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मुख्यमंत्री ने नायक पुष्पेंद्र नेगी के निधन पर शोक व्यक्त किया

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला । मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने डोगरा रेजिमेंट के नायक पुष्पेंद्र नेगी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। नायक पुष्पेंद्र नेगी का असम में ड्यूटी के दौरान एक हादसे में देहांत हो गया। वह किन्नौर जिला की सांगला तहसील के थैमगारंग पंचायत के रहने वाले थे।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि वीर जवान को प्रदेश हमेशा श्रद्धा और कृतज्ञता के साथ याद करेगा। उन्होंने ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति और शोक संतप्त परिवार को इस अपूर्णीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है।

एसआईएलबी में बिज़नेस एनालिटिक्स टूल्स पर कार्यशाला का आयोजन

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों 
सोलन । शूलिनी इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज एंड बिज़नेस मैनेजमेंट (एसआईएलबी) ने आईआईएम बैंगलोर (मेक इंटर्न) के सहयोग से एसआईएलबी में बीबीए अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए बिज़नेस एनालिटिक्स टूल्स पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।
कार्यशाला का उद्घाटन एसआईएलबी की अध्यक्ष श्रीमती सरोज खोसला ने किया, जिन्होंने एलायंसटेक, अमेरिका के वरिष्ठ डेटा सलाहकार  शिव वशिष्ठ को सम्मान और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक पारंपरिक हिमाचली टोपी और दुपट्टा पहनाकर सम्मानित किया।
शूलिनी इंस्टीट्यूट के प्रबंधन विभाग के छात्रों ने मेक इंटर्न के साथ तीन दिवसीय कार्यशाला के दौरान एक्सेल, लुकर स्टूडियो और पावर बीआई जैसे शीर्ष बिज़नेस एनालिटिक्स टूल्स में व्यावहारिक विशेषज्ञता हासिल की। उन्होंने गतिशील डैशबोर्ड बनाना, रीयल-टाइम डेटासेट का विश्लेषण करना और अभियान आरओआई, ग्राहक परिवर्तन और बिक्री रुझानों जैसे प्रमुख केपीआई की व्याख्या करना सीखा – जिससे उन्हें डेटा-संचालित निर्णय लेने के लिए व्यावहारिक कौशल और उद्योग-प्रासंगिक ज्ञान प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. शालू सहगल, एसोसिएट प्रोफेसर और कार्यक्रम समन्वयक एसआईएलबी द्वारा छात्र समन्वयक स्नेहा वर्मा और हर्षित शर्मा के साथ किया गया, जिनके समर्पण ने सुचारू कार्यान्वयन सुनिश्चित किया।
कार्यशाला का समापन निदेशक डॉ. शालिनी शर्मा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें प्रबंधन विभाग के संकाय डॉ. दमन, डॉ. शालू,  प्रदीप, डॉ. पायल और सुमन भी शामिल हुए।

शूलिनी विश्वविद्यालय को यूजीसी श्रेणी-1 का दर्जा मिला, भारत के शीर्ष स्वायत्त संस्थानों के विशिष्ट समूह में शामिल

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों 
सोलन । शैक्षणिक उत्कृष्टता के एक प्रमुख सम्मान में, हिमाचल प्रदेश के सोलन ज़िले में स्थित शूलिनी जैव प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन विज्ञान विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा अपने श्रेणीबद्ध स्वायत्तता विनियम, 2018 के तहत श्रेणी-1 का दर्जा दिया गया है। यह विश्वविद्यालय को देश के सबसे स्वायत्त और उच्च प्रदर्शन करने वाले संस्थानों में से एक बनाता है।
यूजीसी द्वारा प्रस्तुत एक प्रस्ताव के बाद, यूजीसी ने अपनी 591वीं आयोग बैठक के दौरान यह निर्णय लिया। विश्वविद्यालय को यूजीसी के स्वायत्तता ढांचे में निर्धारित मानदंडों को पूरा करने के बाद शीर्ष श्रेणी में रखा गया है, जिसमें टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में दुनिया भर के शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों में स्थान बनाए रखना शामिल है।
इस वर्गीकरण के साथ, शूलिनी विश्वविद्यालय उन चुनिंदा भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों में शामिल हो गया है जो व्यापक शैक्षणिक और प्रशासनिक स्वतंत्रताओं के लिए पात्र हैं। इनमें नए पाठ्यक्रम और विभाग शुरू करना, परिसर के बाहर केंद्र शुरू करना और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग स्थापित करना शामिल है – बिना यूजीसी से पूर्व अनुमोदन प्राप्त किए।
शूलिनी विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति प्रो. पी.के. खोसला ने शिक्षा मंत्रालय के तहत विश्वविद्यालय के पहले आवेदन में श्रेणी-1 का दर्जा प्राप्त करने पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “यह विशिष्टता हमें अनुसंधान में अधिक स्वायत्तता और उन्नत अनुदानों तक पहुँच प्रदान करती है। इस गति के साथ, मैं आने वाले दशक में शूलिनी विश्वविद्यालय को ऑक्सफोर्ड के समकक्ष एक संस्थान के रूप में विकसित होते हुए देखना चाहता हूँ। हमारे नेतृत्व में उत्कृष्टता के लिए प्रतिबद्ध शिक्षाविद और शोधकर्ता शामिल हैं।” प्रो. खोसला ने विश्वविद्यालय की वैश्विक शोध उपस्थिति में सुधार के महत्व पर भी ज़ोर दिया।
“हमें अब अपने वैश्विक उद्धरणों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। मेरा दृढ़ विश्वास है कि शूलिनी अगले 10 वर्षों में शीर्ष 50 वैश्विक विश्वविद्यालयों में शामिल हो जाएगा।”
यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार, श्रेणी-1 के संस्थानों को रैंकिंग या मान्यता में किसी भी गिरावट की स्थिति में 30 दिनों के भीतर आयोग को सूचित करना होगा।
आवश्यक मानकों को बनाए रखने में विफलता के परिणामस्वरूप उन्हें निम्न श्रेणी में स्थानांतरित किया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप संबंधित विशेषाधिकार वापस ले लिए जा सकते हैं। हालाँकि, पूर्व स्थिति के तहत पहले से शुरू की गई किसी भी पहल को उनके तार्किक समापन तक जारी रखने की अनुमति दी जाएगी।
विश्वविद्यालय को आगामी शैक्षणिक सत्र से अपनी नई स्थिति के तहत लागू किए जाने वाले लाभों के बारे में यूजीसी को सूचित करने के लिए भी कहा गया है। उसे यूजीसी के ग्रेडेड ऑटोनॉमी रेगुलेशन के सभी प्रावधानों का पालन करने की प्रतिबद्धता के साथ एक लिखित पावती प्रस्तुत करनी होगी।

