जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण की फ़र्ज़ी रिपोर्ट दी है। जिस तरह से प्रदेश में आपदा आई। कृषि और बाग़वानी जैसे निकाय भारी आर्थिक नुक़सान से गुजरे। उद्योगों का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा। ऐसे में प्रदेश की आर्थिक वृद्धि जो सरकार द्वारा बताई गई है, वह समझ के परे है। इसी तरह से प्रति व्यक्ति आय से लेकर प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद के आँकडें भी गले से नहीं उतर रहे हैं।
हम पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाने वाले कांग्रेस के बजट पर एक बार नज़र डालने की आवश्यकता है। हमारी सरकार में वर्ष 2022-23 में हमारी सरकार ने लोन रीपेमेंट के लिए 10136 करोड़ रुपए की धनराशि रखी गई थी। कांग्रेस सरकार ने आते ही लोन लेने की स्पीड तो टॉप गियर में चलाई लेकिन लोन रीपेमेंट की दर आधी कर दी है। कांग्रेसनीत सुक्खू सरकार ने 2023-24 में 5486 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2024-25 में 5497 करोड़ रुपए ही लोन रीपेमेंट के लिए रखे गये हैं। सरकारें लोन लेती है विकास के लिए लेकिन लोन चुका भी देते हैं लेकिन यह सरकार सिर्फ़ लोन लेने में विश्वास रखती और दूसरे लोगों पर आरोप लगाने यक़ीन रखती हैं।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार पिछले वर्ष के बजट में की गई घोषणाओं को सरकार पूरा नहीं कर पाई। इस बार के बजट में भी पिछले बजट में की गई ज़्यादातर घोषणाओं को ही दुहराया गया है। सबसे अचरज की बात यह है कि जिन गारंटियों पर कांग्रेस सत्ता में आई इस बजट में उन गारंटियों का ज़िक्र तक नहीं है। दूसरे बजट में भी सरकार ने प्रदेश के युवाओं से लेकर महिलाओं, किसानों से लेकर बाग़वानों तक को निराश किया है। हिमाचल प्रदेश की जनता कांग्रेस के इस झूठ और गुमराह करने की राजनीति का जवाब देगी। ढाई घंटे के बजट स्पीच को सुनकर लगा कि मुख्यमंत्री अपनी पुरानी बजट स्पीच को ही पढ़ रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए कहा कि वे घोषणाएं करने की बजाय आप घोषणाओं के क्रियान्वयन पर कार्य करने की आवश्यकता है। अपने नाम पर योजनाओं का नाम रखकर मुख्यमंत्री हंसी का पात्र बन रहे हैं। मुख्यमंत्री ने जनता का भरोसा टूट चुका है और अब यह भरोसा सरकार फॉर से हासिल नहीं कर पाएगी। सरकार पूरी तरह से नाकाम हो गई है। आपदा राहत के नाम पर भी झूठ बोल रही है। सरकार से हर वर्ग नाराज़ है, निराश हैं। इस बजट को मैं सिरे से ख़ारिज करता हूँ।