सर्दी!
अकड़ ना अपनी निष्ठुरता पर
यदि मनुष्य भी अकड़ गया तो
तुम्हें घेर कर पकड़ गया तो
पंजों में अपने जकड़ गया तो
सच मान तू ठिठुर जाएगी
सिहर जाएगी
मर जाएगी
मन मनुष्य का इतना निष्ठुर
इतना सर्द है
तू जब मार रही थी
डायनासोरों को निर्दयता से
वह जन्म ले रहा था तुम्हारे भीतर
दिखता चाहे आज हो जैसा
वह अब भी वही
आदिम पुरुष है
तुम्हारा गर्भ फाड़कर
तुम्हें मार कर
निकला दानव,
याद रख।
डॉ एम डी सिंह—-पीरनगर, गाजीपुर ऊ प्र भारत