मुख्यमंत्री ने 16वें वित्तायोग के अध्यक्ष से राजस्व घाटा अनुदान जारी रखने का आग्रह किया

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आदर्श हिमगचल ब्यूरों

शिमला । मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मंगलवार को नई दिल्ली में 16वें वित्तायोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगड़िया से भेंट की और हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए वित्तायोग से सहयोग का आग्रह किया।

 

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार वित्तीय अनुशासन को सुदृढ़ करने के हर संभव प्रयास कर रही है। सतत विकास लक्ष्यों सहित विभिन्न मानकों पर हिमाचल प्रदेश सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों मेंएक है। उन्होंने राज्य की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए आयोग से राज्य के हित में सिफारिश करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ी राज्यों में अन्य राज्यों की तुलना में खर्च कई गुना अधिक होता है। इसलिए पहाड़ी राज्यों को उनकी जनसंख्या के अनुपात से कम से कम दोगुना हिस्सा मिलना चाहिए।

 

उन्होंने आयोग से राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों और सीमित राजस्व संसाधनों को ध्यान में रखते हुए राजस्व घाटा अनुदान जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि 15वें वित्तायोग द्वारा राजस्व घाटा अनुदान में भारी कटौती की गई है जिसके चलते राज्य को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है।

 

श्री सुक्खू ने पहाड़ी राज्यों के लिए वार्षिक बजट में अलग से ग्रीन फंड का प्रावधान करने अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि इस विषय में प्रधानमंत्री के साथा भी चर्चा की गई है।
मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन, कर्ज से राहत, स्थानीय निकायों को अनुदान और राज्य के लिए विशेष अनुदान संबंधी दिए गए सुझावों से भी डॉ. पनगड़िया को अवगत करवाया और इन सुझावों को स्वीकार करने का आग्रह किया।

 

डॉ. पनगड़िया ने मुख्यमंत्री को केंद्र से हर संभव सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया।
मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना और मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार राम सुभग सिंह भी मुख्यमंत्री के साथ उपस्थित थे।

बागवानी, कृषि, फूलों की खेती, तबाह, केसीसी पर राहत दे सरकार : जयराम ठाकुर

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

मंडी । नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं लोक सभा सांसद अनुराग ठाकुर, राज्यसभा सांसद डॉ सिकंदर कुमार, बल्ह विधायक इन्द्र सिंह गांधी, प्रदेश भाजपा महासचिव बिहारी लाल, प्रदेश प्रवक्ता अजय राणा के साथ आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर नुकसान से अवगत करवाया और प्रभावितों को राहत सामग्री बांटी। इस दौरान अनुराग ठाकुर ने राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बग़्स्याड, राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय थुनाग, सरस्वती विद्या मंदिर, बगस्याड व थुनाग हिम वैली निजी विद्यालय थुनाग में आपदा से प्रभावित बच्चों को बैग, किताबें, कापी व स्टेशनरी किट्स बांटी। जयराम ठाकुर ने आपदा प्रभावित परिवारों के साथ खड़े रहने के लिए अनुराग ठाकुर और सिकंदर कुमार सहित सभी का आभार व्यक्त किया और पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण हेतु सांसद निधि से भी मदद करने का आग्रह किया।

 

 

