संपादकीय: जंगलों में आग की घटनाएं, भारत की अध्यक्षता में जी-20 के माध्यम से प्रत्युत्तर की तैयारी

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

 

शिमला।  पिछले कुछ दशकों में जंगलों में आग लगने की घटनाओं में  काफी तेजी आई है। इन घटनाओं से कनाडा के बोरियल जंगलों और ब्राजील के अमेजोन के वर्षा वनों जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक कार्बन सिंक क्षेत्रों को अत्यधिक नुकसान हुआ है। मार्लीलैंड विश्वविद्यालय के एक नए अध्ययन में पाया गया कि जंगलों में आग लगने की घटनाओं के कारण अब 2001 की तुलना में, प्रति वर्ष 3 मिलियन हेक्टेयर अधिक वृक्षों को नुकसान हो रहा है, जो पिछले 20 वर्षों में सभी वृक्षों के नुकसान की तुलना में एक-चौथाई से अधिक है। आग की घटनाओं  की पुनरावृत्ति, तीव्रता और भौगोलिक प्रसार में इस खतरनाक वृद्धि ने पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव और मानव गतिविधियों की क्षमता के बारे में चिंताओं को जन्म दिया है।

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जलवायु परिवर्तन के कारण आग की घटनाओं में वृद्धि हुई है। 150 साल पहले की तुलना में गर्म हवाओं (हीट वेव) की तीव्रता पांच गुना अधिक हो गई हैं। इस प्रकार भूसंरचना का निर्जलीकरण होने से जंगलों में आग लगने की और भी अधिक घटनाओं के लिए अनुकूल वातावरण तैयार होता है। इसके परिणामस्वरूप उत्सर्जन में वृद्धि होती है और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव तेज होता है। जलवायु परिवर्तन के कारण भूसंरचना का निर्जलीकरण भी वनों की कटाई में योगदान देता है।

भारत की स्थिति  

भारत ने अपने क्षेत्र के जंगलों में आग लगने की घटनाओं को लेकर निगरानी प्रणालियों का विस्तार करके विश्व भर में जंगलों में आगजनी के बढ़ते मामलों की रोकथाम की दिशा में पहल की है। भारत के 25 प्रतिशत जंगल आग के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं, लेकिन केवल 3 प्रतिशत वृक्ष आवरण का नुकसान जंगल की आग के कारण होता है। भारतीय वन सर्वेक्षण ने आगजनी की बड़ी घटनाओं की तत्काल एवं निरंतर निगरानी और ट्रैकिंग के लिए जंगल की आग से संबंधित डेटा को उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरैक्टिव दृश्य प्रदान करने के लिए वन अग्नि जियो-पोर्टल विकसित किया है। यह पोर्टल भारत में जंगल की आग से संबंधित जानकारी के लिए एकल बिंदु स्रोत के रूप में काम करेगा। जंगल की आग का प्रबंधन जल्द ही राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के दायरे में होगा, जिससे जंगल की आग का प्रभावी तौर पर तत्काल प्रबंधन सुनिश्चित हो सकेगा।

अधिकारियों की ओर से तकनीकी और नियामक उन्नयन के अलावा जंगल की आग  की प्रबंधन रणनीति को प्रभावी ढंग से सुधारने के लिए सामूहिक कार्रवाई के उपायों को अपनाया जा रहा है। संयुक्त वन प्रबंधन (जेएफएम) का उपयोग जंगल की आग की रोकथाम और प्रबंधन में स्थानीय समुदायों को शामिल करने के लिए किया गया है। सुरक्षा और संरक्षण को लेकर गतिविधियों के विस्तार के लिए देश भर में ग्रामीण स्तर पर जेएफएम समितियां स्थापित की गई हैं। वर्तमान में पूरे देश में 36,165 जेएफएम समितियां हैं, जो 10.24 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को कवर करती हैं।