अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव उन्मेष का रंगारंग शुभारंभ

आदर्श हिमाचल ब्रयूरो

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शिमला । संस्कृति राज्य मंत्री, भारत सरकार, अर्जुन राम मेघवाल एवं शिक्षा,भाषा एवं संस्कृति मंत्री, हिमाचल प्रदेश सरकार गोविंद सिंह ठाकुर इस अवसर पर उपस्थित रहे ।

अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव उन्मेष का रंगारंग शुभारंभ गेयटी के मुख्य सभागार में हुआ । संस्कृति राज्य मंत्री भारत सरकार अर्जुन राम मेघवाल एवं गोविंद सिंह, शिक्षा,भाषा एवं संस्कृति मंत्री, हिमाचल प्रदेश सरकार इस समारोह के मुख्य अतिथि थे और जगतगुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव का हिमाचल के लोक संगीत , पारंपरिक भारतीय नगाड़ा वादन और शंख ध्वनि के बीच रंगारंग उद्घाटन हुआ।

माननीय केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपने उद्घाटन वक्तव्य में कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर हमने पहले इस बड़े आयोजन के लिए शिमला को चुना है और संस्कृति मंत्रालय की, इस तरह के उत्सव जो हमारी भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं उन्हें देश के अन्य स्थानों पर भी आयोजित करने की योजना है।

हिमाचल प्रदेश के माननीय शिक्षा, भाषा एवं संस्कृति मंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि शिमला देवभूमि है और हम पहले अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव का अपने यहाँ आयोजित होने पर गर्व का अनुभव कर रहे हैं। हम देश विदेश के सभी अतिथियों का खुले दिल से स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि आप सभी यहाँ का स्वागत और सत्कार हमेशा याद रखेंगे।
जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने साहित्य की विस्तृत व्याख्या करते हुए विस्तार से बताते हुए कहा कि सहित का भाव ही साहित्य है। कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश की प्रथम महिला एवं उत्तरप्रदेश के पूर्व राज्यपाल माननीय राम नाईक भी उपस्थित थे। सत्र में संयुक्त सचिव, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार श्रीमती उमा नंदूरी, प्रथम सचिव, श्री आर डी नजीम भी उपस्थित थे ।

आज छह विभिन्न स्थानों पर 16 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। आज के मुख्य आकर्षणों में साहित्य और सिनेमा पर चर्चा थी, जिसकी अध्यक्षता प्रख्यात निर्देशक, लेखक और गीतकार गुलजार ने की। इस सत्र में अतुल तिवारी, गौतम घोष, रत्नोत्तम सेनगुप्ता और विशाल भारद्वाज ने सहभागिता की। सिनेमा और साहित्य पर ही आयोजित एक अन्य परिचर्चा में सई परांजपे की अध्यक्षता में निरुपमा कोतरू प्रबोध पारीख और यतींद्र मिश्र ने अपने विचार व्यक्त किए। एक अन्य सत्र में एलजीबीटीक्यू लेखकों के समक्ष चुनौतियों पर भी परिचर्चा हुई, जिसकी अध्यक्षता होशांग मर्चेंट ने की। आज का अन्य मुख्य आकर्षण था सोनल मान सिंह की कृष्ण कालिया नृत्य नाटिका तथा जय भास्कर द्वारा ताल वाद्य कचेरी की सुमधुर प्रस्तुति।

ज्ञात हो कि इस अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव में भारत सहित 15 देशों के 425 से अधिक लेखक, विद्वान, अनुवादक, फिल्मकार, पत्रकार एवं कलाकार भाग ले रहे हैं, जो 64 कार्यक्रमों में 60 भाषाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।