जयराम ठाकुर ने कहा कि आपदा की वजह से बागवानी कृषि और फूलों को खेती से जुड़े तमाम ढांचे पूरी तरीके से नष्ट हो गए हैं। कृषि, बागवानी और फूलों की खेती ही यहां के लोगों के आजीविका का मुख्य आधार से जो पूरी तरीके से नष्ट हो गए हैं। पत्रकारों पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बहुत सारी किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड से लोन लेकर ही यह काम कर रहे थे। आपदा की वजह से सब कुछ पूरी तरीके से नष्ट हो गया है और लोगों के कर्ज वैसे के वैसे हैं। इसलिए मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह आपदा प्रभावित लोगों के किसान क्रेडिट कार्ड के कर्ज को भी माफ करने का प्रबंध करें। जिससे प्रभावित लोग प्राकृतिक आपदा के साथ बैंक के ब्याज की दोहरी मार से बच सकें।

 

जयराम ठाकुर ने कहा कि आपदा की वजह से 600 से ज्यादा पूरी तरीके से नष्ट हो गए हैं। 1000 से ज्यादा घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त है लेकिन वह रहने लायक नहीं है। मेरी मुख्यमंत्री से गुजारिश है कि जो घर रहने लायक नहीं है उन्हें भी सरकार पूर्णतया क्षतिग्रस्त की कैटेगरी में रखें और उसी के अनुसार मुआवजा दे। दिन की जमीन में बह गई है और घर बनाने के लिए जमीन नहीं है उनके लिए जमीन का प्रबंध करें। मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि जल्दी से जल्दी प्रशासन प्रभावितों का आधिकारिक आंकड़ा प्रस्तुत करें। बहुत सारे दानी सज्जनों के भी संपर्क में हैं जो अपने स्तर पर लोगों की मदद करना चाहते हैं। यदि हम उन्हें आधिकारिक सूची उपलब्ध करवाएंगे तो उनके लिए भी आसानी होगी। उन्होंने कहा कि सरकार से निवेदन है यह काम जल्दी से जल्दी और विश्वसनीयता के साथ होना चाहिए। जिसमें प्रभावित लोगों को लाभ मिले प्रभावी लोगों को नहीं।

जयराम ठाकुर ने कहा कि बहुत सी जगह पर विद्यालय खोल दिए गए हैं। बच्चे पढ़ने आएंगे इसलिए उनके भी हिफाजत का विशेष ध्यान रखना होगा। परिजनों से आग्रह है कि वह स्कूल जाते समय पड़ने वाले खतरों के बारे में सचेत रहे और बारिश खत्म होने तक सुरक्षित जगहों पर ही निवास करें। बच्चों से भी अपील की है कि वह अपने माता-पिता अभिभावकों एवं शिक्षकों के निर्देशों का पालन करें तथा खतरनाक रास्तों पर जाने से बचें। उन्होंने प्रदेश भर आपदा प्रभावितों को मिल रही सहायता के लिए दानी सज्जनों का आभार व्यक्त किया।

भोपाल में आयोजित पीठासीन अधिकारियों की समिति की बैठक में बोले पठानियां, विधायी समितियाँ विधायिकाओं की रीढ़।

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों 

भोपाल। हिमाचल प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में समिति प्रणाली की समीक्षा हेतु आयोजित पीठासीन अधिकारियों की समिति की बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि विधायी समितियाँ हमारी विधायिकाओं की रीढ़ हैं – जो विस्तृत जॉच द्विदलीय विचार – विमर्श और प्रभावी निगरानी को सक्षम बनाती है।

 

 

अनुभव सांझा करते हुए पठानियां ने कहा कि उन्होने भी कई चुनौतियाँ देखी हैं जो उनकी पूरी क्षमता को बाधित करती हैं। गौरतलब है कि पठानियां पीठासीन अधिकारियों की समिति बैठक में भाग लेने गत सायं नई दिल्ली से वायुमार्ग द्वारा भोपाल पहुँचे थे। लोक सभा अध्यक्ष द्वारा अलग-अलग विषयों की समीक्षा हेतु छ: से सात राज्यों के पीठासीन अधिकारियों की समितियों का गठन किया गया है जब‍कि समिति प्रणाली के सुदृढ़ीकरण विषय हेतु समीक्षा के लिए 7 राज्यों के पीठासीन अधिकारियों की समिति का गठन किया गया है ‍जिसमें उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा, सिक्किम, पश्चिम बंगाल तथा मध्य प्रदेश विधान मण्डलों के पीठासीन अधिकारी शामिल हैं।

 

बैठक आरम्भ होने से पूर्व सभी पीठासीन अधिकारियों ने मध्‍य प्रदेश विधान सभा परिसर में पौधारोपण का कार्य किया तदोपरान्त मध्य प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कार्यक्रम में मौजूद सभी पीठासीन अधिकारियों का शॉल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया ।
बैठक को उत्तर प्रदेश विधान सभा के पीठासीन अधिकारी सतीश महाना, राजस्थान के वासुदेव देवरानी, उड़ीसा की सूरमा पाढ़ी, सिक्किम के मिम्मा नोरबू शेरपा, पश्चिम बंगाल के विमन बनर्जी तथा मध्य प्रदेश के पीठासीन अधिकारी नरेन्द्र सिंह तोमर ने भी सम्बोधित किया।

 

