हमीरपुर में कुष्ठ रोग से संबंधित जागरूकता शिविर का हुआ आयोजन 

छात्रों ने प्रस्तुत की कुष्ठ सम्बन्धी जानकारियाँ , भाषण प्रतियोगिता में राहुल को प्रथम, आशीष को द्वितीय व अक्षय को मिला तृतीय पुरस्कार 

छात्रों ने प्रस्तुत की कुष्ठ सम्बन्धी जानकारियाँ, भाषण प्रतियोगिता में राहुल को प्रथम, आशीष को द्वितीय व अक्षय को मिला तृतीय पुरस्कार 

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला ! मुख्य चिकित्सा अधिकारी हमीरपुर डॉ आर के अग्निहोत्री के सोजन्य से हिम आई टी आई हरसोर, खंड बड़सर में कुष्ठ रोग के उपर जागरूकता शिवर का आयोजन किया गया ! इस मौके पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया जिस  में छात्रों ने कुष्ठ सम्बन्धी जानकारियाँ अपनी -2 स्पर्धा के माध्यम से प्रस्तुत की ! भाषण प्रतियोगिता में राहुल  को प्रथम, आशीष  को द्वितीय व अक्षय को तृतीय पुरस्कार मिला !

इस अवसर पर जिला सूचना एवं सम्प्रेषण अधिकारी सुरेश शर्मा ने कहा कि कुष्ठ रोग एक धीमी गति से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है, जिसका कीटाणु मुख्य चिकित्सा अधिकारी हमीरपुर डॉ आर के
अग्निहोत्री के सोजन्य से हिम आई टी आई हरसोर, खंड बड़सर में कुष्ठ रोग के उपर जागरूकता शिवर का आयोजन किया गया ! इस मौके पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया जिस  में छात्रों ने
कुष्ठ सम्बन्धी जानकारियाँ अपनी -2 स्पर्धा के माध्यम से प्रस्तुत की !भाषण प्रतियोगिता में राहुल  को प्रथम, आशीष  को द्वितीय व अक्षय को तृतीय पुरस्कार मिला !

इस अवसर पर जिला सूचना एवं सम्प्रेषण अधिकारी सुरेश शर्मा ने कहा कि कुष्ठ रोग एक धीमी गति से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है, जिसका कीटाणु शरीर में प्रवेश करने के बाद इसके लक्षण आने में लगभग चार से छह: साल का समय लग जाता है ! इसके शुरूआती लक्षणों में मुख्यतः शरीर के किसी भी हिस्से में एक या एक से अधिक सफ़ेद, लाल या तांबे के रंग के दाग हो सकते हैं जिनमें सम्वेदनशीलता न हो , कुष्ठ रोग की निशानी हो सकते हैं ! कुष्ठ रोगियों की समय पर  पहचान करना आसान है तथा इसका इलाज भी संभव है , समय पर पहचान करके इससे पूर्णतः निजात पाई जा सकती है  तथा इससे होने वाली अपंगता से भी बचा जा सकता है! इसके साथ साथ टी. बी . जल जनित रोगों के बारे में भी जानकारी दी गई !

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इस अवसर पर संस्थान की प्रिंसिपल श्रीमती रीना देवी, स्वास्थ्य पर्यवेक्षक मिल्खी राम, आत्मा राम सहित  अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे !शरीर में प्रवेश करने के बाद इसके लक्षण आने में लगभग चार से छह: साल का
समय लग जाता है ! इसके शुरूआती लक्षणों में मुख्यतः शरीर के किसी भी हिस्से में एक या एक से अधिक सफ़ेद, लाल या तांबे के रंग के दाग हो सकते हैं जिनमें सम्वेदनशीलता न हो , कुष्ठ रोग की निशानी हो सकते हैं ! कुष्ठ रोगियों की समय पर  पहचान करना आसान है तथा इसका इलाज भी संभव है , समय
पर पहचान करके इससे पूर्णतः निजात पाई जा सकती है  तथा इससे होने वाली अपंगता से भी बचा जा सकता है! इसके साथ साथ टी. बी . जल जनित रोगों के अपंगता भी जानकारी दी गई !

इस अवसर पर संस्थान की प्रिंसिपल श्रीमती रीना देवी, स्वास्थ्य पर्यवेक्षक मिल्खी राम, आत्मा राम सहित  अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे !