आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला । दशहरा, इस त्योहार को आज पूरे देशभर में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष शारदीय नवरात्रि के समापन के अगले दिन विजय दशमी का त्योहार मनाया जाता है। इस बार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 24 अक्तूबर को है। दुर्गा पूजा के 10वें दिन मनाई जाने वाली विजयादशमी असत्य, अंहकार,अत्याचार और बुराई पर सत्य, धर्म और अच्छाई की विजय का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने अधर्म,अत्याचार और अन्याय के प्रतीक रावण का वध किया था। इसके अलावा देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध करके धर्म और सत्य की रक्षा की थी। इस दिन भगवान श्री राम, दुर्गाजी,लक्ष्मी,सरस्वती,गणेश और हनुमान जी की आराधना करके सभी के लिए मंगल की कामना की जाती है। समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विजयादशमी पर रामचारित मानस आदि का पाठ किया जाना शुभ माना जाता है। विजयादशमी के पर्व को अबूझ मुहूर्त माना गया है यानी इस पर्व पर बिना शुभ मुहूर्त देखे सभी तरह के शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
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विजयादशमी सर्वसिद्धिदायक तिथि है इसलिए इस दिन को सभी शुभ कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र की मान्यता के अनुसार इस दिन बच्चों का अक्षर लेखन, दुकान या घर का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, अन्न प्राशन, नामकरण, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार, भूमि पूजन आदि शुभ कार्य किए जा सकते हैं। मान्यता है कि इस दिन जो कार्य शुरू किया जाता है उसमें सफलता अवश्य मिलती है। इस धार्मिक मान्याताओं के चलते प्राचीन काल में राजा इसी दिन विजय की कामना से रण यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे बुराई के प्रतीक के रूप में जलाया जाता है।
दशहरे पर शमी के पौधे की विशेष रूप से पूजा करने की परंपरा होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत में पांडवों ने शमी के पेड़ के ऊपर अपने अस्त्र शस्त्र छिपाए थे, जिसके बाद युद्ध में उन्होंने कौरवों पर जीत हासिल की थी। इस दिन घर की पूर्व दिशा में शमी की टहनी प्रतिष्ठित करके उसका विधिपूर्वक पूजन करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस वृक्ष की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
विजयादशमी पर पान खाना, खिलाना मान-सम्मान, प्रेम और विजय का सूचक माना जाता है। दशहरा के दिन रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद दहन के पश्चात पान का बीणा खाना सत्य की जीत की ख़ुशी को व्यक्त करता है। इस दिन हनुमानजी को मीठी बूंदी का भोग लगाने बाद उन्हें पान अर्पित करके उनका आशीर्वाद लेने का महत्त्व है।