दर्द में शिमला: अपना घर छोड़ अस्थाई राहत शिविरों में रहने को मजबूर लोग घर लौटने का कर रहे इंतजार

भवनों पर खतरे को देखते हुए खाली करवाए प्रशासन ने घर

दर्द में शिमला: अपना घर छोड़ अस्थाई राहत शिविरों में रहने को मजबूर लोग घर लौटने का कर रहे इंतजार
दर्द में शिमला: अपना घर छोड़ अस्थाई राहत शिविरों में रहने को मजबूर लोग घर लौटने का कर रहे इंतजार

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

Ads

 

शिमला। राजधानी शिमला में इस समय कई लोग अस्थाई राहत शिविरों में रहने को मजबूर हो गए हैं। अपनी जीवन भर की कमाई से बनाए बहुत उम्मीदों व सपनों के साथ बनाए आशियाने आज उन्हीं की जान के लिए खतरा बन गए हैं। इन्हीं घरों में कुछ दिन पहले ये लोग जब थक हारे शम को घर लौटते थे तो एक आराम, सुकून व सुरक्षा का आहसास ये घर उन्हें दिलाते थे और आज अपनी आंखों के सामने इन्हीं घरों को खतरों की जद में आते ही छोड़ना पड़ रहा है।

इन अस्थाई राहत शिविरों में रह रहे लोगों के लिए खाने-पीने और सोने की पूरी व्यवस्था प्रशासन व एनजीओ व कई अन्य संस्थाएं मिलकर कर रही है, लेकिन यहां रह रहे छोटे बच्चों की मासूम आंखों में एक सवाल जो जरूर दिखता है कि कब वे अपने घरों पर जा पाएंगे। यहां रहने के कारण वे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। महिलाएं लगातार प्रशासन से गुहार लगा रही हैं कि उनके घरों को बचाएं ताकि वे घर वापिसी कर सकें।

 

यह भी पढ़े:- आगजनी: शिमला के पुराने बस अड्डे के नजदीक पंचायत भवन की दुकान में लगी आग

 

शिमला के फागली स्थित पुराने संस्कृत कालेज की बिल्डिंग में रह रहे लोगों से आदर्श हिमाचल ने बात की और उनका दुख साझा करने की कोशिश की। यहां रह रही महिलाओं ने कहा कि उन्हें जल्द से जल्द घर वापिसी करनी है। इन अस्थाई राहत शिविरों में वे कब तक रह पाएंगे। इनमें वे महिलाएं शामिल हैं जिनके घरों पर पेड़ों के कभी भी गर जाने का खतरा मंडरा रहा है। महिलाओं ने कहा कि वे कहीं न कहीं काम करती है लेकिन पिछले चार दिनों से इसी राहत शिविर में रहने को मजबूर हो गई हैं। अपने जीवन भर की कमाई से बनाए घरों की सुरक्षा की चिंता में यहां रहे लोगों की आंखों से नींदे गायब है। रात बातें करते और अपने घरों की सुरक्षा में कट जाती है।

 

स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि वे उनक घरों के ऊपर जिन पेड़ों की वजह से खतरा मंडरा रहा हैं, उन्हें जल्द से जल्द कटवाएं ताकि वे अपने परिवारों संग घर वापसी कर सके।