चिकित्सकों की लापरवाही के कारण नवजात की मौत, मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज

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कांगड़ा: जिला कांगड़ा के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां चिकित्सकों की लापरवाही के कारण नवजात की मौत हो गई. मामला टांडा मेडिकल कॉलेज का है. जहां प्रशिक्षु चिकित्सकों की लापरवाही के कारण प्रसव के दौरान नवजात के माथे पर लंबा कट लग गया. बच्चे को सात दिन तक वेंटिलेटर पर रखा गया. उसकी सांसों और धड़कन में दिक्कत आ रही थी, लेकिन नवजात की सात दिन बाद सांसे थम गईं. परिजनों ने चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाया है. सोशल मीडिया के माध्यम से परिजनों ने इस मामले को सार्वजनिक किया है.

जानकारी के अनुसार नीरज राणा की पत्नी गर्भवती थी. पांच अगस्त को टांडा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में उसे प्रसव के लिए दाखिले किया गया. नीरज राणा जिला कांगड़ा की ज्वाली तहसील के दुराना के रहने वाले हैं. अस्पताल में दाखिल होने के बाद रात 11 बजे गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हुई. वहां मौजूद चिकित्सक उसे लेबर रूम में प्रसव के लिए ले गए. परिजनों ने आरोप लगाया कि छह अगस्त को सुबह तड़के चार बजे गर्भवती महिला को फिर वार्ड में ले आए और परिजनों को घर भेज दिया. कहा गया कि आप सुबह आईए, अभी महिला को प्रसव पीड़ा नहीं हो रही है.

परिजनों ने कहा कि महिला प्रसव पीड़ा से कराह रही थी. फिर 6 अगस्त को ही 9:30 बजे गर्भवती को प्रवस पीड़ा शुरू हुई तो नर्सें उसे लेबर रूम में ले गई. मगर 1:30 बजे तक प्रसव नहीं हुआ. फिर उन्हें अंदर बुलाया और कहा कि गर्भवती को दर्दरहित टीका लगाया जाएगा. इससे सामान्य प्रसव हो जाएगा. यह दर्दरहित टीका सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर (अंडर प्रशिक्षण चिकित्सक) ने लगाया. इंजेक्शन देने के बाद फिर उन्हें बाहर भेज दिया गया. इसके बाद शाम 4 बजे फिर से उनके परिवार से किसी महिला को बुलाया गया. प्रसव के प्रोसेस के बारे में बताया गया और कहा कि शिशु जल्द जन्म ले लेगा.

सात दिन तक वेंटिलेटर पर रहा नवजात

नीरज राणा ने कहा कि दर्दरहित टीका लगने से गर्भवती का शरीर सुन था. वह प्रसव के लिए जोर नहीं लगा पा रही थी. इस पर प्रशिक्षु चिकित्सक ने औजारों की सहायता से बेहोश शिशु बाहर निकाला. शिशु को आईसीयू वार्ड में शिफ्ट कर दिया. परिजनों को जानकारी दी गई कि शिशु सांस नहीं ले पा रहा था. उसे वेंटीलेटर पर रखा है. हालत नाजुक है और शिशु का बचना भी मुश्किल. नीरज ने कहा कि जब उन्होंने अंदर जाकर देखा तो शिशु के माथे पर लंबा कट लगा हुआ था. माथे से काफी खून बह रहा था. फिर चिकित्सक ने शिशु के माथे पर टांके लगाए. उसे वेंटिलेटर पर रखा गया. सात दिन बाद 13 अगस्त को उसे मृत घोषित कर दिया गया.

हमने तो बच्चा खो दिया, कोई और न खोए

नीरज के पिता रशपाल सिंह (सेवानिवृत सैनिक) ने कहा कि यह चिकित्सकों को घोर लापरवाही है. उन्होंने कहा कि पांच अगस्त रात 11 बजे से प्रसव पीड़ा हो रही थी. मगर प्रशिक्षु चिकित्सकों के अलावा वहां कोई चिकित्सक नहीं आया. एक गंभीर मामलों में तो वरिष्ठ चिकित्सकों को आगे आना चाहिए. ऐसे मामलों को प्रशिक्षु चिकित्सक के सहारे ऐसे मामले नहीं छोड़े जाने चाहिए. अगर फिर प्रशिक्षुओं से काम करवाना है तो वरिष्ठ चिकित्सकों को इसकी स्वयं निगरानी करनी चाहिए, ताकि लापरवाही ना हो. उन्होंने कहा कि हमने तो अपने बच्चा खो दिया है, लेकिन और लोगों के साथ ऐसा न हो मामले को सार्वजनिक किया है.

मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर है शिकायत

नीरज ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी शिकायत की थी. शिकायत की जांच भी शुरू कर दी गई है. उन्होंने बताया कि उन्हें सूचित किया गया है कि सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष को जांच का जिम्मा सौंपा गया है. नीरज का आरोप है कि यहां जांच भी सही से नहीं होगी, क्योंकि कोई भी अपने साथियों पर कार्रवाई नहीं चाहेगा. उन्होंने कहा कि मैंने अब मामला जनता की अदालत में छोड़ दिया है, जो जनता तय करेगी, अब आगे उसी तरह के कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि टांडा में मरीजों को प्रशिक्षु चिकित्सकों के सहारे छोड़ा जा रहा है. इससे अस्पताल में गंभीर मरीजों की मौत भी हो रही हैं.