आदर्श हिमाचल ब्यूरों
नई दिल्ली । हिमाचल प्रदेश के निदेशक उद्यान, विनय सिंह (IAS) ने 18 से 20 सितम्बर 2025 तक भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित रेफकोल्ड इंडिया कॉन्क्लेव के 8वें संस्करण में भाग लेकर राज्य की बागवानी के लिए आधुनिक कोल्ड चेन अवसंरचना की आवश्यकता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश जैसे बागवानी प्रधान राज्य के लिए मजबूत कोल्ड चेन नेटवर्क समय की आवश्यकता है। इससे न केवल तुड़ान के बाद होने वाले 35 से 40 प्रतिशत तक के नुकसानों में कमी आएगी, बल्कि किसानों के उत्पाद की गुणवत्ता और शेल्फ लाइफ भी बेहतर होगी। उन्होंने यह भी बताया कि आधुनिक शीत भंडारण सुविधाओं के माध्यम से किसानों को बाज़ार में अधिक लाभकारी मूल्य प्राप्त होंगे, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।
विनय सिंह ने राज्य की वर्तमान स्थिति पर जानकारी देते हुए बताया कि हिमाचल प्रदेश प्रतिवर्ष लगभग 7 से 8 लाख मीट्रिक टन फल उत्पादन करता है, जिसमें से 5 से 6 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। वर्तमान में प्रदेश में कुल 25 नियंत्रित वायुमंडल (CA) और 18 कोल्ड स्टोर उपलब्ध हैं, जिनकी क्षमता लगभग 99,654 मीट्रिक टन है। हालांकि, मांग और उत्पादन की दृष्टि से अभी भी लगभग 1,20,000 मीट्रिक टन अतिरिक्त भंडारण क्षमता की आवश्यकता है।
निदेशक उद्यान ने बताया कि इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए विभाग द्वारा एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) के अंतर्गत कई पहलें की जा रही हैं। इनमें प्रमुख हैं—सौर ऊर्जा संचालित सूक्ष्म कोल्ड स्टोरेज (10 मीट्रिक टन प्रत्येक) की स्थापना (ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड – EESL के सहयोग से), तथा 30 मीट्रिक टन क्षमता वाले कोल्ड रूम (स्टेजिंग यूनिट्स) की स्थापना, जो किन्नौर, शिमला, मंडी,बिलासपुर, काँगड़ा सहित विभिन्न जिलों में की जा रही है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि ये प्रयास किसानों को न केवल आधुनिक शीत भंडारण और प्रसंस्करण सुविधाएँ उपलब्ध कराएंगे, बल्कि उन्हें अपने उत्पाद का मूल्य संवर्धन कर बेहतर आर्थिक लाभ लेने का अवसर भी देंगे।
इस अवसर पर डॉ. समीर सिंह राणा (विषय विशेषज्ञ, MIDH cum परियोजना एवं योजना) और डॉ. कुशाल सिंह मेहता (विषय विशेषज्ञ, उद्यान, शिमला) ने भी सम्मेलन में भाग लिया और आधुनिक कोल्ड चेन प्रबंधन से जुड़े विभिन्न तकनीकी सत्रों में हिस्सा लिया। दोनों अधिकारियों ने बताया कि जबकि कई देशों में कोल्ड चेन प्रणाली अत्यधिक विकसित है, भारत में अभी इस दिशा में ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।
उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया कि इस वर्ष हिमाचल प्रदेश में हुई लंबी वर्षा और सड़कों के बाधित होने के कारण अनेक बगिचो में फलों की भारी बर्बादी हुई। यह परिस्थिति इस बात की ओर संकेत करती है कि विकेन्द्रीकृत भंडारण सुविधाएँ किसानों के लिए अनिवार्य हो चुकी हैं। यदि किसान 10 मीट्रिक टन क्षमता वाले छोटे ऑन-फार्म स्टोरेज यूनिट्स अपनाते हैं, जिनके लिए उद्यान विभाग ₹10 लाख की सब्सिडी उपलब्ध करवा रहा है, तो वे अपने उत्पाद को सुरक्षित रखकर समय पर बाजार में बेच सकेंगे और नुकसान से बच सकेंगे।
सम्मेलन का समापन इस आह्वान के साथ हुआ कि हिमाचल प्रदेश में आधुनिक कोल्ड चेन नेटवर्क की स्थापना हेतु किसान, नीति निर्माता और अन्य हितधारक मिलकर काम करें, ताकि बागवानों की उपज सुरक्षित रहे और राज्य की बागवानी अर्थव्यवस्था और अधिक मजबूत बन सके।