फीचर: सफलता की कहानी: एचपी शिवा परियोजना से बकारटी में भी आई मौसंबी की बहार

गांव बकारटी के 24 किसानों की भूमि पर लगाए गए हैं 2300 पौधे, शुरुआती दौर में ही उत्तम क्वालिटी के फल दे रहे हैं ये पौधे

फोटो कैप्शन: गांव बकारटी की बागवान संतोष कुमारी और रमेश कुमार
फोटो कैप्शन: गांव बकारटी की बागवान संतोष कुमारी और रमेश कुमार

आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

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हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश के कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों मंे फलों और अन्य नकदी फसलों की खेती को बढ़ावा देकर किसानों-बागवानों की आय में वृद्धि करने के लिए राज्य सरकार द्वारा आरंभ की गई एचपीशिवा परियोजना इन निचले क्षेत्रों में बागवानी की नई कहानी लिख रही है। बहुत कम अवधि में ही इस परियोजना के उत्साहजनक परिणाम सामने आने लगे हैं। परियोजना के प्रारंभिक दौर में विकसित किए गए बागीचों में फल लगने से बागवानों को एक नई उम्मीद नजर आने लगी है। जिला हमीरपुर के गांव बकारटी में भी इसी परियोजना के तहत विकसित बागीचे में आजकल मौसंबी की बहार दिख रही है।

कई पीढ़ियों से केवल गेहूं और मक्की की खेती करने वाले बकारटी के किसानों ने अब अपनी आय बढ़ाने के लिए एचपीशिवा परियोजना की मदद से बागवानी की राह भी पकड़ ली है। परियोजना के तहत गांव के 24 किसानों की लगभग 2 हैक्टेयर भूमि पर मौसंबी के करीब 2300 पौधे लगाए गए हैं। इस सीजन में इन छोटे पौधों में बहुत ही अच्छी क्वालिटी के फल लगने शुरू हो गए हैं।

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फोटो कैप्शन: गांव बकारटी की बागवान संतोष कुमारी और रमेश कुमार
फोटो कैप्शन: गांव बकारटी की बागवान संतोष कुमारी और रमेश कुमार

उद्यान विभाग के उपनिदेशक डॉ. राजेश्वर परमार ने बताया कि बकारटी गांव के बागीचे में शुरुआती दौर में ही काफी अच्छी मात्रा में फल लगे हैं। उनका कहना है कि मौसंबी के एक पौधे में शुरुआती दौर में 8-10 किलोग्राम फल लगते हैं, लेकिन पूरी तरह विकसित होने पर एक पेड़ से ही लगभग 50 किलोग्राम उपज प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने बताया कि गांव बकारटी में परियोजना के तहत 2 हैक्टेयर भूमि पर 2 अग्रिम पंक्ति प्रदर्शनी प्लॉट्स विकसित किए गए हैं। इनमें उत्साहजनक परिणाम आने के बाद अब पूरे बकारटी गांव में पौधारोपण किया जाएगा और इन बागीचों में बाड़बंदी और सिंचाई सुविधा इत्यादि का प्रबंध भी एचपीशिवा परियोजना के माध्यम से ही किया जा रहा है।

डॉ. राजेश्वर परमार ने बताया कि इस परियोजना में बीज से लेकर बाजार तक की व्यवस्था के लिए सभी प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि बकारटी गांव के बागीचे के सैंपल फलों के विपणन के लिए भी विभाग विशेष व्यवस्था कर रहा है। इसके लिए बड़ी कंपनियों और बागवानों के बीच संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि आने वाले समय में बागवानों को अपनी उपज के अच्छे दाम मिल सके।

फोटो कैप्शन: गांव बकारटी की बागवान संतोष कुमारी और रमेश कुमार
फोटो कैप्शन: गांव बकारटी की बागवान संतोष कुमारी और रमेश कुमार

उधर, गांव की प्रगतिशील किसान संतोष कुमारी ने बताया कि एचपीशिवा परियोजना उनके लिए एक नई बहार लेकर आई है। उन्होंने बताया कि उनका परिवार केवल गेहूं और मक्की की खेती ही कर रहा था, जिससे बहुत कम आय होती थी। लेकिन, एचपीशिवा परियोजना की मदद से उन्होंने मौसंबी का बागीचा तैयार किया और उनके पौधों में फल लगने शुरू हो गए हैं।

 

संतोष कुमारी ने बताया कि मौसंबी के पौधों के आस-पास की खाली जमीन से वह प्याज, लहसुन, अदरक और हल्दी इत्यादि की खेती भी कर रहे हैं और अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। मौसंबी के छोटे-छोटे पौधों में फलों को देखकर गदगद गांव बकारटी के एक और प्रगतिशील किसान रमेश कुमार का कहना है कि प्रदेश सरकार की एचपीशिवा परियोजना के कारण ही यह संभव हो पाया है। रमेश कुमार ने बताया कि शुरुआती दौर में ही अच्छी क्वालिटी के फल लगने से क्षेत्र के अन्य गांवों के कई किसान भी अब पौधारोपण के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं।