लंपी वायरस: पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए जिला प्रशासन व पशु विभाग सतर्क, अब तक 15200 पशुओं का हुआ टीकाकरण 

किन्नौर में लंपी वायरस के आए 397 मामले, 205 पशु हुए ठीक  

लंपी वायरस
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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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किन्नौर। उपायुक्त किन्नौर तोरुल रवीश ने जानकारी देते हुए कहा कि जिला किन्नौर में पशुओं में लंपी वायरस के संक्रमण से सुरक्षित रखने हेतू जिला प्रशासन व पशु विभाग द्वारा प्रभावी कदम उठाए गए है। उन्होंने कहा कि जिला किन्नौर में लंपी वायरस से बचाव के लिए अब तक 15200 पशुओं का टीकाकरण किया गया है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के पास लंपी वायरस के रोकथाम के लिए पर्याप्त टिके उपलब्ध है और कुल 178 सक्रिय मामलों की तुलना में 4900 टिके संरक्षित है। जिला किन्नौर में 397 पशुओं में लंपी वायरस पाया गया , जिनमें से 205 पशु ठीक हो चुके हैं।

 

 

उपायुक्त ने कहा कि लंपी वायरस के रोकथाम के लिए पशु पालन विभाग के सभी संस्थानों में दवाईयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाई जा रही है और सप्ताह के भीतर दवाईयों की दूसरी आपूर्ति भी विभाग को प्राप्त हो जाएगी। जिला किन्नौर में लोगों को लंपी वायरस जो कि चमड़ी रोग है , के संदर्भ में लोगों को उचित जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए अन्य विभागों के साथ संयुक्त जागरुकता शिविर का आयोजन भी किया जा रहा है।

 

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उपायुक्त ने पशु पालकों से पशुओं में बीमारी के लक्षण दिखते ही तुरंत नजदीकी पशु औषधालय/ पशु चिकित्सालय में संपर्क करने का आग्रह भी किया। लंपी वायरस ज्यादातर गाय, भैंस और हिरण को प्रभावित करता है। लंपी वायरस एक वायरल बीमारी है और यह खून पीने वाले कीड़ों, जैसे मक्खियों और मच्छरों की कुछ प्रजातियों, या टिकों द्वारा फैलता है। इससे बुखार और त्वचा पर गांठें पड़ जाती हैं और मवेशियों की मृत्यु हो सकती है। लक्षणों में तेज़ बुखार, दूध उत्पादन में कमी, त्वचा पर गांठें, भूख न लगना, नाक से स्त्राव बढ़ना और आंखांे से पानी आना आदि शामिल हैं।

 

लंपी वायरस से जानवरों को ठीक किया जा सकता है, हालांकि वायरस के कारण ऐेसे जानवरों का दूध भी प्रभावित हो सकता है। लंपी वायरस बीमारी एक नो- जूनोटिक संक्रमण हैं उनका मांस खाने या उनका दूध इस्तेमाल करने से इंसानों को कोई खतरा नहीं है। संक्रमित मवेशियों के दूध का सेवन करना सुरक्षित है। दूध उबालकर या बिना उबाले पीने पर भी दूध की गुणवत्ता में कोई समस्या नहीं होती है।