आदर्श हिमाचल ब्यूरो
मंडी।सीटू से सबंधित रेहड़ी फहड़ी वर्करज यूनियन ने पिछले कल नगर निगम मंडी के कमिश्नर एच एस राणा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक को गैर कानूनी बताया है और इसे मजदूरों का रोज़गार छीनने का एकतरफा कार्यवाई बताया है।ये बात आज मंडी में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान सीटू के ज़िला अध्यक्ष और राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड के सदस्य भूपेंद्र सिंह सीटू महासचिव राजेश शर्मा और रेहड़ी फहड़ी मज़दूर यूनियन के प्रधान सुरेंद्र कुमार और सचिव प्रवीण कुमार ने कही।।भूपेंद्र सिंह ने बताया कि जब से मंडी में नगर निगम बनी है तब से अब तक जो भी फ़ैसले टाउन वैंडिंग कमेटी में लिए गए हैं उनमें से कोई भी फैसला अभी तक लागू नहीं किया गया है और इसी मांग को पिछले कल यूनियन से जुड़े बैंडिंग कमेटी सदस्यों ने बैठक में उठाया जिसे कमिशन्नर ने अनसुना कर दिया और जिसके विरोध में यूनियन से जुड़े सभी सदस्यों ने बैठक से वाकआउट किया था।उन्होंने बताया कि पिछले कल आयोजित की गई बैठक गैर कानूनी प्रक्रिया के तहत बुलाई गई थी।क़ानून के तहत बने नियमों में टाउन वैंडिंग कमेटी की बैठक बुलाने के लिए सात दिन पहले नोटिस दिया जाना अनिवार्य है लेकिन इस बैठक की सूचना 19 अप्रैल शाम 4 बजे दी गई और अगले दिन सुबह 11 बजे बैठक आयोजित कर दी गई और बैठक का एजेंडा भी नहीं बताया गया था।उन्होंने आरोप लगाया कि निगम के कमिश्नर सदर के विधायक अनिल शर्मा की कठपुतली बनकर काम कर रहे हैं और ये सब उन्हीं के आदेशों से किया गया है।विधायक सकोढी पुल पर बनी नई पार्किंग को निगम को इस शर्त पर ट्रांसफर करने पर अड़े हुए हैं कि निगम पहले वहां से रेहड़ी वालों को हटाये अन्यथा वे इसे ज़िला प्रशासन को ट्रांसफर कर देंगे। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि इस स्थान पर ये रेहड़ी वाले कई वर्षों से अपना कारोबार करते हैं और उन्हें ये स्थान पूर्व परिषद के समय आवंटित किया गया है।लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अचानक से अनिल शर्मा की दखलंदाजी नगर निगम में बढ़ गई है और कमिशन्नर उनकी सलाह के आधार पर ये सब कुछ कर रहे हैं।जबकि प्रेदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार है और निगम के अधिकारी अभी भी भाजपा के विधायक के इशारों पर काम कर रहे हैं।जिस बारे कांग्रेस पार्टी की सरकार को भी संज्ञान लेना चाहिए और इस मज़दूर विरोधी अफ़सर के विरुद्ध एक्शन करना चाहिए।कमिशन्नर कि मज़दूर विरोधी कार्यप्रणाली का सबूत इस बात से मिल गया कि रेहड़ी फहड़ी धारकों को उजाड़ने बारे जो बैठक कल सुबह 11 बजे हुई और दोपहर बाद कल ही उसकी कार्यवाही भी जारी हो गई। लेक़िन पिछले साल अप्रैल औऱ दिसंबर में आयोजित हुई दो बैठकों के फैसलों की कार्यवाही 12 महीने में भी सदस्यों को उपलब्ध नहीं करवाई गई है।यही मुद्दा यूनियन ने मीटिंग में सबसे पहले उठाया और पिछले फैसलों को लागू करने की मांग उठाई तो उसे अनसुना कर दिया गया जिसके विरोध में यूनियन से जुड़े सभी सदस्यों ने बैठक से वॉक ऑउट कर दिया था।
भीबैठक से बहिष्कार करने के बाद भी कार्यवाई में ये दर्ज किया गया कि सकोढी पुल को सर्व सम्मति से नो वैंडिंग जोन घोषित कर दिया है और रेहड़ी वालों को वहाँ से 24 घण्टे में हटने के आदेश जारी कर दिये है।ये सब गैर कानूनी प्रक्रिया है कियूंकि टाउन वैंडिंग क़ानून 2014 के तहत यदि किसी को भी कहीं हटाना पड़े तो उसके लिए 30 दिनों का नोटिस और वैकल्पिक स्थान मुहैया करवाना ज़रूरी है।लेकिन कमिशन्नर ने पिछले डेढ़ साल से न तो अभी तो रेहड़ी फहड़ी वालों के सर्वेक्षण को जारी किया है और न ही वैंडिंग और नो वैंडिंग जोन नोटिफाई किये हैं और सदर के विधायक के इशारे पर 19 रेहड़ी वालों को वहां से हटाने का गैर कानूनी फ़ैसला जारी कर दिया है। भूपेंद्र सिंह ने बताया कि ये सब क़ानून की उलंघन्ना है जिसके लिए यूनियन कमिशन्नर को हाई कोर्ट में पहले से ही चल रहे मुकदमें में व्यक्तिगत रूप में पार्टी बनायेगी। 24बघण्टे से भी कम समय में बैठक आयोजित करना और दो घंटे में ही इस गैर कानूनी तौर पर बुलाई गई मीटिंग की कार्यवाई जारी करने से स्पष्ट है कि कमिशन्नर सीधे तौर पर भाजपा के विधायक की उंगलियों पर नाच रहे हैं और क़ानून की उलंघन्ना कर रहे हैं।यूनियन के प्रधान सुरेंद्र कुमार और सचिव प्रवीण कुमार ने कहा कि मंडी में रेहड़ियों के माध्यम से अपनी आजीविका कमाने वाले रेहड़ी धारकों को पिछले कुछ समय से परेशान किया जा रहा है और उनके रोज़गार की रक्षा करने के लिए 2014 में बने क़ानून की अवहेलना की जा रही है।जिसके चलते यूनियन ने माननीय उच्च न्यायालय में पहले से ही केस दर्ज किया है और उसके निर्णय के अनुसार किसी को भी उनके स्थानों से उनकी सहमति के बिना नहीं हटाया जा सकता है।इसलिए यूनियन ने पिछले कल अवैध रूप सारी कार्यवाही के सारे दस्तावेज हाई कोर्ट के वकील को भेज दिए हैं और कमिशन्नर के विरुद्ध व्यक्तिगत तौर पर मुकदमा दर्ज करने के लिए कहा है।उन्होंने कहा कि अगर किसी भी अधिकारी व कर्मचारी ने इसके बाद भी रेहड़ी वालों को परेशान किया तो उन्हें भी कोर्ट का सामना करना पड़ेगा।उन्होंने बताया कि दिसंबर 2022 में हुई बैठक के फैसलों को जल्दी लागू नहीं किया गया तो यूनियन निगम के ख़िलाफ़ आंदोलन छेड़ेगी।