कुलदीप सिंह पठानियां ने महाराष्ट्र विधानसभा में 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को किया सम्बोधित

आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

Ads

मुम्बई । हिमाचल प्रदेश विधान सभा के माननीय अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां जो आजकल महाराष्ट्र की राजधानी मुम्बई में आयोजित 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में भाग लेने आए है ने आज महाराष्ट्र विधान सभा में चर्चा के लिए लाए गए दो महत्वपूर्ण विषयों  समिति प्रणाली को अधिक उदेश्यपूर्ण एवं प्रभावी कैसे बनाया जाये ” तथा लोकतांत्रिक संस्थानों में लोगों का विश्वास मजबूत करने के लिए संसद और राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों की विधान सभाओं में अनुशासन और मर्यादा बनाए रखने की जरूरत है” पर अपना सम्बोधन दिया। सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए  पठानियां ने कहा कि यदि हमनें सही मायने में  अपनी लोकतांत्रिक प्रणाली  को मजबूत करना  है तो समिति की कार्यप्रणाली को सुदृढ़ करना होगा ताकि हम सही में जनता को न्याय दे सकें तथा कार्य में निपुणता, दक्षता तथा पारदर्शिता ला सकें।

                   पठानियां ने कहा कि  अब वक्त आ गया है कि  सभी को जिम्मेवारी उठाने की जरूरत है यदि ऐसा ना हुआ तो जनता का कार्यप्रणाली से विश्वास उठ जाऐगा और सुधार की कोई भी गुंजाईश नही रह पायेगी।

                   पठानियां ने कहा कि  समिति प्रणाली लोकतांत्रिक शासन की आधारशीला है जो प्रभावी निणर्य लेने में सहयोग को बढ़ावा देने और विभिन्न संगठनों और संस्थानों के भीतर जवाबदेही को बढ़ावा देने में  महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है चाहें स्थानीय,राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समितियां जटिल मुद्दो को सुलझाने ,गहन विश्लेषण करने और अच्छी तरह से सूचित  सिफारिशें तैयार करने के लिए अति आवश्यक तंत्र  के रूप में कार्य करती है।

                   पठानियां ने कहा कि  समिति प्रणाली की उद्देश्यपूर्णता  और प्रभावशीलता  को बढ़ाने के लिए कई प्रमुख सिद्धांतो और रणनितियों  पर विचार  किया जाना चाहियें । सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण प्रत्येक समिति के लिए स्पष्ट और अच्छी तरह से परिभाषित  उदेश्य स्थापित किए जानें चाहिए। इन उद्देश्यों को संगठन के समग्र लक्ष्यों और मिशन के साथ संरेखित करना चाहिए। एक प्रभावी समिति प्रणाली के लिए पारदर्शिता एक और महत्वपूर्ण तत्व है। यह पारदर्शिता सदस्यों के बीच विश्वास को बढ़ावा देती है और निर्णय लेने की पक्रिया में जबावदेही सुनिश्चित  करती है।

                  जबकि लोकतांत्रिक संस्थानों में लोगों का विश्वास मजबूत करने के लिए संसद और राज्यों केन्द्र शासित प्रदेशों की विधान सभाओं में अनुशासन और मर्यादा बनाए रखने की जरूरत है विषय पर अपना सम्बोधन देते हुए पठानियां ने कहा कि  लोकतांत्रिक संस्थाये, लोकतांत्रिक व्यवस्था के मूलभूत घटक है, जो संरचनात्मक ढांचे के रूप में  कार्य करती है, जो लोगो द्वारा, लोगो के लिए सरकार के कामकाज को सुविधाजनकं बनाते है। एकं स्वतन्त्र लोकतंत्र में लोगों का अपनी संस्थाओं पर भरोसा सर्वोपरि है। इन संस्थानो को लोकतांत्रिक सिद्धांतो को बनाए रखने और लागू करने, नागरिकों की भागीदारी, प्रतिनिधित्व और उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित  करने के लिए डिजाईन किया गया है।

                   पठानियां ने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका लोकतांत्रिक प्रणाली के तीन महत्वपूर्ण कारक है जिनका मजबूत होना स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था तथा जनता में विश्वास बनाए रखने के लिए अति महत्वपूर्ण है

                  पठानियां ने कहा कि यदि हमें लोगों का विश्वास जीतना है तो संसदीय नैतिकता  को मजबूत बनाना होगा, द्विदलीयता को बढावा देना होगा, मिडिया साक्षरता कार्यक्रम आयोजित करने होगे, प्रभावी नेतृत्व को आगे लाना होगा, नियमों का कड़ाई से प्रवर्तन करना होगा, प्रोद्यिगिकी  एकीकरण का लाभ उठाना होगा तथा विधायी निकायों को नियमित रूप से अपने  नियमों और प्रकियाओं की समीक्षा करनी होगी। इन सुझावों का स्वस्थ लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए  पालन करना परम आवयश्क है तभी हम लोगों का विश्वास जीत सकतें है।

                  इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश विधान सभा के माननीय उपाध्यक्ष विनय कुमार विधान सभा सचिव यशपाल शर्मा भी सदन में मौजूद थे। आज कार्यक्रम का समापन भी था तथा इस अवसर पर सम्मेलन को लोक सभा के  अध्यक्ष एवमं अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के अध्यक्ष ओम ‍ बिरला, महाराष्ट्र  के उप मुंख्य मंत्री  देवेन्द्र फडणवीस, महाराष्ट्र के माननीय राज्यपाल रमेश बैस तथा राज्य सभा के  सभापति एवं उपराष्ट्रपति  जगदीश धनखड़ ने भी सम्मेलन को सम्बोधित किया।