आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला: ललाट पर लगे कलंक का
उसे कोई परवाह नहीं
युद्ध द्वापर में लड़ा जाए
चाहे कलयुग में
मैदान कुरुक्षेत्र का हो
चाहे गाजा का
उसे नहीं भूला कृष्ण !
तुम्हारा शंखनाद
जिसने जान ले ली थी उसके पिता की
धर्मराज के कहे
आधे अधूरे सच को दबाकर
सूख गए अंतःसंवेदनाओं के स्वामी
अश्वत्थामा को
न तो गर्भस्थ अजन्मों की हत्या पर-
छाती पीटती मांओं की
न ही मानवता के संघार पर‐
थू-थू करते संसार की
कोई चिंता है
उसका प्रतिशोध
अभी अधूरा है/
-डाॅ एम डी सिंह ग़ाज़ीपुर उत्तरप्रदेश