आदर्श हिमाचल ब्यूरो
मंडी । मौसम की बेरुखी इस साल सेब की लाली के लिए खतरा बन रही है सेब के बगीचे में फूल आने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है लगातार बारिश और चोटियों पर हिमपात के कारण बढ़ रही ठंड से फूलों में होने वाले परागण की प्रक्रिया के लिए संकट खड़ा हो गया है बता दें कि मार्च महीने के अंतिम दिनों में लगातार हो रही भारी बारिश से बीती रात को सिराज विधानसभा क्षेत्र के ऊंचाई वाले इलाके में फिर से हिमपात हुआ है और वंही निचले क्षेत्र जैसे थुनाग, वगसयाड, जंजैहली, छतरी,गाडागुशैनी, गतु, बगड़ाथाच सेरीनेहरा, टिपरा इत्यादि में भारी ओलावृष्टि होने के कारण बागबानो द्वारा अपने-अपने सेब के बगीचों में ओलावृष्टि से बचने के लिए नेट जाली का इस्तेमाल किया है लेकिन बीती रात को लगातार भारी मात्रा में ओलावृष्टि होने से सेब बगीचौ की नेट यानी जाली को भी ओलावृष्टि ने भारी नुकसान पहुंचाया है जो भी बागबानो द्वारा सेब को बचाने के लिए नेट लगाई गई थी वह सारी की सारी ओलावृष्टि से टूट गई है।
जिससे बागबानो को लाखों का नुकसान हुआ है इसके साथ-साथ बागवानों की मटर की फसल भी तबाह हो गई है कहते है कि भगवान जब देता है तो छप्पर फाड़ के देता है ठीक उसी प्रकार से बीती रात को इंद्रदेव ने भारी मात्रा में ओलावृष्टि का कहर मचाया जिससे अब बागबान और किसान बहुत चिंतित है बागवानी विशेषज्ञ की मानें तो सेब के लिए 12 से 24 डिग्री के बीच के तापमान को अनुकूल मानते हैं अगर कई दिनों तक बारिश नहीं रुकी तो हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी नगदी फसल सेब पर बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है जबकि सुषुप्त अवस्था में दिसंबर से फरवरी के बीच सेब के लिए बर्फबारी के साथ ठंडा मौसम बेहतर माना जाता है बागबान कहते हैं कि ठंड के कारण आजकल फूल खिलने की प्रक्रिया रुक गई है जिसके कारण बागबानो को भारी नुकसान हो सकता है।