कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स  को  रोकती हैं  होमियोपैथिक दवाइयाँ :  डॉ एम डी सिंह  महाराजगंज 

0
3
डॉ एम डी सिंह
डॉ एम डी सिंह
आदर्श हिमाचल ब्यूरो 
  कोरोना वैक्सीन के दूसरे चरण में अब आम जन मानस को कोरोना वैक्सीन प्रदान की जा रही है तथा सरकारी अस्पतालों के अलाबा प्राइवेट अस्पतालों में भी कोरोना वैक्सीन लगाने का काम शुरू हो गया है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को कोरोना के खिलाफ सुरक्षा प्रदान की जा सके । लेकिन इस टीकाकरण से पहले ही अफवाहों का बाजार गर्म हो गया है और सोशल मीडिया पर कई किस्म की भ्रान्तिया पैदा की जा रही हैं  जिससे आम जन मानस भर्मित हो रहा है  तथा विभिन्न प्रकार की शंकाएँ  जाहिर की जा रही हैं। यहाँ में यह बता दूँ की हालाँकि  कोरोना महामारी के खिलाफ आई  वैक्सीन के अब तक विभिन्न देशों में   कुछ हलके  साइड इफ़ेक्ट देखे जा रहे हैं। वैक्सीन लगाने के बाद अधिकतर लोगों में थकान , सिर दर्द, तथा जोड़ों का दर्द महसूस किया जा रहा है  तथा कुछ मामलों में चेहरे पर  सूजन  आना  ,उल्टी आदि भी  देखी जा रही है।
लेकिन  डॉक्टरों का कहना है की  वैक्सीन लगाने के बाद अधिकतर लोगों में थकान, सिर दर्द , तथा जोड़ों का दर्द लगभग  समान्य लक्षण हैं  जोकि सभी टीकाकरण अभियानों में देखे गए हैं। डाक्टरों का यह कहना है की टीका करण के बाद अगर हलके लक्षण दिखाई दें तो यह समझना चाहिए की आपका शरीर वैक्सीन को स्वीकार कर रहा है और शरीर में एंटी बॉडी बनने शुरू हो गए हैं।
 ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या  वैक्सीन लेने  से ही  परहेज किया जाये या साइड इफेक्ट्स को पहले से ही रोकने  के उपाय किए जाएँ। आज के इस महामारी के माहौल में वैक्सीन एक जीवन दायिनी के रूप में सामने आई है और वायरस के खतरे को देखते हुए वैक्सीन लगाना बहुत जरूरी हो गया है। ऐसे में बैज्ञानिकों द्वारा  वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को पहले से ही रोकने की कारगर दवाइयों का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है ।
होमियोपैथी में वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को पहले से ही रोकने की अनेक दवाइयाँ उपलब्ध हैं जिन्हें आज तक अनेक टीकाकरण अभियानों को सफल बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है ताकि  लोगों को कोई साइड इफ़ेक्ट ना हो । कोरोना वायरस के खिलाफ विकसित किया गया।  वैक्सीन अभी नया है इसकी प्रतिरोधक क्षमता कितने दिनों तक मनुष्य के भीतर बनी रहेगी इसका ज्ञान अभी नहीं है।साथ ही यह किसी में कोई कम्प्लिकेशन पैदा कर सकती है बाद में चलकर यह भी पूरी तरह सुनिश्चित कर पाना इतने अल्प अवधि में संभव नहीं। 
 
मैं यहां वैक्सीन को लेकर डराना नहीं चाहता ।बस यह बताना चाहता हूं कि ऐसी अवस्था में होम्योपैथी दवाइयाँ  वैक्सीन उपद्रवों को समित करने में पूरी तरह सक्षम है तथा इन दवाइयों का  भारत सहित विदेशो  में भी  वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को रोकने में  बरसों से   सफतला पूर्वक उपयोग किया जा रहा है।  
यदि वैक्सीन लेने के बाद कोई भी लक्षण उत्पन्न होता है तो किसी होमियोपैथिक चिकित्सक से सलाह और औषधि ली जा सकती है। अतः आप कोरोना के लिए आ रहे वैक्सीन को आश्वस्त होकर लगवा सकते हैं। काफी बड़ी संख्या में से किसी एक को किसी भी वैक्सीन से हाइपरसेंसटिविटी हो सकती है जो कोरोना वैक्सीन से भी संभव है। इसलिए सभी लोग उससे डरें ठीक नहीं।
 

वैक्सीन से उत्पन्न होने वाले संभावित डिसऑर्डर्स–

 
1- संबंधित रोग के लक्षण ही एग्रावेट हो सकते हैं ।
2- तेज बुखार और बदन दर्द।
3-त्वचा पर लाल चकत्ते और छाले निकल आना।
4– तेज खुजली और अर्टिकेरिया का प्रकोप।
5- ड्राप्सी अथवा शोथ।
6- कष्टप्रद स्वसन अथवा गले में खराश और आवाज में भारीपन।
7- पाचन संबंधी उपद्रव जैसे पेट दर्द, पतले दस्त आना ,डिसेंट्री अथवा गैस बनना।
8- लोकोमोटिव्स डिसऑर्डर जैसे चलने अथवा खड़ा होने में असहजता, जोड़ों में दर्द , हाथ पैर में सुन्नपन।
9- कभी कभार लकवागर्स्तता को भी देखा जाता है।
10- कभी-कभी टीका लगने के बाद सुस्ती, निद्रालुता और चक्कर आते हुए भी पाया जाता है।
 

बचाव-

यदि वैक्सीन लेने अथवा टीका लगवाने के पूर्व होम्योपैथिक औषधि थूजा 1000 अथवा मैलेंड्रिनम की एक खुराक ले लिया जाए तो टीका का कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा ,यदि होगा भी तो बहुत ही कम। जिसे बाद में आसानी से अन्य होमियोपैथिक औषधियों के प्रयोग से समाप्त किया जा सकेगा।
 

चिकित्सा-

 
टीकाकरण के बाद होने वाले व्याधियों के लिए होमियोपैथी की निम्न चार औषधियां प्रमुख हैं
1- थूजा 200
2- एसिड नाइट्रिक 200
3- साइलीया 200
4-मैलेंड्रिनम 200
 
इनके अतिरिक्त लाक्षणिक आधार पर
आर्सेनिक अल्ब, एकोनाइट, हिपर सल्फ ,इग्नेशिया, नेट्रम म्यूर, रस टॉक्स ,कास्टिकम, आर्निका माण्ट इत्यादि दवाओं का प्रयोग होम्योपैथिक चिकित्सक की राय पर सफलतापूर्वक किया जा सकता है।
 
डॉ एम डी सिंह   महाराजगंज    गाजीपुर उत्तर प्रदेश-में पिछले पचास सालों  से होमियोपैथी  के  चिकित्स्क के रूप में  कार्यरत हैं तथा अनेक टीकाकरण अभियानों  में सक्रिय रूप से जुड़े रहे हैं