अकादमिक उत्कृष्टता और बौद्धिक दृढ़ता का प्रतीक है आई.आई.ए.एस.: शिव प्रताप शुक्ल

IIAS epitomizes academic excellence and intellectual rigour: Shiv Pratap Shukla

 

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

 शिमला। हिमाचल प्रदेश के  राज्यपाल श शिव प्रसाद शुक्ला ने रविवार को ऐतिहासिक भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला के अध्येताओं एवं सह-अध्येताओं का मार्गदर्शन किया और उद्बोधन दिया।

 

संस्थान के शासी निकाय की अध्यक्षा प्रो. शशिप्रभा कुमार, एवं निदेशक प्रो. नागेशवर राव द्वारा  राज्यपाल  का स्वागत किया गया।  राज्यपाल  को मुख्य प्रवेश कक्ष में संस्थान व ऐतिहासिक महत्व के बारे में जानकारी प्रदान कर, तीन चित्र प्रदर्शनियां, पुस्तकालय, वाईसरॉय के कार्यालयों एवं कक्षों का भ्रमण करवाया गया। भ्रमण के उपरांत राज्यपाल  द्वारा संस्थान के अध्येताओं व सह-अध्येताओं से अकादमिक गतिविधियों के बारे में चर्चा की गई।

उसके बाद पुस्तकालय कक्ष में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें राज्यपाल  के कर कमलों से संस्थान द्वारा प्राकशित की दो पुस्तकों, प्रोफेसर रविंदर सिंह द्वारा संपादित ‘’दि टोपोग्राफी ऑफ भक्ति’’, संस्थान के पूर्व अध्येता डॉ. टैड ग्राहम फर्नी द्वारा लिखित ‘’बियोंड दि सर्कल ऑफ वॉइलेंस एंड प्रोग्रेस’’ तथा केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा प्रकाशित दो पुस्तकों ‘’हिंदी-उर्दू कोश’’ और ‘’पश्तो-हिंदी कोश’’ का विमोचन भी किया गया।

राज्यपाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि ‘’ऐतिहासिक विरासत वाले महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित यह राष्ट्रीय महत्व का संस्थान हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के भारत में ज्ञान और अध्ययन की प्राचीन परंपरा को पुनर्स्थापित करने के स्वप्न को साकार कर रहा है और हम सभी भारतीयों को अपने देश पर गर्व करने का एक और अवसर प्रदान कर रहा है। वे चाहते थे कि भारत में जीवन के विभिन्न पक्षों का सृजनात्मक अन्वेषण करने हेतु यह संस्थान कार्यरत हो।‘’

संस्थान के समृद्ध पुस्तकालय, शोध गतिविधियों, भवन के रख-रखाव आदि कार्यों की सराहना करते हुए  राज्यपाल ने कहा कि संस्थान ने अपनी शैक्षिक एवं शोध – उपलब्धियों से अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। और इसके लिए संस्थान बधाई का पात्र हैं।

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान राष्ट्रपति निवास शिमला की अध्यक्षा प्रो. शशिप्रभा कुमार ने राज्यपाल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि वेद से अमृत्व की कामना भारत में हुई। अमृत्व का अर्थ है भारतीय संस्कृति को उच्च विचारों के द्वारा भावी पीढ़ी तक रूपांतरित करना। उन्होंने संस्कृत व दर्शन के रूप में उनके द्वारा किया गया पुस्तकों का समस्त संग्रहण मरोणोपरांत भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान को देने की घोषणा की।

संस्थान के निदेशक प्रो. नागेश्वर राव ने कहा कि संस्थान के पुस्तकालय में 2 लाख पुस्तकें व पत्रिकाएं हैं और संस्थान द्वारा इस वर्ष 13 शोध ग्रंथ प्रकाशित किए हैं जबकि 7 प्रकाशनार्थ है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान ऐतिहासिक व शैक्षणिक महत्व का है, जहां भारतीय परम्पराओं पर आधारित शोध पर ध्यान दिया जा रहा है।

राज्यपाल ने किया भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के अध्येताओं का मार्गदर्शन

 

कार्यक्रम के दौरान भारत सरकार द्वारा हाल ही में पद्मभूषण से सम्मानित संस्थान के पूर्व अध्यक्ष प्रो. कपिल कपूर का अभिनंदन भी किया गया। इस अवसर पर, संस्थान के पूर्व अध्यक्ष प्रो. कपिल कपूर ने भारत की ज्ञान परम्परा पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हमारी सभ्यता ज्ञान केंद्रित, संस्कृति मूल्य आधारित तथा समाज कर्तव्य आधारित रहा है।

हिमाचल प्रदेश की प्रथम महिला नागरिक  जानकी शुक्ला, संस्थान के अध्येता और सह-अध्येता, संस्थान के अन्य अधिकारी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।