हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ का आरोप, सरकार की कठपुतली के रूप में काम कर रहा शिक्षा विभाग

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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शिमला। हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान एवं समस्त राज्य कार्यकारिणी जिला कार्यकारिणी प्रधान खंड प्रधान उनकी समस्त कार्यकारिणी ने एक संयुक्त वक्तव्य में शिक्षा विभाग पर दोहरे मापदंड अपनाने व सरकार की कठपुतली बनकर काम करने का आरोप लगाया है।

संघ ने कहा है कि बीते दिनों विभाग ने मंत्री की पत्नी को पदोन्नति के लिए अंको की विशेष छूट देने के लिए आरएंडपी रूल में एक मस्त छूट देने का प्रस्ताव सरकार के इशारे पर मंत्रिमंडल को भेजा और 40 शिक्षकों को अंकों की छूट दिला कर उन्हें पदोन्नति का अवसर या यूं कहे कि रास्ता साफ कर दिया । लेकिन वहीं दूसरी ओर विभाग के आंखों में काली पट्टी बंधी है क्योंकि प्रवक्ता न्यू आई पी के लिए पदोन्नति के लिए जो विभाग ने कुछ वर्ष पहले आरएंडपी रूल बनाए हैं या यूं कहे कि आरएंडपी रूल में जो अमेंडमेंट किया है उसमें टीजीटी से प्रवक्ता न्यू आईपी बनने के लिए 5 वर्ष का कंप्यूटर साइंस अध्यापन का अनुभव अनिवार्य किया है जो कि एक आम व्यक्ति भी समझ सकता है कि हिमाचल प्रदेश में टी जी टी के आर्ट्स व साइंस दो ही विषय पढ़ाए जाते हैं।

ऐसे में टीजीटी शिक्षक के पास 5 वर्षों का कंप्यूटर के अध्ययन का अनुभव कैसे हो सकता है। इससे पहले भी टीजीटी आर्ट्स और साइंस शिक्षकों की पीजीटी आईपी के पदों पर पदोन्नति हो चुकी है याद रहे कि विभाग के पास पीजीटी आईपी के पदोन्नति का बैकलॉग का कोटा 200 से अधिक सीटों का बनता है जो कि विभाग नहीं भर रहा है।

विभाग के अधिकारी पिछले चार सालों से मौन बैठे हैं तो इसे विभाग की आंखों में पट्टी बांधना नही कहेंगे तो और क्या कहेंगे । क्योंकि यदि विभाग इन शिक्षकों के भविष्य के प्रति सजग होता तो सबसे पहले इन शिक्षकों के R&P रूल्स बदलने का प्रस्ताव सरकार को भेजा जाता जो कि हिमाचल हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के बार-बार आग्रह करने पर भी आज तक नहीं किया गया है।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा है कि 2014 में भी टीजीटी से पदोन्नति के लिए 50% अंकों की अनिवार्यता की शर्त लगी थी जो कि हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रयासों से हटा दी गई थी अब दोबारा से यह शर्त लगाई गई है कि 2010 के बाद के नियुक्त शिक्षकों को 50% अंक की अनिवार्यता के साथ ही पदोन्नति दी जाए।

संघ के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा है यदि 40 शिक्षकों के लिए 50% अंको की अनिवार्यता हट सकती है तो बाकी शिक्षकों के लिए हमेशा के लिए यह अनिवार्यता क्यों नहीं हट सकती है यदि 40 शिक्षकों से शिक्षा में गुणवत्ता में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा तो बाकी इनकी तरह पदोन्नत होने वाले शिक्षकों से भी कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है।

इसकी संघ जिम्मेदारी लेता है इसलिए सरकार और विभाग को दोहरी नीति न अपना कर सभी को समान तरह का नियम बनाकर वीआईपी कोटे को छोड़कर 50% अंको की अनिवार्यता की शर्त को हमेशा के लिए समाप्त कर शिक्षकों के अनुभव के आधार पर उन्हें पदोन्नति का लाभ देने का निर्णय करने का काम करना चाहिए । अन्यथा संघ विभाग पर सरकार की कठपुतली के रूप में कार्य करने का आरोप लगाने से गुरेज नहीं करेगा ।

साथ ही संघ शिक्षा सचिव व निदेशक शिक्षा से मांग करता है कि प्रवक्ता न्यू कंप्यूटर साइंस के पदोन्नति नियम में 5 वर्षो के अध्यापन अनुभव को हटा कर होने वाली इसी पदोन्नति सूची में इन शिक्षकों की पदोन्नति कर इसका बैकलॉग का कोटा भरने का काम करे ।