कादियाँ-ब्यास रेलवे लाइन परियोजना: 96 सालों की प्रतीक्षा के बावजूद अब भी अधूरी

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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बटाला। कादियाँ-ब्यास रेलवे लाइन परियोजना, जो पहली बार 1928 में मंज़ूर की गई थी, आज भी अधूरी है। यह परियोजना पिछले 96 सालों से रुकावटों और अड़चनों का शिकार बनी हुई है। स्थानीय लोगों द्वारा एक बार फिर इस मुद्दे को उठाया गया है और सभी राजनीतिक नेताओं से अपील की गई है कि वे इस परियोजना को पूरा करने में अपना योगदान दें।

पृष्ठभूमि:

कादियाँ-ब्यास सेक्शन को जनवरी 1928 में मंज़ूरी दी गई थी और बटाला-कादियाँ सेक्शन को दिसंबर 1928 में पूरा कर आवागमन के लिए खोला गया था। लेकिन कादियाँ-ब्यास सेक्शन का निर्माण रुक गया था क्योंकि धन की कमी के कारण इसका समापन नहीं हो सका।

राजनीतिक स्तर पर उठे प्रश्न:

नवजोत सिंह सिद्धू ने 2004 में सबसे पहले संसद में यह मुद्दा उठाया। 2011-12 में, प्रताप सिंह बाजवा के दौरान, इस परियोजना को 842 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी गई थी। इसके बावजूद स्थानीय विरोध और कानून-व्यवस्था के मुद्दे परियोजना की रुकावट बने रहे।

2015 में श्री विनोद खन्ना ने इस परियोजना की प्रगति का जायजा लिया और 30 अप्रैल 2015 को अहमदिया वफद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और परियोजना को फिर से शुरू करने की मांग की। लेकिन समय बदला पर हालात वही रहे।

ताजा हालात:

राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने 3 फरवरी 2023 को केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से इस परियोजना के बारे में पूछा। लेकिन अब भी यह परियोजना सफल नहीं हो सकी। इस परियोजना के बारे में हजारों लोगों ने सोशल मीडिया पर आवाज भी उठाई।

राजनीतिक नेताओं के लिए अपील:

नई सरकार के पहले सत्र के दौरान, गुरदासपुर से चुने गए कांग्रेस के प्रतिनिधि सुखजिंदर रंधावा को लोकसभा में इस मांग को जोरदार तरीके से रखना चाहिए। इसी तरह, बटाला के विधायक शैरी कलसी और बीजेपी के सभी कार्यकर्ताओं को केंद्र सरकार से इस परियोजना को पुनः आरंभ करने के लिए पत्र भेजने की अपील करते हैं।

राजनीतिक नेताओं को जवाबदेह बनाने की आवश्यकता:

फतेह सिंह बाजवा, कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुनील जाखड़, अश्विनी सेखड़ी और रवनीत बिट्टू ये सभी नेता आज बीजेपी के बड़े चेहरे हैं। रवनीत बिट्टू तो रेलवे राज्य मंत्री हैं। बीजेपी अगर 2027 में पंजाब में अपनी सरकार बनाने का सपना देख रही है तो उसे कादियाँ-ब्यास लिंक परियोजना को पूरा करना होगा।

लोगों के लिए फायदे:

यह परियोजना पूरी होने से यात्रा का समय कम होगा, बटाला की इंडस्ट्री पुनर्जीवित हो जाएगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। लोग हर प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएँ प्राप्त कर सकेंगे। पूरा गुरदासपुर जिला तरक्की की राह पर चलेगा।