आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। उपचार से परहेज़ बेहतर है और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए अपनी जीवनशैली और खानपान की आदतों में सुधार करने की आवश्यकता है। नियमित और अनुशासित दिनचर्या बीमारी से बचने का सबसे कारगर उपाय है। आईजीएमसी शिमला के हृदय विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. पी. सी नेगी ने विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर चर्चा करते हुए कहा कि अधिकतर बीमारियों का कारण हमारी गलत दिनचर्या और खानपान है।
हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति, राज्य संसाधन केन्द्र और जन स्वास्थ्य अभियान के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए डॉ. नेगी ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करना बहुत ज़रूरी है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं पर निवेश बढ़ाने की कवायद की और कहा कि अगर स्वास्थ्य का ढांचा मज़बूत होता है तो आम जनता को इसका फायदा होगा। डॉ. नेगी ने कहा कि विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए अस्पतालों की अपनी जांच प्रयोगशालाएं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा में आउटसोर्स प्रणाली नहीं होनी चाहिए। उन्होंने आशा वर्कर को भी सिस्टम का हिस्सा बनाने की वकालत की।
इस मौके पर समिति के राज्य कार्यलय में ‘जन स्वास्थ्य केन्द्र’ का शुभारम्भ भी किया। जहां हर महीने के पहले रविवार को सामान्य जांच और परामर्श होगा। जन स्वास्थ्य केन्द्र शुरू करने पर स्वास्थ्य दिवस की अध्यक्षता कर रहे सेवानिवृत संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य विभाग 85 वर्षीय बी.डी. शर्मा ने समिति की इस स्वयंसेवी पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि उम्र के साथ बुजुर्गों को चिकित्सीय परामर्श की आवश्यकता रहती है लेकिन अस्पताल तक पहुंच पाना उनके लिए संभव नहीं हो पाता। जन स्वास्थ्य केन्द्र इस दिशा में एक सराहनीय पहल है।
इस मौके पर आईजीएमसी शिमला के समुदायिक चिकित्सा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमित सचदेवा ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘‘हमारा स्वास्थ्य हमारा अधिकार’’ का नारा देकर स्वास्थ्य को प्राथमिकता पर लाने का संदेश दिया है। गैर संचारी रोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उन्होंने लोगों को जागरूक करने पर बल दिया। इस अवसर पर समिति ने 91 वर्षीय प्रो. आर. के गुप्ता, 85 वर्षीय डॉ बी. डी. शर्मा तथा मुख्य वक्ता डॉ पी. सी. नेगी को हिमाचली टोपी पहना कर सम्मानित किया।
समिति के सचिव एवं रन स्वास्थ्य अभियान के राज्य संयोजक सत्यवान पुण्डीर ने कहा कि समिति पिछले कई वर्षों से सवास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों के सहयोग से स्वयंसेवी रूप से जन स्वास्थ्य केन्द्र चलाने का मन बना रही थी जिसे आज मूर्त रूप दिया जा सका। यह केन्द्र भविष्य में स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं तनाव, चिंता, स्ट्रेस, परीक्षा दबाव, घरेलु हिंसा आदि पर विशेषज्ञों के सहयोग से चर्चा, संवाद, परामर्श, ओरिएंटेशन आयोजित किए जाएंगे।
समिति प्रदेश भर में स्वास्थ्य संवाद श्रृंखला चलाएगी जिसमें नशे के खिलाफ अभियान मुख्य मुद्दा रहेगा इसके अलावा स्वास्थ्य को अधिकार बनाने की मांग के लिए जन समर्थन जुटाया जाएगा। इसके लिए संसदीय चुनावों के मद्देनजर राजनैतिक दलों के समक्ष 14 अप्रैल को वाई.डब्ल्यू.सी.ए. में जन स्वास्थ्य अभियान द्वारा तैयार एक घोषणापत्र जारी किया जाएगा।
आयोजन में आईजीएमसी के मनोचिकित्सा विभाग से डॉ. रवि शर्मा, डीडीयू शिमला से क्लीनिकल साइकॉलोजिस्ट डॉ. दीपा राठौर एवं ई.सी.जी. ऑपरेटर प्रताप, विश्वविद्यालय के सह निदेशक डॉ. रणधीर रान्टा, सेंट बीड्स कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. रविभूषण, हृदय रोग विभाग से डॉ दीपक मित्तल, युरोलॉजी विभाग के डॉ दिग्विजय तंवर तथा एच.पी.एम.आर.ए. से नितिन, राहुल आदि विशेषज्ञों सहित लगभग 80 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिनमें से लगभग 60 लोगों ने अपने ब्लड शुगर, रक्तचाप, ई.सी.जी., ऑक्सीजन लेवल की जांच करवाई। ये जांच जन स्वास्थ्य केन्द्र भविष्य में भी निशुल्क करेगा। यह केन्द्र हर माह के प्रथम रविवार को संचालित होगा। इसके साथ समिति के सक्रिय कार्यकर्ताओं डॉ रीना सिंह, जीयानंद शर्मा, सुरेश पुण्डीर, कपिल शर्मा, नवीन शर्मा, सतेन्द्र चौहान, विनय पुण्डीर, सीमा चौहान, सेवानिृत जी.सी. शर्मा, हीरानंद शांडिल, सुमित्रा चन्देल, विद्या चौहान आदि सदस्यों ने हिस्सा लिया।