संपादकीय: इस साल रिकॉर्ड स्‍तर पर था फॉसिल फ्यूल जनित कार्बन एमिशन 

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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शिमला । फॉसिल फ्यूल से वैश्विक स्तर पर होने वाले एमिशन में वर्ष 2023 में एक बार फिर उछाल आया है और अब यह रिकॉर्ड स्‍तर पर पहुंच गया है। ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट की विज्ञान टीम के एक नये शोध में यह बात सामने आयी है।

ग्लोबल कार्बन बजट के सालाना अनुमान के मुताबिक वर्ष 2023 में 36.8 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) के एमिशन का अनुमान लगाया है। यह वर्ष 2022 के मुकाबले 1.1 बिलियन टन ज्‍यादा है। यूरोप और अमेरिका समेत कई क्षेत्रों में फॉसिल फ्यूल जनित सीओ2 के एमिशन में गिरावट आयी है मगर कुल मिलाकर यह बढ़ ही रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि फॉसिल फ्यूल के इस्तेमाल में कमी लाने के लिये वैश्विक स्‍तर पर उस रफ्तार से काम नहीं हो रहा है जितना कि खतरनाक हो चुके जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिये किया जाना चाहिये।
भू-उपयोग परिवर्तन (जैसे कि वनों का कटान) के कारण होने वाले एमिशन में हल्की गिरावट आने की संभावना है लेकिन अब भी पुनर्वनीकरण और वनरोपण के मौजूदा स्तर से इसकी भरपाई नहीं की जा
सकती है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि वर्ष 2023 में वैश्विक स्‍तर पर 40.0 बिलियन टन सीओ2 का एमिशन (जीवाश्‍म+भू-उपयोग) होगा। यह वर्ष 2022 के स्तरों के लगभग बराबर ही है और यह 10 साल से चल रहे तकरीबन उसी ढर्रे का हिस्सा है। दरअसल यह एमिशन में तेज गिरावट वाली बात कतई नहीं है, जबकि जलवायु सम्बन्धी लक्ष्यों को हासिल करने के लिये ऐसा तत्काल करना जरूरी है।
यह अध्‍ययन करने वाली टीम में यूनिवर्सिटी ऑफ एक्‍जीटर, यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया (यूएई),
सिसेरो सेंटर फॉर इंटरनेशनल क्‍लाइमेट रिसर्च, लुडविग-मैक्सिमिलियन-यूनिवर्सिटी म्यूनिख तथा दुनिया
के 90 अन्‍य संस्‍थानों के विशेषज्ञ शामिल हैं।
इस अध्‍ययन के नेतृत्वकर्ता और एक्‍जीटर के ग्लोबल सिस्‍टम्‍स इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर पियरे फ्रीडलिंगस्‍टीन ने कहा, “जलवायु परिवर्तन के प्रभाव हम सबके सामने जाहिर है मगर फॉसिल फ्यूल से निकलने वाले कार्बन के एमिशन को कम करने के लिये की जा रही कार्रवाई की रफ्तार चिंताजनक रूप से बेहद धीमी है।”
“अब यह अपरिहार्य लगता है कि हम पेरिस समझौते के तहत ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लक्ष्य का उल्लंघन कर जाएंगे। ऐसे में हमें कॉप 28 में शामिल हो रहे वैश्विक नेताओं को दो डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य की उम्मीद जिंदा रखने के लिए भी जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन में तेजी से कटौती पर सहमत होना पड़ेगा।”
तो कब हम ग्लोबल वार्मिंग के 1.5 डिग्री सेल्सियस को पार कर लेंगे?

