सेब को विशेष उत्पाद श्रेणी में शामिल करें केंद्र सरकार: रोहित ठाकुर

 

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। हिमाचल प्रदेश को फल राज्य के रूप में जाना जाता हैं जिसमें सेब एक विशेष स्थान रखता हैं और केंद्र सरकार को सेब को विशेष उत्पाद का दर्ज़ा देना चाहिए। यह बात जुब्बल-नावर-कोटखाई के विधायक रोहित ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी के शिमला दौरे से पहले प्रेस नोट ज़ारी करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सेब को विशेष उत्पाद की श्रेणी में लाने से बागवानों की आर्थिकी को बल मिलेगा। रोहित ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में बाग़वानी क्षेत्र में सेब ₹5000 करोड़ रुपए की आर्थिकी पैदा करता हैं लेक़िन वर्तमान में सेब उद्योग कठिन दौर से गुज़र रहा हैं।

उन्होंने कहा कि बाग़वानी क्षेत्र में उपयोग होने वाली आवश्यक कीटनाशक- फफूंदनाशक दवाइयों में अनुदान ख़त्म करने के निर्णय से विशेषकर लघु एवम् सीमांत बाग़वानों को आर्थिक नुक़सान उठाना पड़ रहा है। इसी प्रकार केंद्र सरकार द्वारा कीटनाशक व फफूंदनाशक दवाइयों पर जीएसटी की दर बढाएं जाने से दवाइयों के दाम दोगुने हो गए हैं। उन्होंने कहा कि सेब में उपयोग होने वाली खाद NPK 12-32-16 और NPK 15-15-15 प्रति बैग खाद में केंद्र सरकार ने 21% से 32% की वृद्धि कर दी जबकि पोटाश के दाम तो दोगुने हो चुके हैं । उन्होंने कहा कि सेब पैकिंग सामग्री में पिछले वर्ष के मुकाबले 35 से 40% की बढ़ोतरी हो गई हैं जिससे अनुमानित लागत कई गुणा बढ़ेगी। रोहित ठाकुर ने कहा कि 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सेब को विशेष उत्पाद श्रेणी का दर्ज़ा दिलाने व सेब पर आयात शुल्क तीन गुना बढ़ाने की बात की थी जिस पर केंद्र सरकार ने अब चुप्पी साध ली हैं।

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार शीतल पेय पदार्थों में कंपनियों को 5% सेब जूस मिलाने के लिए बाध्य करने की बात कही थी जिस बारें अभी तक कोई पहल सामने नहीं आई। केंद्र सरकार के ढुलमूल रवैये के चलते ईरान, तुर्की से अवैध रूप से रिकॉर्ड तोड़ सेब आयात हो रहा हैं जिससे बागवानों को भारी आर्थिक नुक़सान उठाना पड़ रहा हैं। रोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश पर 65000 करोड रुपए से अधिक का ऋण है जो प्रति व्यक्ति लगभग ₹1 लाख रुपए हैं।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक पर्वर्तीय राज्य हैं और यहाँ की विषम परिस्थितियों और राजकोषीय घाटे को देखते हुए हिमाचल को विशेष आर्थिक पैकेज दिया जाएं। रोहित ठाकुर ने कहा कि सेब की फ़सल ओलावृष्टि, बेमौसमी बर्फ़बारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बाग़वानों को भारी नुक़सान उठाना पड़ा जिसकी भरपाई के लिए सरकार से कोई राहत नहीं मिली।

उन्होंने हिमाचल प्रदेश को विशेष आर्थिक पैकेज, सेब को विशेष उत्पाद की श्रेणी में लाने, सेब व अन्य फसलों पर आयात शुल्क की सीमा बढ़ाने , कीटनाशक व फफूंदनाशक दवाईयों को जीएसटी से मुक्त करने व सेब पैकिंग सामग्रियों के दामों को प्रदेश सरकार द्वारा नियंत्रित करने की मांग की हैं।