फिश फार्म से खाने की थाली  तक – भारत के घरेलू  बाजार में मछली के उपभोग का संवर्धन

पीएमएमएसवाई के अंतर्गत मार्केटिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर और ट्रांसपोर्टेशेन को सुदृढ़ करना

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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शिमला। भारतीय व्यंजनों की जीवंत वैविध्यताओं में आहार का एक ऐसा घटक जो  पोषकीय तत्वों  से भरा  है  और कई तरीकों से तैयार किया जा सकता  है, वह है — ‘मछली’।  जिह्वा के स्वाद के अलावा, ‘मछली’ भारतीय संदर्भ में प्रगाढ़ महत्व रखती है, यह समृद्ध सांस्कृतिक महत्व के अलावा स्वास्थ्य के लिए बहुत सारे लाभ प्रदान करती है ।  मछली और भारतीय संस्कृति के  बीच आपसी संबंध खाने की थाली तक ही सीमित नहीं है अपितु  मछली हमारी परंपरा, स्वास्थ्य आचरणों और आर्थिक समृद्धि को प्रभावित करता आया है । मछली का उपभोग न केवल व्यक्तिगत पोषण स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता रखता है बल्कि देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा में भी योगदान देता है।

हालांकि वैश्विक स्तर पर, भारत मत्स्य उत्पादन और निर्यात में अग्रणी है लेकिन घरेलू खपत बढ़ाना देश में मात्स्यिकी क्षेत्र की निरंतर वृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र  है । भारतीय मात्स्यिकीक्षेत्र को समग्र रूप से विकसित करने के लिए मत्स्यपालन विभाग (भारत सरकार) द्वारा विभिन्न कार्यक्रम और योजनाएं शुरू किए गए  हैं ।  प्रमुख कदमों में से एक 10 सितंबर 2020 को 20,050 करोड़ रुपये के अब तक के उच्चतम निवेश के साथ प्रमुख योजना – प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाईका शुभारंभ है 

 

पीएमएमएसवाई प्रौद्योगिकी अपनाने, मूल्य श्रृंखला की कमजोर कड़ियों पर ध्यान देने और सामाजिक-आर्थिक कल्याण  के लिए परियोजनाएं कार्यान्वित करने पर केंद्रित है । उत्पादन और निर्यात बढ़ाने के विभिन्न आउटपुट के अलावा, यह योजना लगभग 16.5 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने पर केंद्रित है। लगातार चौथे वर्ष में, पीएमएमएसवाई योजना के अंतर्गत पूरे भारत में 18,000 करोड़ रुपये (90%) की प्रभावशाली परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

परंपरागत रूप से, मात्स्यिकी परियोजनाओं का केंद्र मत्स्य उत्पादन में वृद्धि की ओर रहा है। परिवर्तन की आधारशिला के रूप में, पीएमएमएसवाई योजना पोस्ट-हार्वेस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास की दिशा में निधियों के  उपयोग द्वारा  मांग और आपूर्ति समीकरण को संतुलित करने पर केंद्रित है ।  चूंकि पीएमएमएसवाई के अंतर्गत मत्स्य उत्पादन लगातार बढ़ रहा है और शानदार 174 लाख टन तक पहुंच गया है, यह घरेलू मछली की खपत, मूल्य संवर्धन और निर्यात को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं प्रदान करता है।

इस आशय की दिशा में, पीएमएमएसवाई के अंतर्गतस्वीकृत परियोजनाओं ने यह सुनिश्चित किया है कि रेफ्रिजरेटेड और इंसुलेटेड ट्रकों, लाइव फिश वेंडिंग सेंटर, ऑटो रिक्शा, मोटरसाइकिल और आइस बॉक्स वाली साइकिल सहित 26,067 फिश ट्रांसपोर्टेशेन फैसिलिटीज लाभार्थियों के पास उपलब्ध है ताकि वे बाजारों और उपभोक्ताओं तक आसानी से ताजा और गुणवत्तापूर्ण मछली की डिलीवरी कर सकें । सबसे लोकप्रिय मोटरबाइक और आइस बॉक्स वाली साइकिल हैं  जिससे  छोटे पैमाने के किसानों के लिए बिक्री केंद्रों तक सुविधाजनक और तेज़ पहुंच सुनिश्चित हुई  है।

क्वालिटी वाले  फ़्रोजन तथा ताजी मछली की अधिक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बाजारों और कियोस्क के रूप में फिश रीटेल पॉइंट्स की 6733 इकाइयां विकसित की जा रही हैं। आंध्र प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और तेलंगाना जैसे राज्य अग्रणी रहे हैं  और इन राज्यों ने उत्तर भारत में मछली की बिक्री में वृद्धि दर्शाई है और तटीय और अंतर्देशीय राज्यों के बीच योजना की निधियों के  सुनियोजित वितरण का प्रदर्शन किया है ।

