आदर्श हिमाचल ब्यूरो।
सोलन : नौणी मझगांव ग्राम पंचायत में एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम के तहत प्राकृतिक खेती और पशुपालन पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल मुख्य अतिथि रहे।
पंचायत प्रधान मदन हिमाचली ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और बताया कि प्राकृतिक खेती और पशुपालन के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन खंड विकास ऑफिस के सहयोग से किया गया है। इस अवसर पर खंड विकास अधिकारी सोलन रमेश कुमार शर्मा ने कहा कि एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम के तहत 14 पंचायतों में जल भंडारण टैंक, चेक डैम और वृक्षारोपण गतिविधियों आदि जैसे विभिन्न कार्यों पर 6.17 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं। पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. नितिन सहगल ने पशुओं में होने वाली विभिन्न बीमारियों के बारे में बताया। उन्होंने देशी गाय को खरीदने के लिए सरकार द्वारा दिये जा रहे अनुदान और अन्य योजनाओं की जानकारी साझा की।
नौणी विवि के सब्जी विज्ञान में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप ठाकुर ने प्राकृतिक खेती की मूल बातें बताईं। डॉ. ठाकुर ने किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभों से अवगत करवाया और उनसे अच्छी गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थों के उत्पादन के लिए इस कृषि प्रणाली को अपने खेतों पर अपनाने का आग्रह किया। सोलन जिला परिषद के सदस्य मनोज वर्मा ने किसानों से खेती की नवीनतम तकनीकों को सीखने का आह्वान किया। उनका विचार था कि किसानों को उद्यमी बनने की जरूरत है ताकि वे अपनी आय बढ़ा सकें।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. परविंदर कौशल ने वाटरशेड परियोजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए कार्यान्वयन प्राधिकरण की सराहना की। उन्होंने कहा कि विकास सभी के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि पुरानी और नई पीढ़ियों को एक-दूसरे के साथ अपने विचारों का आदान-प्रदान करने की जरूरत है। डॉ. कौशल ने कहा कि युवा अपने नए विचारों को उचित वैज्ञानिक तरीके से लागू करके अच्छा कार्य करना चाहते हैं।
उन्होंने प्रतिभागियों से प्राकृतिक खेती जैसी तकनीकों को अपनाने का आह्वान किया ताकि वे इस कृषि तकनीक के लाभों को अपने खेतों में देख सकें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने कई प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं जो किसानों की आय बढ़ाने के लक्ष्य को साकार करने में अत्यधिक फायदेमंद साबित हो सकती हैं।
शिविर में क्षेत्र के किसानों के साथ-साथ पंचायत प्रतिनिधि, विभिन्न सरकारी विभागों और जोगिंद्रा बैंक के अधिकारी और शमरोड़ पंचायत के प्रधान शामिल हुए।