रेड: पंजाब पुलिस की ओरिसन फार्मा काला अंब में दबिश, नशे के कैप्सूल सील

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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काला अंब। अभी 30 लाख कैप्सूल वाले मामले की जांच पूरी भी नहीं हुई थी कि जिला सिरमौर के काला अंब की एक और फैक्टरी पर पंजाब पुलिस और ड्रग डिपार्टमेंट ने रेड कर दी है।
पंजाब पुलिस के द्वारा सुबह ही फैक्ट्री में दबिश दे दी गई थी खबर लिखे जाने तक जांच भी जारी है।

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प्राप्त जानकारी के अनुसार पंजाब पुलिस के द्वारा 10000 नशे के कैप्सूल के साथ एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार किए गए व्यक्ति से जो कैप्सूल बरामद हुए हैं उन कैप्सूल्स का निर्माण काला अंब स्थित ओरिसन फार्मा में हुआ था।

पंजाब पुलिस के द्वारा दवा पर मार्केटिड बाय पीपी फार्मा मुंबई का एड्रेस लिखा पाया गया है। पंजाब पुलिस ने जब मुंबई की इस फार्म के बारे में दिए गए एड्रेस पर जानकारी जुटाई तो यह एड्रेस गलत पाया गया।

जिसके बाद पंजाब पुलिस इस ड्रग चेन को खंगालते हुए काला अंब साढौरा रोड स्थित ओरिसन फार्मा में पहुंची। जहां उन्होंने सिरमौर पुलिस और जब विभाग जिला सिरमौर के सहयोग से फैक्ट्री में रेड की। जांच के दौरान ओरिसन फार्मा के मालिक से पीपी फार्मा के बारे में जानकारी ली गई।

इस पर फैक्ट्री के मालिक ने बताया कि उनका पीपी फार्मा मुंबई से कोई लेना देना नहीं है और ना ही यह माल उन्हें भेजते हैं। उन्होंने कहा कि उनका एग्रीमेंट शिवा ट्रेडर्स जो दिल्ली की फर्म है उसके साथ हुआ है।

उन्होंने यह भी बताया कि इस पर पीपी फार्मा शिवा ट्रेडर्स के द्वारा लिखवाया गया था। सवाल यह भी उठता है कि जब मैन्युफैक्चर को पीपी फार्मा मुंबई के बारे में कोई जानकारी नहीं थी तो डिब्बे पर उनका नाम क्यों प्रिंट किया गया।

इस सवाल के जवाब पर फार्मा यूनिट संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। जिसके बाद काफी मात्रा में बने हुए ट्रामाडोल दवा के डिब्बों को जिन पर पीपी फार्मा लिखा गया था उन्हें सील कर दिया गया। इन डिब्बों को पंजाब पुलिस केस प्रॉपर्टी बनाकर साथ ले गई है।

जबकि ड्रग डिपार्टमेंट के द्वारा की गई जांच के बाद फैक्ट्री को शो कॉज नोटिस जारी करते हुए जांच पूरी होने तक फैक्ट्री का प्रोडक्शन रुकवा दिया गया है।

हालांकि यहां यह भी बताना जरूरी है कि फैक्ट्री के पास इस दवा को बनाने का बाकायदा लाइसेंस है। शिवा ट्रेडर्स जिसके साथ इनका एग्रीमेंट है वह कागज भी पूरी तरह सही है। सवाल सिर्फ पीपी फार्मा मार्केटिड बाय लिखे जाने को लेकर यह जांच के दायरे में आए हैं। यहां यह भी बताना जरूरी है कि यह मामला पांवटा साहिब वाले मामले से बिल्कुल अलग है। यह दवा इलाज के नजरिया से काफी जरूरी भी मानी जाती है। मगर इस दवा का बेचे जाने के बाद बिना डॉक्टर की पर्ची के नशे के आदी इसे नशे के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। नंबर दो में बेचे जाने पर इसकी भारी कीमत मिलती है।

उधर जिला सिरमौर पुलिस कप्तान खुशाल चंद शर्मा ने पुष्टि करते हुए बताया कि पंजाब पुलिस काला अंब स्थित एक फैक्ट्री में जांच के लिए आई है। यह पावटा वाले कैसे अलग मामला है। उन्होंने बताया कि हिमाचल पुलिस के द्वारा पंजाब पुलिस द्वारा जांच में सहयोग मांगे जाने पर पूर्ण सहयोग किया गया।

वहीं एडीसी सनी कौशल ने खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि फार्मा यूनिट के पास दवा बनाने का लाइसेंस है। जिसके लिए दवा बनाई जाती है उस फर्म के भी कागज पूरे और सही हैं। मगर डिब्बे के ऊपर मार्केटिड बाय पीपी फार्मा मुंबई का एड्रेस सही नहीं पाया जा रहा है। और ना ही इस बाबत फैक्ट्री मालिक संतोषजनक जवाब दे पाया है।

उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस इसी मामले की जांच के लिए यहां आई थी। उन्होंने बताया कि जिन डिब्बों पर पीपी फार्मा लिखा गया था उन्हें पंजाब पुलिस अपने साथ सील कर ले गई है।
सिरमौर ड्रग डिपार्टमेंट मामले को लेकर अभी जांच भी कर रहा है। फिलहाल फैक्ट्री प्रबंधन को शो कॉज नोटिस जारी कर स्टॉप प्रोडक्शन के लिए बोल दिया गया है।