बैठक को अपने चिर-परिचित अंदाज में सम्बोधित करते हुए पठानियां ने कहा कि अब समय आ गया है कि हमें किसी भी कार्य को हल्के से नहीं लेना होगा अब जनता तथा समाज जागृत हो चुका है और जवाबदेही भी सुनिश्चित करनी होगी। आज डिजिटल तथा टैक्नोलॉजी का जमाना है जहाँ सोशल मिडिया के माध्यम से खबर आग की तरह फैलती है वहीं जनता ही परोक्ष रूप से जवाब देना शुरू करती है।
अपना अनुभव सांझा करते हुए पठानियां ने कहा कि आज समिति बैठक में कम उपस्थितियाँ, विचार-विमर्श में कम भागीदारी, मुद्दों पर गहन बहस का अभाव, समिति रिपोटों को बिना सार्थक बहस के सदन के समक्ष रखना, पार्टी लाईन के कारण पक्षपात पूर्ण रूख तथा विभागीय उत्तरों में गोलमोल बातें व समिति अधिकारी का पूरी तरह से प्रशिक्षित न होना जो बैठक के लिए प्रभावशाली प्रश्नावली तैयार कर सकें जैसी सामान्य चुनौतियाँ हैं जिनका समिति प्रणाली के सुदृढ़ीकरण हेतु निराकरण आवश्यक है।

 

अपने सम्बोधन में समिति प्रणाली के सुदृढीकरण हेतु पठानियां ने कई महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि सबसे पहले विधान मण्डलों में अनुसंधान और सचिवालय सहायता में वृद्वि करने की आवश्यकता है जिसके लिए समर्पित अनुसंधान कर्मचारी और विषय विशेषज्ञों तक पहुँच व विशिष्ट क्षेत्रों में कर्मचारियों की क्षमता निर्माण हेतु निरंतर प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध करवानी होगी। इंटरैक्टिव प्रशिक्षण को संस्थागत बनाना होगा तथा अनुभवी विधायकों द्वारा नियमित कार्यशालाएं और मार्गदर्शन देना होगा। पठानियां ने कहा कि विभागीय उत्तरों की वरिष्ठ स्तरीय जाँच होनी चाहिए तथ सभी उत्तरों की सचिवों व विभागाध्यक्षों द्वारा समीक्षा की जानी चाहिए।

 

उन्होने कहा कि गोलमाल व भ्रामक जानकारी के लिए विभागों को जिम्मेवार व जवाबदेह ठहराना होगा तथा मंत्रियों के साथ संचार में सुधार करने की आवश्यकता होगी। प्रत्येक सत्र की शुरूआत में संतुलित कार्यभार सुनिश्चित करने के लिए अध्यक्ष और अध्यक्षों के परामर्श से समितियों को व्यवस्थित रूप से विषय सौंपे जाने चाहिए तथा मिडिया की भागीदारी और पारदर्शिता को मजबूत करना होगा जबकि समिति की सिफारिशों और सरकारी प्रतिक्रियाओं को मिडिया और जनता तक सक्रिय रूप से प्रसारित किया जाना चाहिए।

मादक पदार्थों के खिलाफ राष्ट्रीय जन मुहिम में हिमाचल अग्रणी राज्य बनकर उभरा

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों 

शिमला । मुख्यमंत्री  सुखविंद्र सिंह  के नेतृत्व मेें हिमाचल प्रदेश में मादक पदार्थों के खिलाफ जन मुहिम छेड़ी गई हैै। युवा शक्ति को नशे की बुराई से बचाने और प्रदेश में व्याप्त ड्रग नेटवर्क को खत्म करने के लिए राज्य सरकार बहुआयामी रणनीति के तहत कार्य कर रही है।
पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश में सिन्थेटिक ड्रग्स के मामले सामने आएं हैं। फार्मास्युटिकल हब के नज़दीक क्षेत्रोें में इस तरह के मामले अधिक दर्ज किए जा रहे हैं। इस खतरे से निपटने के लिए सरकार तत्परता के साथ कार्य कर रही है। फार्मास्युटिकल दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए जांच एवं निगरानी प्रणाली को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

 

प्रदेश सरकार ने दो महत्वपूर्ण कानून बनाकर अपने कानूनी ढांचे को और मजबूत किया है। हिमाचल प्रदेश संगठित अपराध (निवारण एवं नियंत्रण) विधेयक, 2025 और हिमाचल प्रदेश ड्रग्स और नियंत्रित पदार्थ (रोकथाम, नशामुक्ति और पुनर्वास) विधेयक, 2025 के तहत नशे में संलिप्त लोगों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है। हिमाचल प्रदेश संगठित अपराध (निवारण एवं नियंत्रण) विधेयक में मृत्युदंड, आजीवन कारावास, भारी जुर्माना और संपत्ति जब्त करने जैसे कड़े प्रावधान किए गए हैं। दूसरे विधेयक में अवैध नशीली दवाओं के व्यापार के लिए सख्त सजा सुनिश्चित की गई है। प्रदेश सरकार ने सिक्किम मॉडल से प्रेरित होकर नशामुक्ति, पुनर्वास, निवारक शिक्षा और आजीविका सहायता के लिए एक राज्य कोष बनाया गया है।

