आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए अब विपक्षी दलों की दूसरी प्रस्तावित बैठक के लिए बैंगलुरु का नाम सामने आया है। ये बैठक 13-14 जुलाई को प्रस्तावित है और इसके लिेए पहले हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का नाम सामने आया था। माना जा रहा था कि बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन की बैठक के बाद दूसरी महत्वपूर्ण बैठक शिमला में आयोजित की जाएगी। इसकी घोषणा खुद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने की थी।
बैठक स्थल में बदलाव की घोषणा एनसीपी चीफ शरद पवार ने की
पर अब बैठक स्थल के बदलाव की घोषणा एनसीपी प्रमुख शरद पवार की तरफ से सामने आई है। पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक में सभी प्रमुख दलों ने एकजुट होकर 2024 की जंग लड़ने पर सहमति जताई थी। पर इस बैठक के बाद भी कुछ पार्टियों के कार्य और जुबानी दावों में बड़ा अंतर दिख रहा है। अगली बैठक में जहां विपक्षी दलों के नेता के नाम पर मंथन होगा वहीं कई और मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा होगी। माना जा रहा है कि इन दनों हिमाचल में हो रही भारी बारिश के कारण बैठक स्तल में बदलाव किया गया है।
23 जून को बिहार के पटना में हुई थी बैठक
गौरतलब है कि 23 जून को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में 15 विपक्षी दलों की बैठक हुई थी। इस बैठक में मोदी सरकार को पीछे धकेलना सबसे प्रमुख मुददा रहा। ऐसे में सभी दल एक दूसरे के वर्चस्व वाले राज्यों में सपोर्ट देने पर सहमत नजर आए। हालांकि सीटों के बंटवारे पर बात अगली बैठक के लिए टाल दी गई। इस बैठक के बाद आए बयानों से एक बात यह साफ है कि अब लोकसभा चुनाव में विपक्षी दल एक साथ संयुक्त उम्मीदवार के लिए सहमत है।
पहली विपक्षी गठबंधन की बैठक में ये लोग हुए थे शामिल
इस बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उद्धव ठाकरे सहित कई दिग्गज नेता शामिल हुए।
भाजपा ने भी शुरू की तैयारियां लोकसभा चुनाव-2024 की
इस बैठक के बाद भारतीय जनता पार्टी ने भी लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी शुरू कर दी है। इसमें एनडीए गठबंधन को और बड़ा करने के लिए नए पार्टियों से बातचीत की जा रही है। इस बैठक को भारतीय जनता पार्टी बहुत बड़ी चुनौती तो नहीं मान रही है लेकिन सभी के एक साथ आने से नुकसान का अंदेशा तो है ही। यही वजह है कि अब भाजपा ने भी अपने दरवाजे खोल दिए हैं।