इस अध्‍ययन में पिछले अनेक सालों में डेढ़ डिग्री सेल्सियस की उम्मीदों को सिर्फ एक साल ही नहीं बल्कि लगातार घायल किये जाने के बाद बचे कार्बन बजट के बारे में भी अनुमान लगाया गया है।
ग्‍लोबल कार्बन बजट की टीम ने एमिशन के मौजूदा स्तरों पर अनुमान लगाया है कि ग्लोबल वार्मिंग लगभग सात वर्षों में लगातार 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाने की 50% आशंका है।
यह अनुमान बड़ी अनिश्चितताओं के अधीन है। मुख्य रूप से गैर-सीओ2 तत्वों से आने वाली अतिरिक्त वार्मिंग से जुड़ी अनिश्चितता की वजह से, विशेष रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य के लिए जो वर्तमान वार्मिंग स्तर के करीब पहुंच रहा है।
हालांकि, यह साफ है कि बचा हुआ कार्बन बजट बहुत तेजी से खत्म हो रहा है। ऐसे में ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने और जलवायु परिवर्तन के सबसे भयानक परिणामों को टालने की संभावनाएं भी बहुत तेजी से क्षीण हो रही है।
यूएई के स्‍कूल ऑफ एनवॉयरमेंटल साइंसेज में रॉयल सोसाइटी रिसर्च प्रोफेसर कॅरिन लॅ क्‍वैरे ने कहा, ‘‘सीओ2 के ताजा आंकड़ों से जाहिर होता है कि वर्तमान प्रयास इतने गहरे या व्यापक नहीं हैं कि वैश्विक उत्सर्जन को नेट जीरो की ओर ले जा सकें, लेकिन उत्सर्जन में कुछ रुझान दिखने लगे हैं, जिससे पता चलता है कि जलवायु नीतियां प्रभावी हो सकती हैं। वर्तमान में वैश्विक एमिशन के स्तरों की वजह से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड बहुत तेजी से बढ़ रही है। नतीजतन और भी ज्‍यादा जलवायु परिवर्तन हो रहा है और उसके परिणामों की गंभीरता भी बढ़ रही है।”
“जलवायु परिवर्तन के बुरे प्रभावों से बचने के लिए सभी देशों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं को वर्तमान की
तुलना में और भी ज्‍यादा तेजी से डेकार्बोनाइज करने की जरूरत है।
2023 ग्लोबल कार्बन बजट के अन्य प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं :
· क्षेत्रीय रुझान नाटकीय रूप से अलग-अलग होते हैं। वर्ष 2023 में भारत में उत्सर्जन में (8.2%) और चीन (4.0%) में वृद्धि होने और यूरोपीय संघ (-7.4%), अमेरिका (-3.0%) और शेष विश्व में (-0.4%) गिरावट का अनुमान है।
· कोयले (1.1%), तेल (1.5%) और गैस (0.5%) से होने वाले एमिशन में बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
· वर्ष 2023 में वायुमंडलीय सीओ2 का स्तर औसतन 419.3 भाग प्रति मिलियन होने का अनुमान है।
यह पूर्व-औद्योगिक स्तर से 51% अधिक है।
· उत्सर्जित सीओ2 का लगभग आधा हिस्सा भूमि और महासागर रूपी ‘सिंक’ द्वारा सोख लिया जाता है। बाकी हिस्सा वायुमंडल में रहता है, जहां यह जलवायु परिवर्तन का कारण बनता है।
· वर्ष 2023 में सीओ2 के वैश्विक एमिशन औसत से ज्‍यादा (वर्ष 2003 से मिले उपग्रहीय रिकॉर्ड के आधार पर) हो गया है। ऐसा कनाडा के जंगलों में आग लगने के चरम मौसम की वजह से हुआ है जहां एमिशन की मात्रा औसत से छह से आठ गुना ज्‍यादा था।
· प्रौद्योगिकी-आधारित कार्बन डाइऑक्साइड रिमूवल (यानी पुनर्वनीकरण जैसे प्रकृति-आधारित साधनों को छोड़कर) का वर्तमान स्तर लगभग 0.01 मिलियन टन सीओ2 है, जो वर्तमान जीवाश्म सीओ2 उत्सर्जन से दस लाख गुना कम है।
दुनिया के 120 से ज्‍यादा वैज्ञानिकों की अंतरराष्‍ट्रीय टीम द्वारा तैयार की गयी ग्‍लोबल कार्बन बजट रिपोर्ट एक सहयोगी द्वारा समीक्षित वार्षिक अपडेट है। इसे स्‍थापित पद्धतियों का इस्‍तेमाल करके पूरी तरह पारदर्शी तरीके से तैयार किया गया है। इस संस्‍करण (18वीं वार्षिक रिपोर्ट) को ‘अर्थ सिस्‍टम साइंस डेटा’ पत्रिका में प्रकाशित किया जाएगा।