आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला: विधानसभा चुनावों से ठीक पहले के गिले-शिकवे कहीं हिमाचल कांग्रेस को भारी न पड़ जाए। समय रहते वरिष्ठ नेताओं सहित कार्यकर्ताओं की नाराजगी व अनदेखी का अगर हल न निकाला गया तो सत्ता हासिल करना हिमाचल कांग्रेस के लिए एक सपना बनकर रह जाएगा। आज हिमाचल कांग्रेस के चुनाव प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष व कांग्रेस उपाध्यक्ष व श्रीनैना देवी से विधायक राम लाल ठाकुर ने आज कांग्रेस उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान भावकु होते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस में वे पिछले 30 सालों से जुड़े हुए हैं। हालांकि बाकी के पदो पर वे बने रहेंगे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोन्या गांधी ने राजस्थान मे हुए चिंतन शिविर में कहा था कि जिन लोगों को पदों पर बने हुए लंबा समय हो गया है वे पद से खुद को अलग करें व नए लोगों को मौका दें। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इसी बात को मान रखते हुए उन्होंने अपने आप को कांग्रेस की जंबो कार्यकारिणी से खुद को अलग किया है।
हालांकि तमाम प्रयासों के बावजूद वे अपनी पीड़ा नही छुपा पाए। उनका शिकवा था कि अभी तक के छह सात कांग्रेस प्रदेशाध्यक्षों में से किसी ने उन्हें उपाध्यक्ष तो किसी ने उन्हें महासिव बना डाला। वे इन्हीं दो पदों पर सीमित रह गए। वहीं उन्होंने प्रदेश कांग्रेस की जंबो कार्य्रकारिणी पर भी तंज कसते हुए कहा कि सारी की सारी नियुक्तियां वाया दिल्ली हो रही है। कोई सचिव बन रहा तो किसी को उपाध्यक्ष व वरिष्ठ उपाध्यक्ष बना डाला। लेकिन प्रदेशाध्यक्ष को इन नियुक्तियों की कोई जानकारी ही नहीं है। प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी प्रतिभा सिंह को दी गई तो उन्हें ही निभानी भी दी जानी चाहिए। लेकिन उनके साथ में चार-चार कार्यकारी अध्यक्ष बना डालें और तो और इस वक्त प्रदेश कांग्रेस में पौने तीन सौ लोगों की जंबो कार्यकारिणी है, जो कि सही नहीं लगती।
साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश में कई लोग मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल है जो कि सही नहीं लगता। उन्होंने चुनाव लड़ने के सवाल पर यहां तक कह डाला कि अगर हाईतमान को उनके अलावा यहां कोई सशक्त चेहरा नजर आता है तो वे उसको चुनाव मैदान में उतार दें। वे कांग्रेस के सच्चे सिपाही है और कांग्रेस को सत्ता में लाने का पूरा प्रयास करेंगे।
इस सारे घटनाक्रम मे जिस तरह श्रीनैना दैवी से विधायक व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राम लाल ठुर आहत नजर आए और अपनी बात रखते हुए उनकी आंखे तक नम हो गई, उससे साफ है कि कहीं न कहीं नेताओं की आपसी दौड़ व होड़ आने वाले दिनों मे कांग्रेस को चुनावी दौड़ से न बाहर कर दें। सूत्रों की मानें तो कुछ लोग राम ला ठाकुर की जगह किसी और को वहां से उम्मीदवार बनाने के इच्छुक हैं जबकि राम लाल जानते हैं कि इस वक्त अपनी विधानसभा से वे कांग्रेस को जीत दिला सकते हैं। यहीं बात कहीं न कहीं राम लाल ठाकुर को चुभ गई।
राम लाल ठाकुर ने कहा कि पहले जब भी प्रदेशाध्यक्ष बदलता था तो पुरानी कार्यकारिणी अपने आप भंग हो जाती थी और प्रदेशाध्यक्ष अपने हिसाब से लोगों को पदों पर नियुक्त करते थे। लेकिन इस बार जिस तरह सारी की सारी नियुक्तियां दिल्ली से हो रही है वो अपने आप मे प्रदेशाध्यक्ष के होने व इस पद की शक्तियों पर भी सवालिया निशान लगी रही है। पिछले दिनों सात मंडल कार्यकारिणियों का भंग होना व प्रदेशाध्यक्ष का दिल्ली में शिकायत करना इस वक्त कांग्रेस के अंदरूनी हालात बयां करने के लिए काफी है।
एक तरफ दिल्ली का बेतहाशा दखल तो दूसरी तरफ सत्ता हासिल करने से ज्यादा छटपटाहट इस वक्त कांग्रेस के बड़े चेहरों में भावी मुख्यमंत्री पद को लेकर देखी जा रही है। कांग्रेस के सभी बड़े चेहरे किसी न किसी तरह खुद को सीएम प्रोजेक्ट करना चाह रहे हैं औऱ् इन बड़े चेहरों की खींचतान की ही नतीजा है कि इस वक्त कांग्रेस की मुश्किलें कम होने की जगह बढ़ रही है। इस वक्त कांग्रेस को भाजपा या आम आदमी पार्टी से नहीं बल्कि खुद अपने ही नेताओं से खतरा है।
इस वक्त कांग्रेस पूरे देश में सबसे खराब हालातों का सामना कर रही है। इस सबके बीच हिमाचल में कुछ उम्मीद बंधी थी कि हिमाचल की राजनीतिक परंपरा के अनुसार यहां सत्ता हासिल करना आसान रहेगा। लेकिन नेतृत्व का अभाव कहें या खुद को आगे ले जाने की होड़, नेताओं के आगे पार्टी हित गौण हो गए हैं। इस वक्त हिमाचल कांग्रेस को जरूर अपने करिश्माई नेतृत्व स्व. वीरभद्र सिंह की कमी खल रही होगी। स्व. वीरभद्र सिंह छह बार मुख्यमंत्री रहे हैं और बेशक वे सरकार कभी रिपिट नहीं करवा पाए लेकिन उन्हें कांग्रेस के अंदर तमाम तरह की गुटबाजी पर लगाम लगानी और विपक्ष के खिलाफ सख्त बयानबाजी बखूबी आती थी।