- पिता पेंटिग और मॉडल बनाने में थे माहिर
- मां एक अच्छी लेखक
- शिमला की रहने वाली दीपिका राय
- दीपिका एचपीयू से अग्रेजी साहित्य में कर रही पीएचडी
शिमला: हमें अपने हुनर का अहसास हो तो फिर एक दिन हमारा हुनर दुनिया में राज करता है. भगवान ने कोई न कोई हुनर हमें जरूर दिया होता है. बस उसे पहचान कर आगे बढ़ना होता है. एक न एक दिन आप को सफलता जरूर मिलेगी. ऐसे एक शक्स का जिक्र करने जा रहा हूं जिसकी उंगलियों में हूबहू किसी को कागज पर उकरेने का हुनर है. अपने शौक के तौर पर पेटिंग करने वाली दीपिका राय शिमला की रहने वाली है. दीपिका राय के पिता शिव शरण दास जी भी पेंटिग और मॉडल बनाने के काफी शौकीन थे. लेकिन वर्ष 2008 में अचानक उनका स्वर्गवास हो गया. मगर पिता का शौक बेटी में खुदबखुद ही आ गया था. बचपन में थोड़ी बहुत पेंटिग दीपिका करती थी. डीएवी टुटू और डीएवी लक्कड़ बाजार से स्कूली शिक्षा पूरी की. सेंटर आफ एक्सीलेंस संजौली कॉलेज से स्नातक की डिग्री उतीर्ण करने के बाद हिमाचल प्रदेश विवि में एमए इंग्लिश की पढ़ाई की. फिर एमफिल करने बाद पीएचडी की पढ़ाई वर्तमान कर रहे है. मगर वर्ष 2015 में दीपिका का एक्सीडेंट हो गया और डाक्टर ने बेड रेस्ट करने को कहा था. फिर दीपिका कुछ दिनों तक को पढ़ाई में व्यस्त रहने लगी लेकिन एक दिन उसने फिर से अपना ध्यान पेटिंग पर लगाना शुरू कर दिया. फिर पेटिंग का सिलसिला बढ़ता गया. डेढ़ वर्ष तक दीपिका बेड पर ही रही थी. वर्ष 2019 में दो प्रदर्शनियों में हिस्सा लिया. वर्ष 2019 से लेकर आज तक दीपिका राय अपनी बनाई हुई 32 पेटिंग को बेच चुकी है और ये आज घर बैठे ही दीपिका आय का साधन बन चुकी है. दीपिका को कहानियां लिखने का भी शौक भी है. लघु कहानियां द ट्रिब्यून और द स्टेटसमेन न्यूजपेपर में कई बार छप भी चुकी है. दिलचस्प बात है कि दीपिका की माता आरती भी एक लेखक है और भाई ऋषि ग्राफिक डिजाईनर के साथ आर्टिस्ट है.
क्या कहती है दीपिका राय
दीपिका का कहना है कि आज अगर कुछ अलग कर पा रही हूं तो उसके पीछे मेरी मां और भाई का सबसे अधिक सहयोग है . उन्होंने मुझे हमेशा प्रोत्साहित ही किया. मैं आज भी अपने पिता जी की बनाई हुई पेंटिग और मॉडल को देखती तो मुझे जिंदगी में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है. मैं उनकी तरह पेंटिग तो बना नहीं सकती लेकिन कोशिश हमेशा जारी रखती हूं. मैंने अलग अलग मीडियम में पेंटिग बनाई है. मगर चारकोल के माध्यम से पेंटिग बनाना मुझे काफी पंसद है. अभी आगे और पेंटिग में प्रेक्टिस करना चाहती हूं. माता जी अपने कारोबार चलाते थे. लेकिन लाकडाउन में दुकान बंद कर दी. मुझे टिचिंग में जाना है लेकिन अपने हुनर को छोड़ना नहीं चाहती हूं. पेंटिग और कहानियां लिखना मेरे जीवन का अभिन्न अंग है. मैं सभी से कहना चाहती हूं अपने हुनर को हमेशा तराशों उसे कभी दबाओ नहीं.
इस तरह के लेख लिखने का मेरा मकसद है कि अपने हुनर का पहचान कर हम सब आगे बढ़े और जो लोग हुनर मंद है उनसे प्ररेणा लें. मेरा आग्रह है कि अगर आपको इनकी पेंटिग पंसद है तो आप दीपिका की बनाई हुई पेटिंग को खरीद सकते है.
अजय बन्याल (लेखक)