राज्य अभिलेखागार ने किया है 30 हजार पुरा-अभिलेखों का संरक्षण
आदर्श हिमाचल ब्यूरो
कुल्लू: शिक्षा व कला, भाषा एवं संस्कृति मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि इतिहास की जानकारी के लिये पुरा-अभिलेखों का बड़ा महत्व है। अभिलेखों के माध्यम से तत्कालीन शासन व्यवस्था, राजनीति, अर्थव्यवस्था व सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवेश का पता लगाया जा सकता है। वह गुरूवार को कुल्लू के देवसदन में कला व भाषा एवं संस्कृति विभाग के राज्य आर्काईव विंग द्वारा अंन्तराष्ट्रीय अभिलेखागार दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होंने इस अवसर पर विभाग द्वारा पुरा अभिलेखों की प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया और इसमें गहन रूचि ली। गोविंद ठाकुर ने कहा कि किसी भी देश के प्राचीन इतिहास की जानकारी के लिये विभिन्न प्रकार के स्त्रोंतों की आवश्यकता पड़ती है। इनमें अभिलेखों का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि भातर में पांचशताब्दी ईसा पूर्व के अभिलेख मौजूद हैं। इनमें संस्कृत के अलावा तमिल, कन्नड़ व तेलगू भाषाओं में अभिलेख मिले हैं। सम्राट अशोक के अभिलेख इतिहासकारों के लिये काफी मददगार साबित हुए हैं।
उन्होंने हिमाचल राज्य अभिलेखागार द्वारा 30 हजार से अधिक अभिलेखों के संरक्षण के लिये विभाग की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह कार्य काफी मुश्किल था। जगह-जगह से बिखरे पड़े अभिलेखों का संग्रहण कर उन्हें क्रमबद्ध किया गया। भाषा एवं संस्कृति मंत्री ने कहा कि इतिहास के बच्चों को ये अभिलेख काफी कारगर सिद्ध हो सकते हैं।
यह अच्छी बात है कि अब अभिलेखों का डिजिटाईजेशन किया जा रहा है और अभी तक लगभग 60 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है। जल्द ही प्रदेश में मौजूद अभिलेख ऑनलाईन जनमानस व शोधकर्ताओं के लिये उपलब्ध होंगे।
भाषा एवं संस्कृति विभाग के अभिलेखागार विंग के उपनिदेशक प्रेम प्रसाद शर्मा ने स्वागत करते हुए कहा कि हिमाचल राज्य अभिलेखागार की स्थापना वर्ष 1986 में इस उद्देश्य से की गई कि हिमाचल प्रदेश की ऐतिहासिक एंव लिखित धरोहर जो हिमाचल प्रदेश राज्य के गठन से पूर्व विभिन्न रियासतों, सामंतों व उनके उत्तराधिकारियों तथा प्रशासनिक संस्थनों में बिखरी पड़ी थी, उसका एकत्रीकरण कर राज्य की लिखित धरोहर को संरक्षित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा संरक्षित पुरा अभिलेखों के माध्यम से हर वर्ष देश-प्रदेश के सैंकड़ों शोधकर्ता अपने शोध विषयों से संबंधित शोध सहायता प्राप्त कर रहे हैं और यह कार्य निरंतर चल रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश सरकार की समस्त अभिलेख सर्जक संस्थानों में ऐतिहासिक दस्तावेजों का निरीक्षण, चयन तथा हस्तांतरण जारी है, क्योंकि प्रादेशिक कानून एवं संहिताओं के अनुसार कोइ भी पुरालेख नष्ट करने से पूर्व राज्य अभिलेखागार की अनुमति जरूरी है।
पूर्व सांसद महेश्वर सिंह, जिला भाषा अधिकारी सुनीला ठाकुर, इतिहासकार एवं लेखक डॉ. सुरत ठाकुर, दानवेन्द्र सिंह, तरूण बिमल, शिव चंद, रेखा गुलेरिया सहित विभिन्न स्कूलों के इतिहास के छात्र-छात्राएं व अन्य लोग इस अवसर पर मौजूद रहे।