आईआईटी मद्रास ने लीक सआउट आफ द बाक्स थिंकिग पर कोर्स के माध्यम से 10 लाख स्कूली एवं कालेज के छात्रों को जोड़ने का लक्ष्य रखा।

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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मंडी । आनलाइन माध्यम से पेश किये जाने वाला यह कोर्स नि:शुल्क होगा । यह कोर्स समस्या समधान को लेकर शिक्षण के बहुआयामी पहल पर ध्यान केंद्रित करेगा और यह भारत एवं दूसरे देशों में रहने वालों के लिये उपलब्ध होगा ।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास गणित के माध्यम से लीक से हटकर सोच आधारित ‘‘आउट आफ द बाक्स थिंकिग पर कोर्स शुरू करेगी

तोकि नवोन्मेषी सोच को बढ़ावा दिया जा सके । अपनी तरह के इस प्रथम पहल के तहत संस्थान का इस कोर्स के माध्यम से स्कूल व कालेजों के करीब 10 लाख छात्रों को जोड़ने का लक्ष्य है । इसके अलावा इसके तहत पेशेवरों एवं शोधकर्ताओं को भी जोड़ा जायेगा ।

ये कोर्स आईआईटी मद्रास के आईआईटी मद्रास प्रवर्तक टेक्नोलाजीज फाउंडेशन धारा 8 कंपनी के माध्यम से पेश की जायेगी । इसमें परीक्षा में बैठने वाले छात्रों को मामूली फीस लेकर ग्रेड प्रमाणपत्र दिया जायेगा । अंतिम परीक्षा भारत के चुनिंदा शहरों में स्थित केंद्रों पर निगरानी में आयोजित किये जायेंगे ।

कोर्स आनलाइन प्रारूप में उपलब्ध होगा, नि:शुल्क होगा और भारत एवं दूसरे देशों में रहने वाले सभी के लिये उपलब्ध होगा । चार ग्रेड वाला स्वतंत्र स्तर का यह कोर्स छात्रों, पेशेवरों, शोधार्थियों के लिये आसनी से उपलब्ध होगा ।
इस कोर्स के लिये पहला बैच 1 जुलाई 2022 से शुरू होने का कार्यक्रम निर्धारित है और इसके लिये पंजीकरण 24 जून 2022 तक हो सकेगा । जो लोग भी इस कोर्स में रूचि रखते हैं, वे निम्नलिखित लिंक पर जाकर पंजीकरण करा सकते हैं

ऐसे कोर्स की जरूरत का उल्लेख करते हुए आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी कामकोटि ने कहा, ‘‘ यह कोर्स भारत में अपने तरह का पहला कोर्स है और आने वाले दिनों में भारत में इसका काफी प्रभाव होगा । अगले कुछ वर्षो में हम इसका प्रभाव अनुभव कर सकेंगे । यह कोर्स नि:शुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है । इस कोर्स का स्कूल और कालेज के छात्रों, खासकर ग्रामीण भारत में रहने वालों को काफी फायदा होगा ।

प्रो. कामकोटि ने कहा कि लीक से हटकर सोच या आउट आफ द बाक्स थिंकिंग तर्क शक्ति का उपयोग करके अप्रत्यक्ष एवं रचनात्मक माध्यम से समस्याओं का समाधान करता है जो तत्काल जाहिर नहीं होते हैं,इसमें विचार की आवश्यक्ता होती है और केवल पारंपरिक तरीके से हासिल नहीं किये जा सकते । इस अनोखे कोर्स में तार्किक रूप से गणित के ज्ञात एवं अज्ञात तथ्यों को पुन: तलाशने वाली सोच पर जोर दिया जा रहा है जिससे रूचि विकसित हो सके ।

यह कोर्स समस्या समाधान के लिये बहुआयामी पहल को प्रस्तुत करता है, साथ ही उस मिथक को तोड़ता है कि समस्या समाधान कुछ चुने लोगों के दायरे की बात है।
यह आसन तरीके से समझी जाने वाली नयी तकनीक पेश करती है तथा उपयोगकर्ताओं को विश्वास एवं सरलता के साथ वास्तविक जीवन की समस्याओं का सामना करने में सक्षम बनाता है।

गणित की पढ़ाई में तर्क अंतर्निहित होने को देखते हुए प्रौद्योगिकी की दुनिया से जुड़े विस्तारित अनुप्रयोगों के जरिये विस्तृत सोच विकसित करना जरूरी है। आमोद प्रमोद के लिये सुडकू पहेली से लेकर निर्धारित परियोजना को पूरा करने को लेकर कामकाज में तर्क का महत्व इससे जुड़े अंकगणित से अधिक है। इसके लिए रचनात्मक सोच और विस्तृत अनुभूति की अधिक जरूरत होती है जिसे आमतौर पर ‘आउट आफ द बाक्स थिंकिंग’ के रूप में जाना जाता है।

यह कोर्स गणित शिक्षक एवं आर्यभट्ट इंस्टीट्यूट आफ मैथेमेटिकल साइंस के संस्थापक निदेशक सदगोपन राजेश पढ़ायेंगे । वे पिछले 30 वर्षो से स्कूल एवं कालेजों के विभिन्न स्तर के
छात्रों को गणित पढ़ा रहे हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार के रचनात्मक कोर्स के जरिये प्रोत्साहित करते हैं । वे प्राथमिक से लेकर हाई स्कूल के छात्रों को कार्यक्रमों के जरिये तालीम देते हैं, समस्या समाधान को लेकर स्नेह का भाव पैदा करते हैं और इस प्रकार से गणितीय एवं अन्य ओलंपियाड के लिये तैयार करते हैं ।

इस पहल के बारे में सदगोपन राजेश ने कहा कि अगर हम गणित को अनुशासन एवं जोश के रास्तों को अपनाकर आगे बढ़ते हैं और यह जरूरी नहीं कि यह औपचारिक रास्ता हो लेकिन यह अनुभव करें कि यह विषय अधिक तार्किक एवं विश्लेषणात्मक है तब हम हमारी सोच को व्यापक बना सकते हैं ।
उन्होंने कहा कि इसका महत्वपूर्ण आउटपुट कौशल विकास है जो तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी आधारित दुनिया के उपयुक्त हो और प्रभावी ढंग से योगदान देती हो।

सदगोपन राजेश क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक गणितीय ओलंपियाड से जुड़े कैम्पों में रिसोर्स पर्सन हैं । इसके अलावा वे शिक्षक मार्गदर्शन एवं संवर्द्धन कार्यक्रम भी संचालित करते हैं ।