हमीरपुर: हमीरपुर में 2 अक्टूबर तक चलने वाले टीबी मुक्त हिमाचल अभियान के तहत हमीरपुर जिले में टीबी एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत में हमीरपुर जिला के 4 लाख 90 हज़ार लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी। यह जानकारी एडीएम हमीरपुर जितेंद्र सांजटा ने हमीर भवन मे आयोजित डिस्ट्रिक्ट टीबी फोरम की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। उन्होने बताया कि अभियान के तहत दो अक्तूबर तक स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर लोगों की स्वास्थ्य जांच करेंगी। टीबी के एक्टिव केस फाइंडिंग को सफल बनाने के लिए पूरे जिला में 534 टीमों का गठन किया गया है। यह टीमें आशा स्तर पर बनाई गई हैं और इसका मुखिया स्वास्थ्य कार्यकर्ता, सामुदायिक स्वास्थय अधिकारी या आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट होगा।
उन्होंने कहा यह जांच टीमें प्रतिदिन घर-घर जाकर करीब 200 लोगों के साथ संपर्क करके टीबी के संभावित रोगियों का पता लगाएंगी हर टीम में एक आशा वर्कर और एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता होगा। यह टीमें जिले की 4,82,505 जनसंख्या के साथ संपर्क करके करीब 2,443 सैंपल इकट्ठा करने और 50 के करीब टीबी रोगियों का पता लगाने के लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास करेंगी।
एडीएम ने बताया कि टीबी की जांच के दौरान अगर किसी व्यक्ति में टीबी के लक्षण पाए जाते हैं, तो उसके बलगम का नमूना लेकर उसे डीएमसी, ट्रूनाट या सीबीनाट लैब में जांच के लिए भेजा जाएगा तथा अभियान का पूरा डाटा डब्ल्यूएच्ओ/एनएचएम द्वारा तैयार किए गए सॉफ्टवेयर में अंकित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने देश को जहां 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, तो वहीं हिमाचल सरकार ने दिसंबर, 2025 तक प्रदेश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा हैं।
एडीएम ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से टीबी मुक्त करने के लिए जनप्रतिनिधियों के सहयोग लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन इस अभियान को सफल बनाने में पूरी मदद करेगा। उन्होंने बताया कि टीबी के कीटाणु टीबी रोगी के खांसने, छींकने एवं थूकने के दौरान बलगम के छोटे-छोटे कणों से फैलता है और हवा द्वारा स्वस्थ मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है। इसे फैलने से रोकने के लिए इस अभियान का सफल होना आवश्यक है।
उन्होने कहा कि जिला में इस अभियान के सफल आयोजन व लोगों को टीबी के प्रति जाग्रुक करने के लिये 18 टीबी चैंपियन चिन्हित किये गए हैं जिनमें 2 टीबी चैम्पियन इस बैठक में उपस्थित थे। उन्होने अपने अनुभव साझा किये तथा समाज के सभी वर्गों से आह्वान किया कि टीबी लाईलाज बीमारी नही है तथा इसका उपचार सभी सरकारी अस्पतालों में निशुल्क किया जाता है ।
जितेंद्र सांज्टा ने कहा कि बर्सात के मौसम में स्क्र्ब-टायफस के फैलने की अधिक आशंका रहती है । उन्होने लोगों से आग्रह किया है कि खेतों में काम करते समय अपने हाथ और पैर ढक कर रखें। मिट्टी मे कीट के लारवा के काटने से विषाणू शरीर में प्रवेश करता है जिससे शरीर पर निशान तथा तेज बुखार आता है। अगर किसी भी व्यक्ति मे इस तरह के लक्षण आते हैं तो तुरंत नजदीकी अस्पताल मे अपना उपचार करवाए।
बैठक में सीएमओ आर के अग्निहोत्री , डॉ संजय जगोता, डॉ सुनील , सुरेश शर्मा एमईआईओ , दिनेश कुमार ड्रग इन्सपेक्टर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।