 

 

राज्य सरकार नशे के खिलाफ जीरो टोलरेंस नीति अपना रही है। तस्करों पर अंकुश लगाते हुए वर्ष 2024 में पीआईटी-एनडीपीएस के तहत निवारक निरोधक कानून को अमल में लाया गया है। इसके तहत प्रस्तुत 123 प्रस्तावों में से 41 डिटेंशन ऑर्डर जारी किए गए हैं। इसके अतिरिक्त पुलिस ने नशे की तस्करी में संलिप्त लोगों की जुड़ी 1,214 अवैध संपत्तियों की पहचान की है और अतिक्रमण के 70 मामलों में कार्रवाई की गई है तथा कुछ मामलों में संपत्तियों को जब्त किया गया है। राज्य सरकार ने नशे के कारोबार में संलिप्त 80 सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई अमल में लाई है

इसके तहत वर्ष 2023 से 2025 के मध्य तक पुलिस विभाग ने प्रभावशाली तरीके से कार्य किया है। अढ़ाई साल की अवधि में कुल 5,004 एनडीपीएस मामले दर्ज किए गए, जिनमें वर्ष 2023 में 2,147 मामले, 2024 में 1,717 और जून 2025 तक 1,140 मामले शामिल हैं।
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि प्रदेश सरकार जन सहभागिता के साथ समाज से नशे का समूल नाश करने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। राज्य मंे नशे के विरूद्ध कानून की कड़ी अनुपालना, दोषियों के खिलाफ आर्थिक कार्रवाई, विधायी सुधारों, पुनर्वास जैसे मुद्दों को कंेद्र मंें रखकर बहुआयामी रणनीति अपनाकर कार्य किया जा रहा है।

 

 

नशे के माध्यम से जोड़ी गई नशा कारोबारियों की संपत्ति को भी कुर्क किया जा रहा है। अढ़ाई वर्ष की अवधि के दौरान 36.95 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई। इसमें वर्ष 2023 में 4.87 करोड़ रुपये, वर्ष 2024 में 25.42 करोड़ रुपये और जून 2025 तक 6.66 करोड़ रुपये की संपत्तियां शामिल हैं। सरकार के यह कदम प्रदर्शित कर रहे हैं कि हिमाचल में नशे और इससे जुड़े हुए नेटवर्क को जड़ से उखाड़ फैंका जाएगा। 7.74 करोड़ रुपये की संपत्ति से जुड़े अतिरिक्त मामलें पुष्टि के लिए भेजे गए हैं।

 

मार्च 2025 में, धर्मशाला, मंडी और परवाणू के तीन क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के गठन से एक बड़ा संस्थागत विस्तार मिला, यह ऊना, कुल्लू, बद्दी और सिरमौर जैसे क्षेत्रों को कवर करता है। एसटीएफ के तहत तेरह पुलिस स्टेशन लाए गए हैं, जिनमें से छह पहले से ही क्रियाशील हैं जो तस्करों और अपराधियों के खिलाफ त्वरित और सटीक अभियान का संचालन सुनिश्चित कर रहे हैं।

 

नशे की आदत से ग्रसित लोगों को प्रभावी पुनर्वास प्रदान करने के प्रयास भी प्रगति पर है। जिला कुल्लू, ऊना, हमीरपुर और कांगड़ा में पुरुषों के लिए नशामुक्ति केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जबकि कुल्लू में रेडक्रॉस सोसाइटी द्वारा महिलाओं के लिए एक केंद्र का संचालन किया जा रहा है। सिरमौर के कोटला बड़ोग में 100 बिस्तरों वाला अत्याधुनिक नशामुक्ति केंद्र बनाया जा रहा है। सभी जिलों में ऐसे केंद्र स्थापित करने की कार्य योजना तैयार की गई है।

 

 

नशे के आदी लोगों के प्रदेश सरकार संवेदनशील रवैया अपना रही है। इन लोगों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने की दिशा में कार्य किए जा रहे हैं। नशे के आदी लोगों को बेहतर चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है। उनका कौशल संवर्धन कर उन्हें रोजगार और स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। वर्तमान में इन लोगों के प्रति समाज के दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव आया है। बच्चों को छोटी उमर में ही नशे के दुष्प्रभावों से अवगत करवाने के लिए  स्कूली पाठ्यक्रम में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के बारे में जागरूकता पर एक अध्याय भी शामिल किया गया है।

 

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) के मार्गदर्शन में हिमाचल प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण समिति ने 14 टारगेटिड इंटरवेंशन प्रोजेक्ट्स के माध्यम से सुरक्षित सुइयों, परामर्श और एचआईवी/एसटीआई के लिए रैफरल सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। यह परियोजना एचआईवी पॉजिटिव मामलों के लिए सुरक्षित सुई, परामर्श, एचआईवी/एसटीआई रेफरल सेवाएं, मौखिक दवा के विकल्प और एआरटी लिंकेज प्रदान करती हैं। नीडल सिरिंज एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत संक्रमण के प्रसार को कम करने में मदद मिल रही है।

 

