मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी और असमानता का बढ़ा संकट  

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। हिमाचल होटल मजदूर लाल झंडा यूनियन सम्बन्धित सीटू का 30वां सम्मेलन सीटू कार्यालय किसान मजदूर भवन चिटकारा पार्क कैथू शिमला में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में छः रिक्त स्थानों सहित 31 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। प्रताप चौहान को अध्यक्ष, विक्रम शर्मा को महासचिव, पूर्ण चंद शर्मा को कोषाध्यक्ष, विनोद बिरसांटा, सतपाल बिरसांटा, देशराज को उपाध्यक्ष, कपिल नेगी, सुरेश शर्मा, प्रकाश शर्मा को सचिव चुना गया। सतपाल, शंकर, विरेन्द्र नेगी, सतीश, रती राम, सन्त राम, दुष्यंत, श्याम, महेंद्र, राजेन्द्र, सन्तोष, सुभाष, मनोहर, राजेश, मुकेश, प्रवीण व राम लाल को कमेटी सदस्य चुना गया। सम्मेलन का उद्घाटन सीटू जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा व समापन अजय दुल्टा ने किया। सम्मेलन में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, उपाध्यक्ष जगत राम, जिला कोषाध्यक्ष बालक राम, उपाध्यक्ष हिमी देवी, सुनील मेहता व दलीप सिंह शामिल रहे।

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नव निर्वाचित अध्यक्ष प्रताप चौहान व महासचिव विक्रम शर्मा ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भुखमरी बढ़ रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमज़ोर करने के कारण बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हो रही है। उन्होंने न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को पेंशन सुनिश्चित करने; मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने, कॉन्ट्रेक्ट, पार्ट टाइम, मल्टी पर्पज, मल्टी टास्क, टेम्परेरी, कैज़ुअल, फिक्स टर्म, ठेकेदारी प्रथा व आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर इन सभी मजदूरों को नियमित करने, नौकरी से बाहर किये गए सैंकड़ों कोविड कर्मियों को बहाल करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ मनरेगा में 375 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने की मांग की।

 

उन्होंने सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण व विनिवेश को रोकने, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन व अग्निपथ योजना को खत्म करने, महंगाई को रोकने और डिपुओं में राशन प्रणाली को मजबूत कर उसे सार्वभौमिक बनाने, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा वर्करज़ सहित सभी योजना कर्मियों को नियमित करने, बिजली बोर्ड, नगर निगमों, अन्य बोर्डों व निगमों के कर्मचारियों के लिए ओपीएस लागू करने, बीआरओ का निजीकरण रोकने व बीआरओ मजदूरों को नियमित करने, तयबजारी के लिए स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट लागू करने, मोटर व्हीकल एक्ट में मजदूर व मालिक विरोधी बदलाव वापिस लेने की मांग की।