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5000 से अधिक सफल पित्ताशय के ऑपरेशन कर , डॉ दिनेश बेदी ने रोगियों को दिया नया जीवन
मानव शरीर कोई ना कोई बीमारी से ग्रस्त रहता है। आमतौर पर लोग पथरी की समस्या से परेशान रहते हैं। पथरी की समस्या शरीर के दो अंगों में होती है एक तो किडनी और दूसरी पित्त के थैली में। किडनी की पथरी सामान्य तौर पर आसानी से निकल जाती है लेकिन पित्त की थैली की पथरी न सिर्फ कठिनाई से निकलती है, साथ में इसके कारण लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। श्री साई ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के निदेशक डॉ दिनेश बेदी, जनरल एवं लैप्रोस्कोपिक सर्जन के तौर पर पिछले 18 वर्षों से चिकित्सा जगत में अपनी सेवाएं दे रहे है। डॉ बेदी ने इस दौरान लगभग 5000 से अधिक पित्ताशय की पथरी के सफल ऑपरेशन किये। आइये डॉ दिनेश बेदी से जानते है पित्ताशय की पथरी के विषय में …
प्रश्न -1 डॉ. बेदी, सबसे पहले हम जानना चाहेंगे की मानव शरीर में पित्ताशय यानि गॉल ब्लैडर की क्या भूमिका होती है ?
उतर -1 जी , देखिये पित्त हमारे शरीर के अन्दर एक ऐसा अंग है जो कि पित्त रस का निर्माण करता है जो खाना हम खाते हैं पित्त रस उसे पचाने में मदद करता है।
प्रश्न.2 डॉ. साहब, पित्ताशय की पथरी होने के मुख्यता क्या कारण होते हैं ?
उतर.2 पित्ताशय की पथरी के कारण है हमारा आज कल का सेडेंटरी लाइफ स्टाइल, हमारा खान पान, जो भी व्यक्ति ज्यादा तला एवं मसालेदार खाना खाता है या खाना खाने का प्रॉपर स्केडयुल फॉलो नहीं करता। कभी कबार किसी बिमारी के इलाज के लिए लम्बे समय तक खाई जाने वाली अधिक दवाईयां, महिलाओं में प्रेगनेंसी भी एक कारण हो सकता है। सबसे महत्वपूर्ण जो लोग बहुत ज्यादा फास्टिंग करते हैं उन लोगों को भी पित्ताशय की पथरी होने की ज्यादा सम्भावना रहती है क्योंकी फास्टिंग में जैसे बहुत देर तक पित्त रस पित्ताशय में ही इकठा रहता है जिस कारण पित्त गाड़ा हो जाता है और पथरी बनने में सहयोग करता है। कुछ लोगो में लिवर के खराब होने की स्थिति में भी पित्ताशय की पथरी बनती है क्योकि बाइल एसिड जो पथरी को गला देता है वो कम बनता है। इस कारण भी गॉलब्लेडर की पथरी होने की अधिकतरता रहती है। महिलाओं में हार्मोनस के बदलाव के कारण पथरी हो जाती है।
प्रश्न .3 सर , पित्ताशय की पथरी होने के दौरान क्या क्या लक्षण देखे जाते है ?
उतर -3 देखा गया है की पित्ताशय की पथरी के 80 प्रतिशत मरीजों में इसके लक्षण नहीं दिखाई देते, बहुत से लोग हमारे पास आते है जिन्हे 5 साल 10 साल से स्टोन्स है परन्तु कभी कोई लक्षण महसूस नहीं हुए। अमूमन 20 प्रतिशत मरीजों में आम लक्षण में पेट के दाहिने हिस्से में पंजर के नीचे दर्द होता है। यह दर्द गंभीर हो सकता है और पीठ या दाएं कंधे तक फैल सकता है। रोगी को पेट में भारीपन, मतली और उल्टी का अनुभव होता है जो भोजन करने के ठीक बाद और ज्यादा हो जाता है। यदि पथरी पित्त नली में खिसकता है तो पीलिया या तेज बुखार हो सकता है।
प्रश्न .4 सर, पित्त की पथरी का पता लगाने के लिए कौन कौन से टैस्ट किये जाते हैं और कौन सा इलाज उपलब्ध है?
