रोहित के उजड़े खेतों में हरियाली लाई मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना, 70 से 85 प्रतिशत तक सरकारी अनुदान का प्रावधान

डेढ़ लाख रुपये के अनुदान से लगाई सौर ऊर्जा चालित करंटयुक्त बाड़

0
134

आदर्श हिमाचल ब्यूरो
हमीरपुर। खेती लायक सीमित जमीन पर कड़ी मेहनत से फसलें उगाने के बाद अगर इन लहलहाती फसलों को कोई जंगली जानवर या अन्य पशु पल भर में ही उजाड़ दे तो एक किसान के लिए इससे बड़ा दुर्भागय और क्या हो सकता है? हमीरपुर जिले सहित हिमाचल प्रदेश के कई इलाकों के किसान वर्षों से कुछ ऐसी ही गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। बंदरों, सूअर, सांभर इत्यादि जंगली व अन्य जानवरों की समस्या से बुरी तरह परेशान हो चुके इन क्षेत्रों के कई किसान या तो खेती से ही तौबा कर चुके हैं या फिर उन्हें अपनी फसलों को बचाने के लिए दिन-रात खेतों में पहरेदारी करनी पड़ रही है।
इन परिस्थितियों में कई किसान चाह कर भी खेती नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे किसानों के लिए प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना एक बहुत बड़ी उम्मीद लेकर आई है। इस योजना के तहत 70 से 85 प्रतिशत तक अनुदान पाकर किसान खेतों में साधारण तार की बाड़ या सौर ऊर्जा चालित करंटयुक्त बाड़ अथवा दोनों तरह की मिश्रित बाड़ लगाकर अपनी फसलों की रक्षा कर सकते हैं।
प्रदेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ उठाकर हमीरपुर जिला के कई प्रगतिशील किसान अब बेफिक्र होकर चैन की नींद सो रहे हैं और अपने खेतों से अच्छी पैदावार ले रहे हैं। अब उन्हें अपने खेतों की रखवाली के लिए रात-रात भर जागने की जरुरत नहीं पड़ती है। इन्हीं प्रगतिशील किसानों में से एक हैं हमीरपुर के कांगू क्षेत्र के गांव बुढाना के रोहित शर्मा।
यह भी पढ़ें: अब एमसी की पुरानी दुकानें प्री फैब आधुनिक निर्माण तकनीक से होगी तैयार
सरकारी क्षेत्र में सेवारत और खेती में गहन रुचि रखने वाले रोहित शर्मा तथा उनके पिता रतन चंद शर्मा अपनी चार कनाल से अधिक जमीन पर पिछले कुछ वर्षों से अच्छी पैदावार नहीं ले पा रहे थे। जंगली जानवर अक्सर उनके हरे-भरे खेतों को पूरी तरह उजाड़ देते थे। इस समस्या से तंग होकर उन्होंने कई बार तो खेती छोडऩे का भी विचार किया। लेकिन, इस बीच उन्हें प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना का पता चला और उनमें कुछ उम्मीद जगी।
कृषि विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन से उन्होंने मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत अपनी चार कनाल जमीन पर साधारण जाली और सौर ऊर्जा से चालित करंटयुक्त बाड़ लगवाने के लिए आवेदन किया। इस योजना की सहायता से रोहित ने लगभग दो लाख 17 हजार रुपये की लागत से 165 मीटर बाड़ लगाई। इस पर उन्हें विभाग की ओर से 70 प्रतिशत यानि करीब एक लाख 52 हजार रुपये अनुदान मिला। उन्होंने अपनी जेब से केवल 65 हजार की धनराशि ही खर्च की।

इस योजना में है 70 से 85 प्रतिशत तक सरकारी अनुदान का प्रावधान
इस योजना में है 70 से 85 प्रतिशत तक सरकारी अनुदान का प्रावधान
सरकारी अनुदान से बाड़ लगाने के बाद तो मानों रोहित के खेतों की तस्वीर ही बदल गई। कभी उजड़े-उजड़े से नजर आने वाले उनके खेतों में अब नकदी फसलें लहलहाने लगी हैं। इस खरीफ सीजन में उन्होंने अरबी, जिमी कंद, भिंडी, पपीता, तिल और अन्य नकदी फसलें लगाई हैं। खेतों में लहलहाती फसलों को देखकर रोहित और उनके वृद्ध पिता रतन चंद शर्मा आज बहुत प्रसन्न हैं और क्षेत्र के अन्य किसानों को भी मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना का लाभ उठाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। कृषि विभाग के नादौन कार्यालय के विषयवाद विशेषज्ञ सुरेश धीमान ने बताया कि क्षेत्र के कई किसान मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना का लाभ उठाने के लिए आगे आ रहे हैं।

मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना में किसानों के लिए हैं चार विकल्प

कृषि विभाग के उपनिदेशक जीत सिंह ठाकुर ने बताया कि किसानों की जरुरतों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने इस योजना में चार विकल्प दिए हैं। सौर ऊर्जा से चालित करंटयुक्त बाड़ पर किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। अगर किसान सामूहिक रूप से यह बाड़ लगाना चाहते हैं तो उनके समूह के लिए 85 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है। छोटे-छोटे जंगली जानवरों को रोकने के लिए इस करंटयुक्त बाड़ के साथ साधारण तार की जाली भी लगाई जा सकती है। इस मिश्रित बाड़ एवं जाली पर 70 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। केवल साधारण जाली या कंटीली तार की बाड़ पर भी 50 प्रतिशत अनुदान मिलता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here