नशे के विरूद्ध इस लड़ाई में वर्ष 2023 से जून 2025 तक, नशीले पदार्थों में 919 किलोग्राम चरस, 32.9 किलोग्राम हेरोइन, 1,632 किलोग्राम पोस्त भूसी, 89.6 किलोग्राम अफीम और 1.64 लाख से अधिक गोलियां और कैप्सूल जब्त किए गए हैं। अवैध तरीके से उगाए गए लगभग 70 लाख भांग के पौधे नष्ट किए गए हैं। नशे के तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए वार्ड वाइज मैपिंग की गई है और इसके तहत क्षेत्रों को लाल, पीले और हरे क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जा रहा है।

 

सरकार के नशे के विरूद्ध अभियान को लोगांे का भरपूर समर्थन मिल रहा है। प्रदेश सरकार के इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं और प्रदेश तीव्र गति से नशामुक्त हिमाचल बनने की ओर आगे बढ़ रहा है। हिमाचल देश के अन्य राज्य के समक्ष एक सफल मॉडल पेश कर रहा है।

दिल्ली पहुँचे विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप पठानियां, ओम बिरला से की शिष्टाचार भेंट।

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों 
नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां पीठासीन अधिकारियों की समिति की बैठक में भाग लेने पिछले कल सायं नई दिल्ली पहुँचे। गौरतलब है कि विधान सभा अध्यक्ष मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित होने वाली पीठासीन अधिकारियों की समिति की बैठक मे भाग लेने भोपाल जा रहे हैं।

 

गत सायं दिल्ली पहुँचकर विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला से उनके नई दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर शिष्टाचार भेंट की। पठानियां ने इस अवसर पर ओम बिरला को गुलदस्ता, हिमाचली टोपी व शॉल भेंटकर सम्मानित भी किया।

 

करीब 25 मिनट की इस मुलाकात के दौरान दोनों दिग्गजों के बीच देश व प्रदेश के आर्थिक, राजनीतिक तथा वैधानिक विषयों पर चर्चा हुई। विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने लोक सभा अध्यक्ष को हिमाचल प्रदेश के जिला मण्डी व अन्य जिलों में भू-स्खलन तथा बादल के फटने से से उत्पन्न हुई भयावह स्थिती के बारे अवगत करवाया तथा देश के माननीय प्रधानमंत्री के साथ प्रदेश को उदार आर्थिक सहायता पहुँचाने की पैरवी करने बारे भी लोक सभा अध्यक्ष से आग्रह किया। पठानियां ने कहा कि प्रदेश को प्रचंड बाढ़, भू-स्खलन तथा बादल फटने से सैंकड़ों करोड़ का नुकसान हुआ है।

 

इस अवसर पर दोनों दिग्गजों के बीच संसदीय प्रणाली को कैसे मजबूत किया जाए पर भी गम्भीर चर्चा हुई। राज्य तथा केन्द्र के बीच किस तरह से सौहार्द तथा मजबूत रिश्ते बने रहें पर भी गहरा मंथन किया गया। इस अवसर पर लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कुलदीप सिंह पठानियां को राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ भारत क्षेत्र – ॥ के धर्मशाला में बेहतरीन आयोजन के लिए बधाई दी तथा हर अतिथि का जिस तरह से विधान सभा अध्यक्ष ने व्यक्तिगत तौर पर आतिथ्य सत्कार किया के लिए भी पीठ थपथपाई।

 

इस अवसर पर दोनों के बीच राज्य विधान मण्डलों तथा सरकारों के बीच बेहतर समन्वय तथा विधान सभा सचिवालय को वितीय स्वायतता इत्यादि विषयों पर चर्चा की गई। पठानियां ने तपोवन विधान भवन के अधिक से अधिक इस्तेमाल बारे भी लोक सभा अध्यक्ष के साथ चर्चा की तथा आग्रह किया कि लोक सभा सचिवालय की (PRIDE) संसदीय शोध एवं अनुसंधान शाखा को निर्देश देकर तपोवन विधान भवन को प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए इस्तेमाल किया जाए ताकि उसकी समय –समय पर मुरम्मत तथा देखभाल का कार्य चलता रहे वैसे भी तपोवन तपस्या तथा योग की भूमि है जिसके साथ में स्वामी चिन्मयनंद का आश्रम तथा योग केन्द्र भी मौजूद है व पर्यटन की दृष्टि से भी रमणीय स्थल है। इस अवसर पर विधान सभा सचिव यशपाल शर्मा भी मौजूद थे।

विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप पठानियां नई दिल्ली से भोपाल में आयोजित होने वाली पीठासीन अधिकारियों की समिति की बैठक में भाग लेने के लिए रवाना होंगे।

खेती पर कम लागत से उत्पादों को मिल रहे अच्छे दाम

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों।

शिमला ।  ग्रामीण अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि और बागवानी पर निर्भर है। राज्य की बड़ी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है और उनकी आजीविका का प्रमुख स्रोत खेती, बागवानी, पशुपालन तथा वानिकी है। प्रदेश की लगभग दो तिहाई जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़ी है जो राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करती है।

 

 

ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अनेकों योजनाओं का कार्यन्वयन किया जा रहा है जिनका प्रदेश के दूरदराज क्षेत्र तक के लोगों को लाभ मिल रहा है। हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ सरकार ने किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्राकृतिक उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। देश में हिमाचल प्रदेश ने यह पहल शुरू की है, जो प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को आर्थिक लाभ सुनिश्चित करती है।

 

 

खेती की लागत को कम करने, आय एवं उत्पादकता को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। प्राकृतिक खेती से जहां मानव और पर्यावरण को रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों से बचाया जा रहा है, वहीं खेती की लागत कम होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है।

 

प्राकृतिक खेती से किसान-बागवानों की बाजार पर निर्भरता खत्म हो रही है और वह अपने आसपास उपलब्ध संसाधनों का भरपूर प्रयोग खेती में कर रहे हैं।
प्रदेश में गेहूं, मक्का, जौ और हल्दी खरीद पर सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है। राज्य में प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाए गए मक्का पर देश में सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2025-2026 के लिए प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाए गए मक्का के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को 30 रुपए से बढ़ाकर 40 रुपए तथा गेहूँ को 40 रुपए से बढ़ाकर 60 रुपए प्रति किलो किया गया है।

 

 

इसके अतिरिक्त, कच्ची हल्दी की खरीद के लिए 90 रुपए प्रति किलो न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की इस अभिनव पहल का उद्देश्य प्राकृतिक रूप से उगाए गए कृषि उत्पादों को एमएसपी प्रदान कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। प्रदेश में दी जाने वाली एमएसपी देश में सर्वाधिक है। हिमाचल प्रदेश में किसानों को सशक्त और ग्रामीण आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना के सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं।

हल्दी का एमएसपी किसानों के हित में – रूपचंद शर्मा (किसान)

रूपचंद शर्मा, निवासी गांव बाग़, ग्राम पंचायत पाहल, शिमला ग्रामीण ने कहा कि वह हल्दी की प्राकृतिक खेती करते है। प्रदेश सरकार ने हल्दी का एमएसपी 90 रुपए किया है। योजना के तहत उन्होंने कृषि विभाग को एक क्विंटल 5 किलो हल्दी 90 रुपए के हिसाब से बेची है। उन्होंने सरकार की इस पहल को किसानों के हित में लाभप्रद बताया है। उन्होंने कहा कि इस सन्दर्भ में वह गांव के अन्य लोगों को भी हल्दी की प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं ताकि इसका अन्य लोगों को भी लाभ मिल सके। उन्होंने एमएसपी के तहत हल्दी की खरीद योजना के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त किया।

4 क्विंटल मक्की के मिले 12 हजार – प्रकाश चंद (किसान)
प्रकाश चंद, निवासी गाँव कदोग, विकासखंड बसंतपुर, शिमला ग्रामीण ने बताया कि पहले वह खेती में रासायनिक खाद का उपयोग करते थे जिससे मिट्टी की उर्वरता एवं पैदावार में कमी दर्ज की गयी थी। अब वह प्राकृतिक खेती से फसलों की पैदावार करते है जिससे मिटटी की उर्वरता में भी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती से उगाई मक्की पर एमएसपी निर्धारित किया है जिसके वह भी लाभार्थी हैं। उन्होंने बताया कि वह 4 क्विंटल मक्की 30 रुपए प्रति किलो के हिसाब से कृषि विभाग को बेच चुके हैं, जिसका 12 हजार रूपए उन्हें मिल चुका है। उन्होंने इस योजना के लिए प्रदेश सरकार एवं मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का धन्यवाद किया है।

 

तारा कश्यप, निवासी गाँव विहार, ग्राम पंचायत बढ़ई, शिमला ग्रामीण निवासी ने बताया कि वह 2021 से प्राकृतिक खेती कर रहे है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 में उन्होंने 80 किलो मक्की की फसल 30 रुपये के हिसाब से कृषि विभाग को बेचीं थी जिसका 2 हजार 400 रुपये का लाभ मिला है। एमएसपी शुरू करने से किसानों को उनकी उपज के उचित दाम प्राप्त हो रहे है। इस योजना को शुरू करने के लिए उन्होंने प्रदेश सरकार एवं मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त किया।

प्राकृतिक खेती से एक लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य

प्रदेश में प्राकृतिक खेती करने के लिए 88 विकास खंड की 3615 पंचायतों से एक लाख किसानों को जोड़ने का लख्य रखा गया है। प्रदेश में अब तक 48 हजार 685 किसानों ने प्राकृतिक खेती करने के लिए पंजीकरण करवाया है, जिसमें 22 हजार 901 पुरुष एवं 25 हजार 784 महिलाएं शामिल हैं। प्रदेश में जिला बिलासपुर के 2900 किसानों, जिला चम्बा के 2816 किसानों, जिला हमीरपुर के 4478 किसानों, जिला काँगड़ा के 12424 किसानों, जिला किन्नौर के 263 किसानों, जिला कुल्लू के 3951 किसानों, जिला लाहौल स्पीति के 531 किसानों, जिला मंडी के 3653 किसानों, जिला शिमला के 4021 किसानों, जिला सिरमौर के 5340 किसानों, जिला सोलन के 3056 किसानों तथा जिला ऊना के 5252 किसानों ने अपना पंजीकरण करवाया है।

