घटिया कार्टन जीएसटी कर सहित मंहगे मूल्यों पर खरीदने पर मज़बूर होना पड़ा। भाजपा सरकार ने बागवानों को पेटियों पर सब्सिडी के नाम पर भी धोखा दिया। इसके अतिरिक्त तब की कांग्रेस सरकार के समय बागवानी मिशन के तहत प्रदेश में बागवानी को बढ़ावा देने के लिए विश्व बैंक से 1134 करोड़ रुपए मिले थे, लेकिन तब कांग्रेस सरकार बदल गई लेकिन इस राशि का भाजपा सरकार ने क्या किया इसका जवाब देने में पूरी तरह से विफ़ल रही है। प्रदेश सरकार समय रहते इसका पता करवाने के लिए प्रतिबद्ध है।

 

यह भी पढ़े:- नोफल चेरिटेबल ट्रस्ट गुरुनानक का घर कैंसर हॉस्पिटल (आई जी एम सी ) शिमला द्वारा एक बच्चे को गोद लिया गया

 

कांग्रेस सरकार आरम्भ से ही बागवानों की सभी समस्यायों से अच्छी तरह से परिचित है, चाहे वह समस्या कीटनाशकों,खाद, सेब ढुलाई या प्रयाप्त संख्या में उन्हें सेब पेटियों की सप्लाई की क्यों न हो। इसके अतिरिक्त वर्तमान सरकार सेब उत्पादकों को यूनिवर्सल टेलिस्कोपिक सेब क्रेट सप्लाई करने पर भी गंभीरता से विचार कर रही है।
पहले बागवानों को पेटियों के लिहाज से अपने सेब बेचने से नुकसान होता था  लेकिन अब किस्म के अनुसार तोलकर बेचने के लिहाज से नए कार्टन में लगभग 24 किलो से अधिक सेब पैक नहीं करेंगे जबकि पहले पेटी में अधिक पैक करने पड़ते थे, उससे बागवानों,  फल उत्पादकों को अधिक नुक्सान होता था जबकि नयी प्रणाली से उनको फायदा रहेगा।
कांग्रेस सरकार हमेशा बागवानों की हितैषी रही है जबकि भाजपा सरकार ने हमेशा बागवानों के हितों की पूरी तरह से अनदेखी की है।