शिक्षक संघ हिमाचल प्रदेश का अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन 14 वें दिन में प्रवेश

आदर्श हिमाचल ब्यूरों

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शिमला । राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ हिमाचल प्रदेश का अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन 14 वें दिन में प्रवेश कर गया । हिमाचल प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के महिला विंग की पदाधिकारी ( महिला शक्ति) अपना योगदान देते हुए क्रमिक अनशन पर बैठ गई। इनमें हिमाचल प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ की प्रदेश अध्यक्षा अनुराधा मोहिल, महिला विंग हिमाचल प्रदेश की पूर्व महासचिव संदीप कुमारी, जिला कांगड़ा से प्रदेश महिला विंग की कार्यकारिणी सदस्य श्रेष्ठा देवी, जिला सिरमौर से प्रदेश महिला विंग की कार्यकारिणी सदस्य ब्रीजा देवी, जिला सोलन की महिला विंग की महासचिव सुशीला नेगी, जिला सोलन से प्रदेश महिला विंग सदस्य प्रमिला शर्मा शामिल रहीं।

 

 

 

क्रमिक अनशन में उनके साथ राज्य के संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रमोद चौहान, राज्य महासचिव संजय पीसी, राज्य सहसचिव राकेश पटियाल, जिला बिलासपुर के अध्यक्ष रमेश शर्मा, जिला कांगड़ा के अध्यक्ष अनिल भाटिया, जिला सोलन के अध्यक्ष रजनीश कौशिक, जिला चंबा के अध्यक्ष पुनीत निराला, जिला चंबा के महासचिव देवराज ठाकुर उपस्थित रहे। हिमाचल प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ की महिला विंग की अध्यक्षा ने क्रमिक अनशन पर अपना बयान जारी करते हुए कहा कि हिमाचल सरकार और शिक्षा विभाग को प्राथमिक शिक्षक संघ की मांगों पर सकारात्मक कार्यवाही करते हुए विस्तृत वार्ता करनी चाहिए तथा सभी समस्याओं का चर्चा उपरांत समाधान करना चाहिए। प्राथमिक शिक्षकों पर 26 अप्रैल 2025 को आयोजित धरना प्रदर्शन के उपरांत की गई प्रतिशोधात्मक कार्यवाही निलंबन व पुलिस FIR को वापस लिया जाए । लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपनी अनसुनी जा रही माँग के आंदोलन करना संविधान में वर्णित अधिकारों में आता है। शान्ति पूर्वक विरोध करने वालों का दमन करना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह पूर्ण रूप से आलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है इसे बिना विलंब वापस लिया जाए।
उन्होंने आगे कहा कि निलंबित अध्यापकों में शांति पूर्वक अपनी बात रखने वाली हमारी शिक्षिका सुनीता देवी जी का नाम भी अन्य सात अध्यापक साथियों में शामिल है जिस देश और प्रदेश में महिला का और अध्यापकों का अपनी बात रखने पर निलम्बन होता हो उस देश व प्रदेश का तंत्र किस तरह अपना कार्य कर रहा है सबके समक्ष है l प्रदेश सरकार को इस पर संज्ञान लेते हुए तुरन्त इन निलंबन आदेशों को रद्द करना चाहिए l