प्रदेश में प्राकृतिक खेती के तहत गेहूं, मक्का और हल्दी की खरीद की स्थिति

खरीफ सीजन 2024-25 के दौरान प्रदेश में 1509 किसानों से 3989 क्विंटल मक्के की खरीद 30 रुपए प्रति किलो के हिसाब से की गई, जिसमें कुल 01 करोड़ 19 लाख 69 हजार 607 रुपए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण राशि वितरित की गई। प्रदेश के जिला बिलासपुर से 76 किसानों से 143 क्विंटल, जिला चम्बा से 135 किसानों से 813 क्विंटल, जिला हमीरपुर के 105 किसानों से 53 क्विंटल, जिला काँगड़ा के 336 किसानों से 483 क्विंटल, जिला कुल्लु के 42 किसानों से 64 क्विंटल, जिला मंडी के 328 किसानों से 651 क्विंटल, जिला शिमला के 33 किसानों से 67 क्विंटल, जिला सिरमौर के 120 किसनों से 454 क्विंटल, जिला सोलन के 319 किसानों से 1145 क्विंटल एवं जिला ऊना के 15 किसानों से 111 क्विंटल मक्का एकत्रित किया गया।
वहीं रबी सीजन 2024-25 के दौरान 838 किसानों से 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 2135 क्विंटल गेहूं की खरीद की गई जिसमें कुल 01 करोड़ 32 लाख 29 हजार 614 रुपए की प्रत्यक्ष लाभ अंतरण राशि वितरित की गई। प्रदेश में कुल 22 संग्रह केंद्रों के माध्यम से गेहू की खरीद की गयी। प्रदेश के जिला बिलासपुर से 60.6 क्विंटल, जिला चम्बा से 184 क्विंटल, जिला हमीरपुर से 97 क्विंटल, जिला काँगड़ा से 842.6 क्विंटल, जिला मंडी से 296 क्विंटल, जिला सिरमौर से 180 क्विंटल, जिला सोलन से 58.3 क्विंटल एवं जिला ऊना से 416. 6 क्विंटल गेहूं की खरीद की गई है।

 

 

प्रदेश में इस वर्ष 61 किसानों से 90 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 127.2 क्विंटल हल्दी की खरीद की गई है, जिसमें कुल 11 लाख 44 हजार 803 रुपये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण राशि वितरित की गई, जिसमें जिला चम्बा के 8 किसानों से 10.5 क्विंटल, जिला हमीरपुर के 9 किसानों से 9 क्विंटल, जिला काँगड़ा के 13 किसानों से 53.69 क्विंटल, जिला मंडी के 15 किसानों से 29.22 क्विंटल, जिला शिमला के 8 किसानों से 4.65 क्विंटल एवं जिला सिरमौर के 8 किसानों से 20.13 क्विंटल हल्दी की खरीद की गई है।

 

इसके अतिरिक्त जिला चम्बा की पांगी घाटी में चंबा जिला के पांगी ब्लॉक में पैदा होने वाली जौ के लिए 60 रुपये प्रति किलोग्राम एमएसपी निर्धारित की गई है।

ऑकलैंड हाउस स्कूल बॉयज़ ने सीआईएससीई जोनल बास्केटबॉल टूर्नामेंट में मारी बाज़ी

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों 

शिमला । बिशप कॉटन स्कूल, शिमला में 12 व 13 जुलाई को आयोजित सीआईएससीई हिमाचल प्रदेश जोनल बास्केटबॉल टूर्नामेंट में ऑकलैंड हाउस स्कूल बॉयज़ ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अंडर-17 और अंडर-19 वर्ग में स्वर्ण पदक जीते, जबकि अंडर-14 वर्ग में उपविजेता रहे।

 

इस टूर्नामेंट में चार स्कूलों ने भाग लिया — बिशप कॉटन स्कूल (शिमला), ऑकलैंड हाउस स्कूल बॉयज़ (शिमला), सैक्रेड हार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल (धर्मशाला), और ऑलमाइटी पब्लिक स्कूल (हमीरपुर)।

अंडर-17 वर्ग के फाइनल में ऑकलैंड बॉयज़ ने बीसीएस को 53-36 के स्कोर से हराया। इस मुकाबले में जायस लारजे ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए टीम को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अंडर-19 वर्ग के फाइनल में ऑकलैंड हाउस स्कूल ने बीसीएस को 73-32 के बड़े अंतर से हराया। इस वर्ग में सुषांत, ईशान राणा, समर्थ ठाकुर, चैतन्य जोशी और आर्हन ने शानदार खेल दिखाया और टीम के समन्वय, पासिंग और रक्षात्मक रणनीति ने दर्शकों को खूब प्रभावित किया।

अंडर-14 वर्ग में टीम ने सेमीफाइनल में ऑलमाइटी पब्लिक स्कूल हमीरपुर को हराया, लेकिन फाइनल में बीसीएस से हारकर उपविजेता बनी।

ऑकलैंड हाउस स्कूल बॉयज़ की इस उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उन्हें प्रदेश के खेल जगत में अग्रणी बना दिया है और यह युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

Shoolini University

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