प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) ने जताई चिंता

आदर्शहिमाचल ब्यूरो 

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शिमला। प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) ने अपनी चिंता व्यक्त की है। कोविड महामारी से निपटने के लिए और प्रदेष की स्वास्थ्य व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए सी.पी.आई.एम ने आईजीएमसी के प्रिंसिपल डॉ. रजनीश पठानिया को ज्ञापन देकर सुझाव दिये।

सीपीआई(एम) की ओर से विधायक राकेश सिंघा और सचिव मण्डल सदस्य डाॅ. कुलदीप सिंह तँवर ने राज्य अस्पताल के प्राचार्य से कोविड मरीज़ों के प्रबंधन में आ रही दिक्कतों और उनकी देखभाल में होने वाली चूक और कमियों को लेकर चर्चा की।
सीपीआई(एम) का मानना है कि प्रदेश में कोविड संक्रमित रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसे देखते हुए सरकार कोतुरन्त प्रभाव से युद्ध स्तर पर हस्तक्षेप करने की आवष्यकता है। माकपा ने कहा कि इस समय आक्सीज़न की आपूर्ति कोविड महामारी में सबसे अहम और जीवनरक्षक उपाय के तौर पर सामने आ रही है। इसकी निर्बाध सप्लाई महामारी से निपटने में एक बड़ी रुकावट भी बनती जा रही है।

आक्सीज़न की मांग के कारण इसके वितरण के बुनियादी ढांचे पर दबाव बढ़ता जा रहा हे। माकपा ने सरकार से मांग की है कि वह जनता को आक्सीज़न की कमी न होने को लेकर आश्वस्त करे। माकपा ने सरकार को सुझाव दिया कि ऑक्सीजन की आपूर्ति पाइप के ज़रिये, सिलेंडर और कंसन्ट्रेटर माध्यम से सुनिश्चित की जानी चाहिए।

सीपीआई(एम) ने कहा कि टरषरी स्तर के अस्पतालों को चौबिसों घंटे इसकी आवश्यकता होती है। इसलिए पाइप द्धारा आक्सीजन की सप्लाई को केन्द्रीयकृत करते हुए इसे ऑक्सीजन निर्माताओं से जोड़ा जा सकता है जो एक पंपिंग स्टेशन को पर्याप्त सिलेंडर की आपूर्ति करते हैं। सीपीआईएम का सुझाव था कि कम लागत वाले ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित किए जाने चाहिए।
सीपीआई एम ने सरकार को सुझाव दिया कि ऑक्सीजन सिलेंडर से लैस बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जाए सुसज्जित बेड बढ़ाए जाने चाहिए। वहीं दुर्गम क्षेत्रों के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी एक बहुत अच्छा विकल्प है।

सीपीआई(एम) ने कोविड परीक्षण की जांच में तेजी लाने का सुझाव भी दिया। पार्टी ने कहा कि पूरे विश्व में ऊंची परीक्षण दर ने महामारी के प्रभाव को कम करने, संक्रमित रोगियों के परीक्षण, संक्रमित रोगियों को आइसोलेशन में डालने और उनके इलाज को सुनिश्चित किया है।

सीपीआई(एम) ने कहा कि न केवल परीक्षण को बढ़ाया जाना चाहिए बल्कि जांच नमूनोें को एकत्र करने से लेकर प्रयोगशाला में पहुंचाने और इसकी रिपोर्ट में हो रही देरी को भी दुरुस्त और समयबद्व करने की आवश्यकता है। इसे प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। रोगग्रस्त और बीमार रोगियों को नियमित व्यक्तियों पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए जिन्हें यात्रा और अन्य उद्देश्यों के लिए परीक्षण किया जा रहा है।

कोविड के दौरान अस्पताल में देखभाल करने वालों की कमी मरीजों के लिए अत्यंत कष्टदायक हो रही है। अटेंडेंट की कमी के कारण अस्पतालों में मरीज़ों को ‘भावनात्मक ब्रेकडाउन‘, अकेलापन और अन्य कठिनाइयों से गुज़रना पड़ता है। उनके भोजन, कपड़ों से लेकर जटिल उपचार की देखभाल तक में तीमारदार की भूमिका महत्वपूर्ण है। अस्पताल के माहौल में मरीज़ के परेशान और उदास होने का भय है। कोविड-19 अस्पतालों में तीमारदारों को जाने की अनुमति कोविड रोगियों को मदद कर सकती है, विशेष रूप से उन्हें आराम और भावनात्मक सम्बल दे सकती है।

कोविड मरीज़ों की मदद क लिए प्रतिबद्ध स्वास्थ्य परिचारकों की बहुत आवश्यकता है ताकि ऑक्सीजन की निरंतर आपूर्ति में कमी और थकावट की स्थितियों को सम्भाल सके। स्वास्थ्य देखभाल पर अत्यधिक दबाव से निपटने के लिए अल्पवधि इंतज़ा के तौर पर वार्ड बॉय और नर्सों की संख्या को बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि दबाव को कम किया जा सके।

सीपीआई(एम) ने कहा कि टीकाकरण बढ़ाने और इसे सार्वभौमिक बनाने की आवश्यकता है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार हिमाचल में केवल 3,84,132 लोग ही (10 मई 2021 को) वैक्सीन की दूसरी डोज़ ले पाए हैं। लगभग 5 प्रतिशत (5.2 प्रतिशत) व्यक्तियों ने टीका लगाया और 1 प्रतिषत कोविड के बाद ठीक हुए हैं यानी कुल कुल जनसंख्या का केवल 6 प्रतिषत हिस्सा ही कोविड इम्युन हो पाया है।

तीसरी लहर के प्रभाव को कम करने के लिए टीकाकरण को बढ़ाकर जनसंख्या की रक्षा करना एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप होगा। पूरे देश में 18-44 वर्ष के आयु वर्ग के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है लेकिन हिमाचल में इस आयु वर्ग के लिए टीकाकरण अभी भी शुरू नहीं किया गया है। इस आयु वर्ग के लोगों को कैजुुएलिटी से बचाने के लिए इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए।

मानसिक सेहत को मजबूत करना: अस्पतालों और कोविड देखभाल केंद्रों में उचित मनोवैज्ञानिक सहायता के बिना मरीज़, परिचारक, गैर-कोविड रोगी और डॉक्टर सहित स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता तनाव और चिंता का शिकार हो रहे हैं।स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का क्रोध और पीड़ा उन पर काम के अधिक दबाव, अधिक तनाव की ओर इषारा करता है। अलगाव, संगरोध और कोविड देखभाल केंद्रों में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और परामर्शदाताओं को तैनात करने की आवश्यकता है। प्रषिक्षणों का आयेजन करके अल्पावधि के लिए राज्य के सभी 12 जिलों में मनोचिकित्सकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, नैदानिक मनोवैज्ञानिकों चैबिसों घंटे हेल्पलाइन पर मदद के लिए परामर्षदाताओं की टीमों का गठन किया जाना चाहिए।

सीपीआई (एम) ने कहा कि वह इस संबंध में स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के सभी प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है और सरकार से उम्मीद करती है कि वह इस स्वास्थ्य संकट के प्रबंधन के लिए वह तत्काल कदम उठाएंगी। ज्ञापन की प्रतियां मुख्य सचिव, प्रधान सचिव (स्वास्थ्य), विशेष सचिव (स्वास्थ्य) और एमडी एनएचएम, निदेशक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण हिमाचल प्रदेश सरकार को भी प्रेषित की गई।