जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस ने जिस तरह से झूठ बोलकर सत्ता हासिल की और अब मुख्यमंत्री झूठ बोलकर सरकार चलाना चाहते हैं। लेकिन ऐसा नहीं हो सकता है उनका झूठ बेनक़ाब हो गया है और देश ने उनके झूठ को पूरी तरह से नकार दिया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि अपने ही पार्टी की सरकार में ‘विपक्ष’ की भूमिका निभाते समय वही विधायकों के हितों की बात करते थे। विधायक निधि और विधायकों द्वारा बताए गए कामों को प्राथमिकता दिए जाने की बात करते थे और आज जब उन्हें ख़ुद मौक़ा मिला है तो वह विधायकों के हितों के ही विरोध में काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विधायक निधि से हर विधायक अपने विधान सभा क्षेत्र में अत्यावश्यक विकास कार्यों को करने के लिए धनराशि जारी करते थे, जिससे बहुत से जनहित के कार्य समय पर हो जाते थे और लोगों को राहत मिलती थी। सड़के, रिटेंशन वॉल, ब्रिज, जल निकासी, जैसे न जाने कितने विकास कार्यों को बिना लंबी काग़ज़ी प्रक्रिया के जनहित को देखते हुए तुरंत किया जा सकता है। लेकिन राज्य सरकार ने विधायक निधि को रोककर जनप्रतिनिधियों को विकास के कार्य करने से रोक रही है।
धर्मशाला में केंद्रीय विश्वविद्यालय पर अपना रुख़ स्पष्ट करें मुख्यमंत्री
जयराम ठाकुर ने पत्रकारों के पूछे गये सवाल के जवाब में कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा ही नहीं हैं कि धर्मशाला में केंद्रीय विश्वविद्यालय का परिसर बने। हमारी सरकार ने लगभग सारी प्रक्रिया पूरी हो गई थी। कुछ तकनीकी चीजें रह गई थी जो अब पूरी हो गई हैं। सरकार को मात्र 30 करोड़ रुपये जमा करना है। बाक़ी का निर्माण केंद्र सरकार द्वारा किया जाना है लेकिन सरकार जान बूझकर यह पैसे जमा नहीं कर रही है। जिससे यह विश्वविद्यालय न बन सके। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विवि कैंपस को लेकर अपना रुख़ स्पष्ट करें कि वह धर्मशाला में कैंपस चाहते हैं कि नहीं।
मंडी के अल्पसंख्यक पार्षद से माफ़ी माँगे कांग्रेसी नेता
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि एक चुने हुए अल्पसंख्यक जनप्रतिनिधि के साथ हारे हुए कांग्रेसी नेताओं द्वारा गाली-गलौज करने की घटना बहुत शर्मनाक है। इस तरह की हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी नेता अपने इस शर्मनाक कृत्य पर जनप्रतिनिधि से माफ़ी माँगे अन्यथा हम चुप बैठने वाले नहीं हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राजकीय महत्व के कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों के लिए सम्मानजनक व्यवस्था हो चाहे वह किसी पार्टी के नेता हों। क्योंकि ऐसे कार्यक्रम सरकारी होते हैं और इसका आयोजन सरकार द्वारा किया जाता है न कि किसी पार्टी के द्वारा।