शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी के कनलोग इलाके में बने एक ढारे से गुरुवार देररात तेंदुआ एक बच्ची को उठा ले गया. घटना देररात करीब साढ़े 10 बजे की बताई जा रही है. करीब आठ साल की यह बच्ची यहां अपने परिवार के साथ रहता थी. स्थानीय पार्षद बृज सूद के अनुसार यहां कार शोरूम के साथ लगती जमीन पर कई मजदूरों के ढारे हैं. इनमें से कई मजदूरों के पास पालतू कुत्ते भी हैं.
अंदेशा है कि यह तेंदुआ कुत्ते के लिए घात लगाए बैठा था. लेकिन जैसे ही एक ढारे से बच्ची बाहर निकली तो तेंदुए ने इसे ही उठा लिया. कई लोगों के सामने ही तेंदुआ साथ लगते जंगल में गायब हो गया. बच्ची के परिजनों ने पता चलते ही शोर मचाया, लेकिन तब तक तेंदुआ जंगल में भाग चुका था. बाद में इसकी सूचना न्यू शिमला पुलिस को दी गई. मौके पर पहुंची पुलिस ने वन्यजीव विंग को इसकी सूचना दी.
देररात करीब 11 बजे वन्यजीव विभाग और पुलिस ने साथ लगते जंगल में सर्च अभियान शुरू कर दिया. देर रात तक बच्ची का कोई पता नहीं चल पाया है. वन्यजीव विभाग के डीएफओ कृष्ण कुमार ने बताया कि पुलिस से सूचना मिलने के बाद एक टीम को मौके पर रवाना कर दिया गया था. बच्ची की तलाश की जा रही है. फिलहाल इसका पता नहीं चल पाया है.
शहर के रिहायशी इलाकों में कई बार दस्तक दे चुका तेंदुआ
शहर के कनलोग में कई बार तेंदुआ रिहायशी इलाके में घूमता रहा है. लोअर कनलोग में तेंदुआ बीते साल भी कई बार भवनों के बीच घूमता देखा गया था. अब ताजा घटना से लोग दहशत में आ गए हैं. शहर के बाकी रिहायशी इलाकों में कई बार तेंदुआ दस्तक दे चुका है. विकासनगर, नवबहार में दर्जनों लावारिस कुत्तों को तेंदुआ अपना शिकार बना चुका है. खलीनी, कनलोग में कई बार तेंदुआ लोगों पर भी झपट चुका है.
सड़कों पर सोने को मजबूर सैकड़ों मजदूर परिवार
शहर में रिहायशी इलाके में तेंदुए के घूमने की घटनाएं सीसीटीवी में भी कैद होती रही हैं. वन्यजीव विभाग का कहना है कि जंगल के साथ लगते रिहायशी इलाकों में तेंदुओं के आने का खतरा ज्यादा है. ऐसे में लोग खिड़की दरवाजे बंद करके रखें. शहर में स्मार्ट सिटी समेत बाकी निर्माणकार्यों में लगे सैकड़ों मजदूर परिवार सड़क किनारे बने कच्चे ढारों में रहने को मजबूर हैं. तेंदुए का सबसे ज्यादा खतरा इन्हीं परिवारों को है.