हिमाचल के ग्रेट खली भाजपा में शामिल: पढ़िए दलीप सिंह राणा के बचपन से लेकर डब्ल्यूडब्ल्यूई तक से राजनीति का सफर

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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 शिमला/सिरमौर। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के नैनीधार पंचायत के धिराइना गांव निवासी डब्ल्यूडब्ल्यूई के पूर्व स्टार दलीप सिंह उर्फ द ग्रेट खली गुरुवार को दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। द ग्रेट खली ने पहलवानी में भारत का नाम रोशन कर सबसे ऊंचा स्थान दिलाया है।

 

पूरी दुनिया में महाबली खली के नाम से जाने जाने वाले दलीप सिंह ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया और आज उस मुकाम पर पहुंच गए हैं कि उनके रिकॉर्ड को तोड़ना काफी मुश्किल हो गया है।

रेसलर दिलीप सिंह राणा उर्फ द ग्रेट खली कृषि कानूनों का विरोध भी कर चुके हैं। किसान आंदोलन के समय उन्होंने कहा था कि किसान देश की रीढ़ की हड्डी हैं। वह देश के हर किसान के साथ खड़े हैं। एक छोटे से गांव घिराइना में 27 सितंबर 1974 में जन्मे दिलीप राणा उर्फ द ग्रेट खली भारत की शान है और  अब राजनीति में भी कदम रख लिया है। लेकिन खली ऐसे ही महाबली नहीं बने। इसके पीछे इतना लंबा संघर्ष था।

 

खली बचपन से ही मजबूत कद काठी वाले रहे। वह एक किसान परिवार में पैदा हुआ थे। सात भाई बहनों में से एक दिलीप राणा परिवार में सबसे अलग थे। इसका शरीर बचपन से ही भीमकाय था। आर्थिक हालात सही न होने से दिलीप बचपन में पढ़ाई नहीं कर पाए। इन्हें दूसरे भाइयों की तरह मेहनत मजदूरी करनी पड़ी।

 

पहले गांव फिर शिमला आकर भी मजदूरी करनी पड़ी। भारी वजन उठाना खली के बाएं हाथ का खेल था। गांव के लोगों के अनुसार खली का शरीर इतना बढ़ गया था कि इनके लिए बाजार से जूते भी नहीं मिल पाते थे। इसके लिए खली गांव से दूर शिलाई में जाकर चप्पलें और जूते बनवाते थे। जब ये यहां जाते तो इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ लग जाती थी।

 

इसके बाद मजदूरी के लिए खली गांव से दूर जाने लगे। लेकिन ये काफी नहीं था। जितना पैसा मजदूरी के बाद मिलता था, उससे खली की डाइट भी पूरी नहीं हो पाती थी। ऐसे में घर के लिए पैसे बचाना दूर की कौड़ी थी। एक आईपीएस अफसर ने खली को पंजाब आकर पुलिस में शामिल होने को कहा।

 

खली के लिए ये दूर की बात थी। अफसर ने खुद खर्च देकर उन्हें पंजाब बुलाया। खली भी अपने छोटे भाई के साथ पंजाब पुलिस में शामिल हो गए।

इसके बाद खली की यही कद काठी उसकी सबसे बड़ी ताकत बन गई। रेस्लिंग उन दिनों पसंदीदा खेल बनती जा रही थी। खली को भी इसके लिए तैयार किया गया। आखिरकार खली अमेरिका पहुंच गए। डब्ल्यूडब्ल्यूई में सफर शुरू करना इतना आसान नहीं था।  यहां पैसा तो जमकर मिलता था लेकिन उसके लिए खूब पसीना भी बहाना पड़ता था।

 

पहले दिन जैसे ही खली ने रिंग में कदम रखा, बड़े-बड़े रेस्लर भी कांपने लगे। इसके बाद खली का मिशन शुरू हुआ। उन्होंने अंडरटेकर जैसे रेस्लर को भी 10 मिनट में हराकर सबका ध्यान खींच लिया। इसके बाद बिग शो, मार्क हेनरी और बतिस्ता जैसे पहलवानों को हराकर डब्ल्यूडब्ल्यूई का खिताब जीत लिया।

 

इसके बाद कई सालों तक खली का दबदबा कायम रहा। देश-विदेश में ख्याति के साथ कई सम्मान और पुरस्कार भी उन्हें मिले। कभी एक एक रुपए के लिए तरसने वाले खली के पास इतना पैसा आ गया कि उन्होंने गांव के विकास पर भी इसे खर्चना शुरू कर दिया।

 

आज भी गांव के लोग बताते हैं कि उन्हें कभी उम्मीद ही नहीं थी कि खली आगे चलकर इतने बड़े पहलवान बन जाएंगे। पूरा गांव उनके आने पर जश्न मनाता है। खली भी अब अन्य युवाओं को इस खेल में आगे बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।  उन्होंने हिमाचल प्रदेश में  द ग्रेट खली शो के नाम से रेस्लिंग प्रतियोगिताएं भी करवाईं। खली पंजाब में रेस्लिंग अकादमी भी चलातेे हैं। अब खली ने राजनीति में कदम रख लिया है।