ममता, पूजा ने महिलाओं को दिखाई स्वरोजगार की राह, चीड़ की पत्तियों में पिरोई सुंदर राखियां

स्वदेशी उत्पाद तैयार करने में आगे आईं सोलन सहायता समूह की महिलाएं

घर बैठकर तैयार की जा रही राखियां….लोगों में स्वदेशी राखियों की बढ़ी मांग

आनी। देश एक ओर जहां कोरोना जैसी भयंकर महामारी के प्रकोप से जूझ रहा है, वहीं चीन युद्ध की स्तिथि पैदा कर दुनिया के लिए तनाव पैदा कर रहा है।ऐसे में भारत देश ने चीन को सबक सिखाने के लिए एक ओर जहां अपनी सुरक्षा को मजबूत कर लिया है, वहीं चीनी उत्पादों का देश में बहिष्कार व  प्रतिबंध लगाकर चाईना को आर्थिक रूप से कमजोर बना दिया है।इसी के चलते भारत देश में भाई वहन के पवित्र रिश्ते के प्रतीक पर्व ,रक्षा बंधन पर इस बार बहने अपने भाईयों की कलाई पर चकमक चीनी राखियों का बहिष्कार कर , सुंदर व आकर्षक स्वदेशी राखियों को शान से पहनाएगी।
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इस दिशा में सोलन के दुर्गा ग्रुप व भोजनगर के रोशनी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने समूह की प्रधान एवं प्रशिक्षिका  ममता ठाकुर ने चीड़ की पत्तियों में राखियां पिरोकर ,स्वेदशी उत्पाद के निर्माण में एक नई मिसाल कायम की हैं और महिलाओं के लिए स्वरोजगार की राह दिखाई है। ममता ठाकुर ,व  पूजा वर्मा जहां स्वयं भी चीड़ की पत्तियों से राखियां बनाने में जुटीं हैं, वहीं वे प्रशिक्षिका के रूप में  स्वयं सहायता समूह की अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षित कर ,उन्हें आत्मनिर्भर निर्भर बना रहीं हैं,जिसमें अर्चना भी उनका सहयोग कर  रहीं हैं।
 ममता ठाकुर  का कहना है कि उन्होंने अब तक डिमांड के अनुसार चीड़ की पत्तियों से लगभग 250  सुंदर व आकर्षक स्वदेशी राखियाँ तैयार कर दी हैं, जिनकी मांग लगातार बढ़ रही है।ममता का कहना है कि चीड़ की पत्तियों से तैयार की जाने बाली राखियों में चीड़ की पत्तियों के अलावा धागा, मौली व मोतियों का प्रयोग किया जाता है,एक महिला एक दिन में  20 से 25 राखियां तैयार कर लेती हैं,।जबकि एक राखी को वे आर्कषक डिजाइन के अनुसार 15,20 रु से लेकर 30 रु तक बेचती हैं।ऐसे में महिलाएं घर बैठकर ही चीड़ की पत्तियों से तरह तरह के सामान तैयार कर , जहां अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ कर रहीं हैं, वहीं कोरोना महामारी जैसी विकट परिस्थिति में घर पर ही स्वदेशी उत्पाद तैयार कर ,स्वरोज़ार की दिशा में एक नई मिसाल कायम कर रहीं है,जो दूसरों के लिए एक प्रेरणा है।

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