मनरेगा मज़दूर फेडरेशन ने किया केंद्र सरकार के खिलाफ उपायुक्त कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन

कहा .... केंद्र की मोदी सरकार ले रही मज़दूर विरोधी फैसले

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। निर्माण व मनरेगा मज़दूर फेडेरेशन के देशव्यापी विरोध के आह्वान पर सोमवार को शिमला उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया। केंद्र सरकार द्धारा निर्माण मज़दूरों के कल्याण के लिए वर्ष 1996 में बने क़ानून को ख़त्म करने और उसे दूसरे श्रम अचार सहिंताओं में जोड़ने का जोरदार विरोध किया।केंद्र सरकार द्धारा कल्याण कानूनों व राज्य स्तर पर बने श्रमिक कल्याण बोर्डों को भंग करने की योजना बनाई जा रही है जिससे निर्माण व मनरेगा मज़दूरों को मिल रही सहायता बन्द हो जाएगी।
      यदि ऐसा किया गया तो हिमाचल प्रदेश राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड से पंजीकृत प्रदेश के लाखों मजदूरों को लैम्पए साईकलए कंबलए टिफ़िनए वाटर फिल्टरए डिन्नर सेटए बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कालरशिप व विवाह के लिए सहायता राशी के अलावा मैडिकल व प्रसूति प्रसुविधाए 60 साल के बाद पेंशन औऱ मृत्यु होने पर मिलने वाली लाखों रुपए की सहायता बन्द हो जाएगी प्रदर्शनों के माध्य्म से सरकार से मांग की गई और चेतावनी दी गई कि यदि मज़दूरों के कल्याण के लिए बने क़ानून और कल्याण बोर्डों को खत्म किया गया तो आने वाले समय में मज़दूर सड़कों पर उतर कर विरोध करने के लिए मजबूर होंगे।
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हिमाचल प्रदेश निर्माण मज़दूर फ़ेडरेशन के जिला महासचिव बाबू राम ने बताया कि केंद्र की मोदी सरकार लगातार मज़दूर विरोधी फैसले ले रही है और अब उसने मनरेगा और निर्माण मज़दूरों के कल्याण के लिए सयुंक्त मोर्चे की सरकार द्धारा 1996 में बने क़ानून को ही बदलने का फ़ैसला ले लिया है जिसका आज देशव्यापी विरोध किया गया। बाबू राम ने ये भी बताया कि फ़ेडरेशन मनरेगा मज़दूरों को साल में दो सौ दिनों का काम और 600 सौ रुपये मज़दूरी की भी मांग सरकार से कर रही है। इसके अलावा कोरोना महामारी के कारण हुए लॉक डॉउन के समय सभी मज़दूरों को मुफ्त राशन और बैंक खातों में 7500 सो रुपए प्रति महीने की दर से सहायता प्रदान करने की भी मांग सरकार और श्रमिक कल्याण बोर्ड शिमला से मांग की है।उन्होंने ये बताया कि हिमाचल प्रदेश में मार्च, अप्रैल और मई माह के जो दो दो हज़ार रुपये की सहायता राशि मिलनी है वह भी अभी तक सभी मज़दूरों को नहीं मिली है जिसे जल्दी जारी किया जाये और 1979 का अंतरराज्य प्रवासी मजदूर अधिनियम व 1996 का भवन एवं अन्य सहनिर्माण कामगार अधिनयम में किसी भी तरह का बदलाव ना करे । यूनियन मांग करती है कि हर मजदूर को 10 किलो का राशन दिया जाए ओर बिना आयकर दाता के मजदूरों को महीने का 7500 रुपए की मासिक सहायता दी जाए। 

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