आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व 9 अप्रैल से आरंभ हो रहा है, जिसमें हम परम ब्रह्म शक्ति की उपासना करके स्वयं को और अपने परिवार को दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से मुक्ति दिला सकते हैं। देवी भागवत के अनुसार दुर्गा ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में सृष्टि का सृजन, पालन और संहार करती हैं। भगवान शिव के कहने पर रक्तबीज शुंभ-निशुंभ, मधु-कैटभ आदि दानवों का संहार करने के लिए देवी पार्वती ने असंख्य रूप धारण किए किंतु देवी के प्रमुख नौ रूपों (मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री) की पूजा-अर्चना की जाती है।
नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी मां के विशिष्ट रूप को समर्पित होता है और हर स्वरूप की उपासना करने से अलग-अलग प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं। शास्त्रों की मान्यता है कि देवी इन नौ दिनों में पृथ्वी पर आकर अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूरकर उन्हें सुख-सौभाग्य, विद्या, दीर्घायु प्रदान करती है इसलिए नवरात्रि माता भगवती की साधना का श्रेष्ठ समय होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में पांच ज्ञान इन्द्रियां, पांच कर्म इन्द्रियां और एक मन इन ग्यारह को जो संचालित करती हैं वही परम शक्ति हैं जो जीवात्मा, परमात्मा, भूताकाश, चित्ताकाश और चिदाकाश में सर्वव्यापी है। इनकी श्रद्धाभाव से आराधना की जाए तो चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि देवी दुर्गा मां की पूजाविधि…..
नवरात्रि के दिन प्रातः घर को साफ-सुथरा करके मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और सुख-समृद्धि के लिए दरवाजे पर आम और अशोक के ताजे पत्तों का तोरण लगाएं। मान्यता है कि माता की पूजा के दौरान देवी के साथ तामसिक शक्तियां भी घर में प्रवेश करती हैं,लेकिन मुख्यद्वार पर बंदनवार लगी होने के कारण तामसिक शक्तियां घर के बाहर ही रहती हैं।
इस दिन सुबह स्नानादि करके माता दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर स्थापित करना चाहिए। मां दुर्गा की मूर्ति के बाईं तरफ श्री गणेश की मूर्ति रखें। उसके बाद माता के समक्ष मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं, जौ समृद्धि व खुशहाली का प्रतीक माने जाते हैं। मां की आराधना के समय यदि आपको कोई भी मंत्र नहीं आता हो तो केवल दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’ से पूजा कर सकते हैं व यही मंत्र पढ़ते हुए पूजन सामग्री अर्पित करें।
माता शक्ति का यह मंत्र अमोघ है। संभव हो तो देवी को श्रृंगार का सामान और नारियल-चुन्नी जरूर चढ़ाएं । अपने पूजा स्थल से दक्षिण-पूर्व की तरफ घी का दीपक जलाते हुए ‘ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्र जनार्दनः। दीपो हरतु में पापं पूजा दीप नमोस्तुते’ यह मंत्र पढ़ें और आरती करें। देवी मां की पूजा में शुद्ध देसी घी का अखंड दीप जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है,नकारात्मक ऊर्जाएं नष्ट होती हैं, रोग एवं क्लेश दूर होकर सुख-समृद्धि आती है।
देवी मां के मंत्र
मान्यता है कि अगर नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के मंत्रों का जाप पूरे भक्तिभाव से किया जाए तो व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है,जीवन भय एवं बाधारहित हो जाता है और साथ ही समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।3. ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
09 अप्रैल को कलश स्थापना के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। क्योंकि यह अभिजीत मुहूर्त है। कलश स्थापना, पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए अभिजीत मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ होता है।ब्रह्रा मुहूर्त- सुबह 04:31 से 05: 17 तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:57 से दोपहर 12: 48 तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:30 से दोपहर 03: 21 तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:42 से शाम 07: 05 तकअमृत काल: रात्रि 10:38 से रात्रि 12: 04 तक
निशिता काल: रात्रि 12:00 से 12: 45 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 07:32 से शाम 05: 06 तक
अमृत सिद्धि योग: सुबह 07:32 से शाम 05: 06 तक