कांग्रेस गढ़ में सेंधमारी की कोशिश में भाजपा: राजपूत नेता राकेश पठानिया पर फतेहपुर तो शहरी विकास मंत्री पर कुसुम्पटी छीनने की जिम्मेदारी

एक महिला सहित 16 नए चेहरों पर दांव, राकेश चौधरी व चेतन सिंह बरागटा पहले लड़ चुके हैं निर्दलीय चुनाव

दोनों सीटिंग मंत्रियों पर कांग्रेस गढ़ में सेंधमारी की जिम्मेदारी
दोनों सीटिंग मंत्रियों पर कांग्रेस गढ़ में सेंधमारी की जिम्मेदारी

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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शिमला। भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की सूची में बड़ा बदलाव कर सबको हैरान कर दिया है। भाजपा में इस बार स्सथानीय विधायकों  के खिलाफ रूझान से बचने के लिए नए चेहरों पर दांव खेल दिया है। इस बार दो चार नहीं बल्कि 16 विधानसभआ हलके ऐसे हैं जिन पर भाजपा ने बिल्कुल नए चेहरें चुनावी रण में उतार दिए हैं। महिलाओं को अधिक भागीदारी की बात करने वाली भाजपा इस बार मिशन रिपिट के दबाव में केवल पांच महिलाओं पर ही भरोसा जता पाई है।

ये सारी कवायद भाजपा ने एकदम से नहीं कर दी है बल्कि उसके लिए सर्वे रिपोर्ट्स, मंडल की वोटिंग व जनता के रूझान को सामने रखा गया है। जीत की हैट्रिक मारने वाले शहरी विकास मंत्री को ऐसे ही कुसुम्पटी नहीं भेजा गया है। उन पर कांग्रेस के खेमे से इस सीट को हासिल करने की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। माना जा रहा है कि सुरेश भारद्वाज कुसुम्पटी से भी भाजपा को जीत हासिल करवाने की क्षमता रखते हैं। शिमला शहरी में उनके किए गए कामों के बल पर इस बार भी उनकी जीत पक्की मानी जा रही थी। लेकिन सरकार में वरिष्ठ मंत्री व भाजपा में कई महत्वपूर्ण पदों पर जिम्मेदारी निभा चुके सुरेश भारद्वाज को कुसुम्पटी से चुनाी रण मेंं उतारा गया है क्योंकि यहां भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं था।

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इसी तरह बात करें नूरपुर विधानसभा से तो दंबग राजपूत नेता व वन मंत्री राकेश पठानिया के विधानसभा हलके में भी बड़ा बदलाव किया गया है। उन्हं नूरपुर की जगह फतेहपुर से चुनावी समर की जिम्मेदारी दी गई है। फतेहपुर सीट लगातार कांग्रेस के खेमे में रही हैं। यहां से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, पूर्व में मंत्री रहे दिवंगत सुजान सिंह पठानिया का दबदबा रहा है। उनकी मौत के बाद हुए उप चुनावों में भी जनता ने उनके बेटे भवानी सिह पठानिया पर भरोसा जताया था। भवानी इस बार भी इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार हैं। आम आदमी पार्टी पहले ही डा राजन सुशांत को इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। डा राजन सुशांत पुरानी भाजपाई हैं और सांसद भी रहे हैं। पिछली बार के उपचुनावों में उन्होंने यहां से अच्छी बढ़त हासिल की थी।

माना जाता है कि फतेहपुर सीट पर राजपूत बहुल है और यहां से अभी तक राजपूत नेता को ही सफलता मिलती आई है। ऐसे में इस समीकरण पर भी राकेश पठानिया फिट बैठते हैं।

हालांकि इस सीट से भाजपा में बगावत के सुर भी उभर सकते हैं। यहां से पूर्व उम्मीदवार कृपाल परमार सूची जारी होने से पहले ही नामांकन फार्म खरीद चुके थे। इस सीट पर भाजपा की लगातार हार का कारण भी यहां भाजपा की आपसी लड़ाई, अंर्तकलह व गुटबाजी रही है। इस चुनौती से अगर राकेश पठानिया पार लेते हैं तो उन्हें विधानसभा चुनावों में इसका लाभ मिल सकता है।

ये हैं वो चेहरे जिन पर भाजपा इस बार पहली बार दांव खेलने जा रही है: 

भरमौर से डाॅ जनक राज, चंबा सदर से इंदिरा कपूर, नूरपुर से रणवीर सिंह निक्का, जवाली से संजय गुलेरिया, पालमपुर से त्रिलोक कपूर, आनी से लोकेंद्र कुमार, करसोग से दीप राज कपूर, द्रंग से पूरन चंद ठाकुर, धर्मपुर से रजत ठाकुर, सरकाघाट से दलीप ठाकुर, सुजानपुर से कैप्टन (रि.) रणजीत सिंह, बिलासपुर से त्रिलोक जम्वाल, श्री रेणुकाजी से नारायण सिंह, ठियोग से अजय श्याम, शिमला शहरी से अजय सूद और शिमला ग्रामीण से रवि मेहता। चेतन बरागटा और राकेश चौधरी हालांकि पहले निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन भाजपा टिकट पर पहली बार अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं।