आदर्श हिमाचल ब्यूरो
मंडी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशानिर्देशों के अनुसार करिकुलम में नयापन लाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। संस्थान के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा के मार्गदर्शन में संस्थान ने अंडरग्रैजुएट कोर्स करिकुलम में सुधार करते हुए विद्यार्थियों के समग्र विकास और उन्हें तनाव-मुक्त शिक्षा देने की बड़ी पहल की है।
25 जुलाई 2023 को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बोलते हुए, प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहरा ने कहा, “आईआईटी मंडी में हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे छात्रों के पास एक लचीला पाठ्यक्रम है जो उन्हें प्रथम वर्ष के बाद उनकी रुचि के आधार पर अपनी शाखा बदलने की अनुमति देता है। हम एक ऐसी संरचना बनाने पर काम कर रहे हैं जहां इंजीनियरिंग और मेडिकल पृष्ठभूमि के शोधकर्ता इंटरडिसप्लनेरी अनुसंधान करेंगे और उन्हें उस विशेषज्ञता को चुनने की स्वतंत्रता होगी जिसे वे आगे बढ़ाना चाहते हैं। एनईपी2020 का एक प्रमुख पहलू सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना है। भारतीय ज्ञान प्रणाली और मानसिक स्वास्थ्य अनुप्रयोग केंद्र हमारा संस्थान यह सुनिश्चित कर रहा है कि छात्रों को भारतीय ज्ञान प्रणाली से परिचित कराया जाए। हमारा पाठ्यक्रम सुनिश्चित करता है कि छात्रों को समग्र विकास का अनुभव मिल रहा है।”
इसके अलावा प्रोफेसर बेहरा ने बताया, “आईआईटी मंडी में क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र को आगे बढ़ाने और भविष्य की पीढ़ियों को शिक्षित करने के लिए समर्पित एक क्वांटम कंप्यूटर का निर्माण करेगा।”
आईआईटी मंडी के करिकुलम में शामिल एनईपी2020 की खास पहल और विशेषताएं…..
समग्र विकास – एनईपी 2020 के दिशानिर्देशों के अनुसार आईआईटी मंडी अपने छात्रों और संकाय के सदस्यों के समग्र विकास पर जोर देता है। इसके तहत शारीरिक व मानसिक स्फूर्ति और सॉफ्ट कौशल के विकास पर भी ध्यान देते हुए संपूर्ण आईआईटी मंडी समुदाय का समग्र विकास सुनिश्चित किया जाता है। छात्रों का व्यक्तिगत , शैक्षिक और काम-काजी जीवन तनाव मुक्त रहे यह सुनिश्चित करने के लिए आईआईटी मंडी ने कई खास प्रयास किए हैं जैसे छात्रों के लिए मार्गदर्शन और परामर्श सेवाएं खेल सुविधाएं और कैरियर और प्लेसमेंट सेंटर आदि।
अंतःविषयी शिक्षा और अनुसंधान केंद्र – छात्र अपने बुनियादी विषयों से बाहर अपनी रुचि के विविध क्षेत्रों को जानें यह प्रोत्साहन देते हुए संस्थान ने भारतीय ज्ञान प्रणाली और मानसिक स्वास्थ्य अनुप्रयोग केंद्र (आईकेएसएमएचए), और सेंटर फाॅर आई एवं रोबोटिक्स (सीएआईआर) जैसे अंतःविषयी अनुसंधान केंद्रों की स्थापना की है। इसके परिणामस्वरूप बैचलर, मास्टर और पीएच.डी. स्तर पर भी नए कोर्स शुरू हुए हैं जो बहु-विषयी शिक्षा के अनुरूप हैं जिस पर एनईपी के तहत जोर दिया गया है। इस तरह संस्थान पिछले दो वर्षों में तीन नए अंतःविषयी प्रोग्राम शुरू करने में सफल रहा है जिनके नाम हैं:
एमबीए (एआई एवं डीएस)
जेनरल इंजीनियरिंग में बी.टेक.
गणित और कंप्यूटिंग में बी.टेक.
आईकेएसएमएचए सेंटर – आईकेएसएमएचए सेंटर भारतीय ज्ञान प्रणालियों के ऐसे विषयों के शोध पर केंद्रित है जिनका मानव शरीर, मानसिक स्वास्थ्य और जन कल्याण संबंधी कई लाभ हैं। आईकेएस की जड़ें भारतीय इतिहास, दर्शन, समाज, कला, भाषा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और जीवन विज्ञान में गहरी समाई हैं। इसके तहत मन, मस्तिष्क और चेतना का अध्ययन किया जाता है और इसमें कई क्षेत्रों के अनुप्रयोग भी शामिल हैं जैसे चेतना अध्ययन, योग, ध्यान, आयुर्वेद, पारंपरिक भारतीय चिकित्सा अनुसंधान और अन्य भारतीय प्रदर्शन कला आदि। आईकेएसएमएचए सेंटर का एक कोर्स ‘चेतना और समग्र कल्याण का परिचय’ बी.टेक. के सभी छात्रों के लिए अनिवार्य किया गया है।
अब तक आईआईटी मंडी ने स्कूल, कॉलेज के छात्रों, ड्रॉपआउट्स, हिमाचल सरकार के पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग कॉलेज के संकाय सदस्यों सहित 1000 से अधिक हिमाचली युवाओं को प्रशिक्षित किया है। । इनमें से 60% से अधिक प्रतिभागियों को नौकरियां या नौकरी के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। उनमें से कई छात्रों ने कोर्स पूरा होने के बाद आईआईटी मंडी में इंटर्नशिप की है।
इसी तरह आईआईटी मंडी एम. एससी डिग्री प्राप्त करने के लिए 2 साल के आईपीएचडी प्रोग्राम के बाद बाहर निकलने का विकल्प देता है। संस्थान नियमित पीएचडी को पार्ट टाइम पीएचडी में बदलने का विकल्प भी देता है ताकि उम्मीदवार कोई जाॅब भी कर सके। छात्र पीएचडी से मास्टर का विकल्प भी चुन सकते हैं।
कोर्स में लचीलापन – आईआईटी मंडी ने एनईपी 2020 के अनुरूप अपने कोर्स को लचीला बना कर छात्रों को अपनी रुचि और कैरियर के लक्ष्यों के अनुसार आरंभ से ही अपनी शिक्षा का मार्ग प्रशस्त करने का अवसर देता है। यह विकल्प स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएच.डी. सभी स्तर के छात्रों के लिए उपलब्ध है।
अनुसंधान और नवाचार के लिए प्रोत्साहन – आईआईटी मंडी में कई अत्याधुनिक अनुसंधान केंद्र हैं जो छात्रों और संकाय सदस्यों को अनुसंधान और नवाचार के लिए बढ़ावा देते हैं और उन्हें देश के सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्रों में से एक में काम करने का अवसर प्रदान करते हैं। इनमें शामिल हैं एडवांस्ड मटीरियल्स रिसर्च सेंटर (एएमआरसी), सेंटर फाॅर फैब्रिकेशन एण्ड डिजाइन आॅफ इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ (सी4डीएफईडी) और बायोएक्स सेंटर आदि।
शिक्षक प्रशिक्षण और विकास – एनईपी2020 की मूल भावना का ध्यान रखते हुए आईआईटी मंडी अपने संकाय सदस्यों के व्यावसायिक विकास में लगातार निवेश कर रहा है ताकि उनका शिक्षण कौशल बढ़े और वे आधुनिक शैक्षिक तकनीक अपनाएं। इस पहल के कुछ उदाहरण हैं संकाय विकास कार्यक्रम और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम।
सामाजिक महत्व के प्रोजेक्ट पर काम करते हुए व्यावहारिक ज्ञान अर्जन – शिक्षकों के प्रशिक्षण के साथ-साथ संस्थान अपने छात्रों के व्यावहारिक ज्ञान और प्रशिक्षण पर भी जोर देता है। आईआईटी मंडी के छात्र पहले वर्ष से ही फाउंडेशन ऑफ डिजाइन प्रैक्टिकम के कोर्स करते हैं जिसमें वे खुद काम कर सीखते हैं। ये फाउंडेशन कोर्स छात्रों को कार्य जीवन की चुनौतियों का समाधान करते हुए व्यावहारिक कार्य के माध्यम से उत्पाद विकास के विभिन्न पहलुओं के बारे में प्रशिक्षित करते हंै। ऐसे अंतःविषयी प्रोग्राम में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के मुख्य विषयों को शामिल कर छात्रों को व्यावहारिक अनुभव से सीखने का अवसर दिया जाता है। आईआईटी मंडी का इंटरएक्टिव सोशियो टेक्निकल प्रैक्टिकम (आईएसटीपी) छात्रों को यह अवसर देता है कि वे समाज पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव समझें। कुछ महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट हैं:
भूस्खलन पर निगरानी और चेतावनी प्रणाली
दूरदराज के इलाकों में लोगों तक दवाएं और जरूरी सामान पहुंचाने के लिए ड्रोन तकनीकों का इस्तेमाल
पहाड़ों के विभिन्न स्थानों के लोगों के लिए आवागमन आसान करने के लिए रोपवे डिजाइन
ऑनलाइन शिक्षा और प्रौद्योगिकी का एकीकरण – आईआईटी मंडी गुणवत्ता के साथ शिक्षा को सर्वसुलभ करने के लिए प्रौद्योगिकी की मदद से अपने छात्रों को शिक्षा का बेहतर अनुभव देता है। यह सब ऑनलाइन शिक्षण संसाधनों, डिजिटल कक्षाओं और ई-लर्निंग प्लेटफार्मों के माध्यम से संभव हो रहा है। संस्थान ने इस उद्देश्य से कई ऑनलाइन कोर्स एनपीटीई जैसे पोर्टल पर उपलब्ध कराए हंै। इसके अलावा समाज को एआई और डेटा विज्ञान में एग्जीक्युटिव प्रोग्राम प्रदान करने के लिए वाइली एंड संस से साझेदारी की है।
संस्थान का एक सतत शिक्षा केंद्र (सीसीई) भी है जिसमें वयस्कों और स्कूली बच्चों के लिए कई कौशल विकास कोर्स उपलब्ध हैं।
कामंद की महिलाओं का सशक्तिकरण (ईडब्ल्यूओके) – समाज से जुड़ने के मामले में आईआईटी मंडी की खास पहल कामंद की महिलाओं का सशक्तिकरण (ईडब्ल्यूओके) कामंद क्षेत्र के महिला समुदाय को आत्मनिर्भर बनने का प्रशिक्षण देकर महिलाओं को सशक्त बना रही है। ईडब्ल्यूओके उन महिलाओं को सहायता, सलाहकार और मार्गदर्शन भी प्रदान करता है जो खुद का व्यवसाय करने, पढ़ाई पूरी करने, प्रशिक्षण लेने या रोजगार पाने की इच्छुक हैं। ईडब्ल्यूओके अंगे्रजी बोलचाल में सुधार करने और और बुनियादी कंप्यूटर कौशल प्राप्त करने की इच्छुक स्थानीय महिलाओं के लिए भी कोर्स का संचालन करता है।
छात्रों का स्वस्थ और मानसिक रूप से मजबूत समाज बनाने पर जोर: आज सक्षम और कुशल मानव संसाधन का विकास करना समय की मांग है। इसलिए आईआईटी मंडी ने छात्रों का स्वस्थ समाज निर्माण सुनिश्चित करने के लक्ष्य से योग सूत्र जैसे कोर्स शुरू किए। आईआईटी मंडी में भारतीय ज्ञान प्रणालियों पर आधारित एक अन्य कल्याण केंद्र भी है। आज उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्र मानसिक तनाव और अन्य बाहरी दबाव में खुद को नुकसान पहुंचाते हैं। इसे देखते हुए यह जरूरी है कि ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए लीक से हट कर प्रयास करें।
एनईपी 2020 को लागू करने की दिशा में आईआईटी मंडी के प्रगतिशील प्रयासों पर प्रोफेसर अनिरुद्ध चक्रवर्ती, डीन एकेडमिक्स, आईआईटी मंडी का कहना है, “आईआईटी मंडी एनईपी2020 की कई प्रमुख विशेषताओं को अपने कोर्सों में लागू कर चुका है और बाकी विशेषताओं के समावेश की प्रक्रिया चल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे प्रगतिशील कदम से भारत के विश्व गुरु बनने का सपना सच करने में हमारी सरकार को मदद मिलेगी।