उतर .4 इस बिमारी में मरीज़ के नोर्मल जांच के बाद ब्लड टैस्ट और लिवर टैस्ट किये जाते हैं ये देखने के लिए की लिवर का फंक्शन कैसा हैै। सबसे जरूरी होता है सोनोग्राफी, हम सोनोग्राफी से पता लगा सकते है कि पित्त में पथरी है , इंफेक्शन है और स्टोन की लोकेशन क्या है। क्या स्टोन पित्त में है या बाहर निकल गया है बाहर मतलब बाइल में अटक गया है। ये सब जानकारी सोनोग्राफी से मिल जाती है। अगर स्टोन गाॅलब्लाडर के अंदर है या इंफेक्शन है । फिर भी यदि चिकित्सक को कोई डाउट हो तो हम एम. आर. आई. करवाते है जिससे हम एम. आर. सी. पी. यानि मैगनेटीक रिसोनंस काॅलेंजिपेक्रिटोग्राफी कहते है जिससे अंदर के सभी अंगों की कंडीशन का पता चल जाता है। इसके बाद हम निर्णय लेते है सर्जरी का । दूरबीन द्वारा सर्जरी जिसे लैप्रोसकोपिक कोलीइस्टाॅटमी कहते है ये 99 प्रतिशत कामयाब होती है 1 प्रतिशत केस में हम अलग कारणों से ओपन सर्जरी की सलाह देते है। यदि किसी मरीज़ में स्टोन पित्त से खिसक कर नली में जा अटका है तो उसके लिए हम मरीज पर एक और प्रोसिजर करते है जिसे कहते है इ. आर. सी. पी. एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड काॅलेंजिपेक्रिटोग्राफी , जिसमें मुंह से दूरबीन छोटी आंत में डाल कर पथरी को निकाला जाता है और एक स्टंट रखा जाता है जो की लगभग तीन हफते के लिए रखा जाता है इस से पहले गॉलब्लेडर को सर्जरी करके निकाला जाता है ।
प्रश्न .5 सर कौन सी सर्जरी बेहतर होती है लैप्रोस्कोपिक या ओपन सर्जरी?
उतर .5 देखिए डाक्टर अपनी जांच के बाद, मरीज की कंडीशन के अनुसार सर्जरी सजैस्ट करते हैं कि मरीज को उसकी कंडीशन में लैप्रोस्कोपिक या ओपन कौन सी सर्जरी बेहतर है । लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के अपने फायदे है जैसे की अस्पताल में ज्यादा समय नही रहना पड़ता, मरीज़ को दो दिन में हाॅस्पिटल से डिस्चार्ज मिल जाता है । ओपन सर्जरी में चार से पांच दिन मरीज़ को अंडर ऑब्जरवेशन रखा जाता है ।
पित्त की पथरी के सम्बंध में डाॅ दिनेश बेदी ने विस्तार में बताया। श्री सांई ग्रुप ऑफ़ हाॅस्पिटल के निदेशक डाॅ दिनेश बेदी ने अब तक 5000 से अधिक पित्त की पथरी की सर्जरी की है। जिसमें हर उम्र के पुरुष एवं महिलाये शामिल है। डॉ दिनेश बेदी लगभग 18 वर्षो से “मनुष्य सेवा सर्वोच्च सेवा” के कथन को यथार्थ कर रहे है । अनुभवी लैप्रोस्कोपिक एवं जनरल सर्जन डाॅ दिनेश बेदी श्री सांई अस्पताल की अम्बाला, नाहन, पांवटा साहिब एवं काला अम्ब ब्रांच में अपने निर्धारित दिन में उपस्थित होके सेवाएं दे रहें है । ग्रुप के सभी अस्पतालों में स्वास्थ्य योजना के अंर्तग्रत विभिन्न कार्ड जैसे हिम केयर, आयुष्मान, ई.सी.एच.एस, इ.एस.आई और अन्य मुख्य इंशुरेंस कंपनियों के कार्ड पर कैश लेस या मुफत इलाज की सुविधा दे रहे है। जिला सिरमौर के मरीज़ों के लिए डा दिनेश बेदी द्वारा सर्मपित स्वास्थ सेवाएं अतुल्यनीय है।