मानसिक समस्याओं के समाधान की एक ‘किरण’

मानसिक विकारों को छिपाएं नहीं, ‘किरण’ पर फोन करें

 

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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हमीरपुर। आधुनिक दौर की भाग-दौड़, गला-काट स्पर्धा, अकेलेपन और अति व्यस्तताओं से भरी जिंदगी के कारण आजकल कई लोग किसी न किसी रूप में तनाव, अवसाद, मानसिक पीड़ा और अन्य मानसिक व्याधियों की चपेट में आ जाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में भी जागरुकता की कमी या फिर कुछ भ्रांतियां के कारण हमारा समाज आज भी मानसिक स्वास्थ्य के प्रति उतना सजग नहीं है।

दरअसल, मानसिक स्वास्थ्य एवं मानसिक रोगों के बारे में अधिकांश लोग चर्चा ही नहीं करना चाहते हैं। अक्सर मानसिक रोगों को पागलपन से जोडक़र देखा जाता है। यही कारण है कि कई बार मानसिक समस्याओं से जूझ रहे व्यक्ति को समय पर उपचार नहीं मिल पाता है और ऐसी स्थिति उसके लिए बहुत ही घातक सिद्ध होती है। ऐसे लोगों के लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने उम्मीद की एक नई किरण दिखाई है।
दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने टॉल-फ्री नंबर 18005990019 पर         मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास हेल्पलाइन ‘किरण’ आरंभ की है। हिंदी और अंग्रेजी सहित कुल 13 भाषाओं में आरंभ की गई यह हेल्पलाइन किसी भी व्यक्ति की मानसिक समस्याओं के समाधान में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित विषयों की शीघ्र पहचान करना, प्राथमिक उपचार और मनोवैज्ञानिक सहयोग प्रदान करना, तनाव प्रबंधन एवं मानसिक स्वास्थ्य के उत्थान में मदद करना, सुधारात्मक व्यवहार को बढ़ावा देना, मनोवैज्ञानिक आपदा प्रबंधन और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के पास रेफर करना जैसे महत्वपूर्ण विषयों को इस हेल्पलाइन के मुख्य उद्देश्यों में शामिल किया गया है।
अति तनाव, अवसाद, उदासी, व्यसन, आत्महत्या एवं आत्मघात की प्रवृत्ति, पैनिक अटैक, सिजोफ्रेनिया, द्विध्रुवीय विकार और अन्य मानसिक समस्याओं से ग्रस्त व्यक्ति को अगर समय पर उपचार एवं परामर्श दिया जाए तो वह पूरी तरह ठीक हो जाता है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में उसके परिजन और मित्र महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकते हैं। ‘किरण’ हेल्पलाइन के माध्यम से भी ये लोग मानसिक समस्या से ग्रस्त अपने मित्र, रिश्तेदार या परिजन की मदद कर सकते हैं।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पांच में से एक वयस्क नागरिक किसी न किसी प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या से प्रभावित है। 10 में से एक युवा अवसाद यानि डिपे्रशन के गंभीर दौर से गुजरता है। 25 में से एक व्यक्ति को सिजोफ्रेनिया, द्विधु्रवीय विकार एवं गंभीर अवसाद होने की आशंका रहती है। यही नहीं, भारत में प्रति एक लाख लोगों में लगभग 10.5 और विश्व भर में 11.6 लोग प्रति वर्ष आत्महत्या कर लेते हैं।
50 प्रतिशत से अधिक मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकार एवं रोगों के लक्षण 14 वर्ष की आयु से पहले ही दिखाई देने लगते हैं। 75 प्रतिशत से अधिक विकार 24 वर्ष की आयु से पहले ही हो जाते हैं। दुर्भाग्यवश, ऐसे रोगों के लक्षण वाले किशोरों में केवल 20 प्रतिशत को ही मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो पाती हैं।
अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी जितेंद्र सांजटा ने बताया कि आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में मानसिक समस्याएं भी लगातार बढ़ रही हैं। इनसे निपटने के लिए मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास हेल्पलाइन आरंभ ‘किरण’ की गई है। मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के शिकार लोगों के परामर्श एवं उपचार के लिए इस हेल्पलाइन का भरपूर लाभ उठाया जाना चाहिए।