30 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 575 कोल्ड स्टोरेज फैसिलिटीज का अच्छा वितरण किया गया है, जिससे पता चलता है कि पूरे भारत में मछली का पोस्ट-हार्वेस्ट स्टोरेज किया जा रहा है। प्रसंस्करण के लिए 108 मूल्य वर्धित उद्यमों को मंजूरी दी गई है, जो उद्यमशीलता मॉडल को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, विशेष रूप से फिश वेंडिंग कियोस्क चैन की स्थापना के माध्यम से स्वच्छ मत्स्य विपणन पर महत्त्व दिया जाता  है ।  भारत में मूल्य वर्धित उद्यमों का प्रसार, विशेष रूप से दक्षिणी भारत में न केवल  निर्यात की महत्ता दर्शाता है बल्कि अचार, सूखी नमकीन मछली, मछली के चिप्स, मछली के गोले आदि के रूप में मूल्य वर्धित मछली की मांग का भी संकेत है।

जागरूकता सृजन, आउटरीच और विस्तार सही तरीके से जमीनी स्तर तक पहुंचाना सुनिश्चित करने की दिशा में, लास्ट माईल कनेक्ट के लिए तटीय राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए 2494 सागर मित्र और सम्पूर्ण भारत में 79 मत्स्य सेवा केंद्रों को मंजूरी दी गई है। उम्मीद है कि विस्तार सेवाएँ क्षेत्रीय योजनाओं और मछली की खपत को पोषण से भरपूर ‘सुपर-फूड’ के रूप में बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे ।

घरेलू उपभोग के रुझानों को बेंचमार्क करने और समझने के लिए, भारत सरकार ने मार्च 2023 में नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा ‘भारत में मात्स्यिकी क्षेत्र का अध्ययन – वर्तमान मांग और भविष्य की संभावना का अवलोकन’ में निवेश किया ।  अध्ययन से पता चला है कि  2011-12 की तुलना में,  भोजन पर किए गए  कुल व्यय के आलोक में मछली के लिए किया गया व्यय दोगुना से अधिक हो गया है, शहरी क्षेत्रों में बढ़ती मांग के कारण मछली की मासिक खपत में वृद्धि हुई है, खपत की जाने वाली 77% मछली मीठे पानी की प्रजातियां हैं – प्रमुख रूप से रोहू और कैल्टा जबकि सार्डिन और भेटकी पसंदीदा समुद्री मछलियाँ हैं। एक आशाजनक बात यह है कि 2031 में मछली की अनुमानित मांग 26 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है। इसलिए इस तरह की उपभोक्ता प्राथमिकताएं और संकेतक विपणन और ब्रांडिंग रणनीतियों को परिभाषित करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

बढ़ती मांग और बिक्री को संभालने के लिए आपूर्ति श्रृंखला और डिस्ट्रीब्यूशन इनफ्रास्ट्रक्चर  के साथ, भारत सरकार के लिए अगला प्राथमिकता कदम उचित ब्रांडिंग और विपणन के माध्यम से मछली का  सेवन  करने के लाभों के बारे में उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता पैदा करना है। परंपरागत रूप से, राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी), हैदराबाद द्वारा आउटरीच कार्यक्रम जैसे सेलिब्रिटी शेफ के साथ मत्स्य और समुद्री खाद्य उत्सव का आयोजन और क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ वेबिनार, सितंबर में हर साल पोषण माह मनाना, आजादी का अमृत महोत्सव  के तहत इंडिया@75 अभियान का जश्न मनाने के लिए 75 फिश रेसिपी पुस्तकों का शुभारंभ, मछली के लाभों पर जींग्ल्स  का प्रसारण, मुख्य स्थानों पर आउटडोर होर्डिंग्स और डिजिटल डिस्प्ले की स्थापना आदि कार्य लगातार किए जा रहे हैं।

 विभिन्न डिजिटल पहल, विशेष रूप से सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर, शुरू की गई हैं, व्यापक आउटरीच, बड़े पैमाने पर विपणन और ब्रांडिंग के लिए कई अन्य पहलों की योजना बनाई जा रही है। हो-रे-सीए (होटल-रेस्टोरेंट-कैफे) में उपभोक्ता विशिष्ट विपणन अभियान और रणनीतिक पहल की योजना बनाई जा रही है। एक और महत्वपूर्ण कदम जिसे प्राथमिकता दी जा रही है वह है इस क्षेत्र के लिए मानकों, प्रमाणन, मान्यता और ट्रेसबिलिटी का पॉलिसी फ्रेमवर्क।

इस प्रकार पीएमएमएसवाई एक निर्बाध आपूर्ति श्रृंखला और बिक्री बिदुओं में बढ़त सुनिश्चित करके उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच अंतर को पाटने के लिए एक मजबूत मार्केटिंग ईकोसिस्टम और रणनीति तैयार करने की परिकल्पना करती है ।   परिणामस्वरूप, यह दृष्टिकोण न केवल समग्र उद्योग के विकास को बढ़ावा देता है बल्कि जनसंख्या के स्वास्थ्य और पोषण पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।

इसलिए, भारत में मछली की खपत का महत्व खाने की थाली में मछली से कहीं अधिक है। बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने से लेकर आर्थिक विकास और सांस्कृतिक संरक्षण तक, मछली देश के समग्र कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जैसे-जैसे भारत प्रगति कर रहा है, मछली की खपत की महत्ता को पहचानना और उसकी क्षमता का उपयोग करना सभी के लिए एक स्वस्थ, अधिक समृद्ध भविष्य का द्वार खोलने की कुंजी होगी ।