भारत के लाखों कर्मचारियों ने अपने संवैधानिक हक पाने के लिए लगातार बुलंद की अपनी आवाज

पुरानी पेंशन स्कीम के स्थान पर न्यू पेंशन स्कीम की गई लॉन्च

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली विचारधारा एवं राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के द्वारा देश भर में अपने संवैधानिक हक़ को प्राप्त करने के लिए लगातार आवाज़ बुलंद की जा रही है। इसकी के अंतर्गत 12 जुलाई को एक पेड़ लगाओ पुरानी पेंशन के नाम मुहिम चलाई गई, सुबह से रात तक इसकी जानकारी राष्ट्रीय सोशल मीडिया प्रभारी राजिन्र्द स्वदेशी ने दी।

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उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान अपने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकारों को मुहैया करवाता है। उसी के अंतर्गत समस्त भारतीय कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है लेकिन आज से लगभग दो दशक पहले भारत सरकार ने कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकार के स्थान पर अर्थात पुरानी पेंशन स्कीम नियमावली 1972 के स्थान पर न्यू पेंशन स्कीम लॉन्च कर दी।
गौरतलब है कि भारत सरकार अपने कर्मचारियों से अपने अधीन कार्य करवाती है एवं उनकी आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा भी स्वयं करती है, पुरानी पेंशन स्कीम नियमावली 1972 के अनुसार लेकिन हाल ही के कुछ दशकों में भारत सरकार ने अपने कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकार को खत्म करके आघौगिक घरानों के अधीन कर दिया है। जिसके परिणामस्वरूप भारत के समस्त कर्मचारियों को दो वर्गों में बांट कर रख दिया है। पुरानी पेंशन धारक भारतीय कर्मचारी बनाम न्यू पेंशन धारक कर्मचारी। भारत के समस्त कर्मचारियों के द्वारा भारत सरकार का कार्य लिया जाता है अर्थात एक समान कार्य, तो उनकी आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा में विभिन्ना क्यों??? क्योंकि पुरानी पेंशन नियमावली 1972 के अनुसार भारतीय कर्मचारियों को वर्तमान समय में पेंशन मिल रही है।
उसमें पर्याप्त मात्रा में सुविधाएं उपलब्ध हैं जिनके द्वारा कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति एवं सामाजिक स्थिति सुरक्षित है लेकिन दूसरे वर्ग के कर्मचारियों पर जो न्यू पेंशन स्कीम लॉन्च की गई है। उसके अन्तर्गत जो सुविधाएं उपलब्ध हैं, वे सिर्फ दिखावे के मात्र हैं। ये भारतीय कर्मचारियों के किसी भी पक्ष को सुरक्षित रखने में पूर्णता असफल हो रही है। जब इसकी सच्चाई भारतीय कर्मचारियों को पता चली तो समस्त कर्मचारी वर्ग ने राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार से अपने संवैधानिक अधिकार को प्राप्त करने की मांग करने लगे। क्योंकि पुरानी पेंशन स्कीम प्रत्येक भारतीय कर्मचारी का संवैधानिक अधिकार है। जोकि भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों के अंतर्गत आता है अर्थात हर देश में मौलिक अधिकारों होना अनिवार्य है। विधानपालिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका भी किसी को भी मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं कर सकती है।
    इस लिये ही भारत के समस्त कर्मचारियों के द्वारा अपने संवैधानिक अधिकार को प्राप्त करने के लिए लगातार आवाज़ बुलंद की जा रही है। इसके अन्तर्गत 21 जून 2020 को पुरानी पेंशन बहाली विचारधारा जन जागरूकता अभियान दिवस के अन्तर्गत पोस्टर के द्वारा माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय प्रधानमंत्री जी तक अपने संवैधानिक हक का सन्देश पहुँचाना था। अभी हाल में ही 12 जुलाई को एक और मुहिम चलाई गई उसके अन्तर्गत एक पेड़ पुरानी पेंशन के नाम पर लगाया गया है। इस अभियान का भी राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा भारत के तत्वावधान में आयोजन किया गया। इस आयोजन में देश के समस्त कर्मचारियों के साथ-साथ बहुत सारे भारतीय नागरिकों ने भाग लिया।
    भाग लेने वालों पदाधिकारियों एवं सदस्यों के नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष बी पी रावत, विश्वविद्यालयों के राष्ट्रीय सयोंजक प्रोफेसर अनिल स्वदेशी, राष्ट्रीय महासचिव प्रदीप कुमार सरल, सरदार जनरैल सिंह, अध्यक्ष जसवीर सिंह तलवाडा,उपाध्यक्ष एल डी चौहान, राज्य सह-सचिव सुरेंदर पटियाल, राज्य उपाध्यक्ष कुलदीप चन्द, राज्य अध्यक्ष प्रवीण कुमार, राज्य अध्यक्ष रीता देवी, राज्य उपाध्यक्ष रीता डोगरा, संजीव कुमार, कीर्ति सिंह, प्रधान राजूराम शर्मा, गुड्डू राम, निर्मल कुमार, राजीव रंजन, विपन उपाध्याय, मनोज तिवारी, शंकर सिंह, वीना सकलानी, इत्यादि। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा भारत के तत्वावधान में निरन्तर मुहिमें चलाई जा रही हैं और चलाई जाएगी, जब-तक समस्त भारतीय कर्मचारियों को अपना संवैधानिक अधिकार (पुरानी पेंशन स्कीम) प्राप्त नहीं होता।
   साथ ही एक और मुहिम चलाई गई है, इसके अन्तर्गत समस्त भारतीय कर्मचारियों एवं समस्त नागरिकों के द्वारा अपनी आवाज़ में एक विडियो के मध्यम से अपने संवैधानिक हक़ की मांग को सरकार तक पहुंचाने की। संवैधानिक हक़ों की मांग करना हर एक नागरिक का मौलिक अधिकार है, इस लिए अपने संवैधानिक हक़ को प्राप्त करने के लिए स्वयं अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं, करते रहेंगे, जब-तक संवैधानिक हक़ की प्राप्ति नहीं होती है।